8 प्रकार के दूध का वर्णन
*जानिये, चरक संहिता में सेवन करने योग्य कौन से 8 प्रकार के दूध का वर्णन किया गया है और उनकी क्या उपयोगिता है..!!* ▪गव्यमाजं तथा चोष्ट्रमाविकं माहिषं च यत् | अश्वायाश्वेव नार्याश्व करेणूनां च यत्पय: || (1). गाय का दूध (2). बकरी का दूध (3) ऊंटनी का दूध (4). घेंटी का दूध (5). भैंस का दूध (6). घोड़ी का दूध (7). स्त्री का दूध (8). हथिनी का दूध *(1). गाय का दूध* गाय का दूध स्निग्ध, पचने मे भारी, रसायन है। रक्तपित्त को ठीक करता है। गाय का दूध मधुर, शीतल एवं वात और पित्त का नाश करतां है। *(2). बकरी का दूध* बकरी का दूध टीबी के मरीजों हेतु बहुउपयोगी है। जठराग्नि को प्रदिप्त करता है। पचने मे हल्का, श्वास, खांसी और रक्त पित्त को दूर करता है। बकरी हमेशा नीली आैषधियां खाती रहती है जिसके कारण उसका दूध सर्वोत्तम कहा गया है। ये सभी रोगो मे उपयोगी है। *(3). ऊंटनी का दूध* ऊंटनी का दूध रुक्ष, गरम, स्वाद में कुछ खटास लिये रहता है। मधुर और पचने मे हल्का होता है। यह सूजन, पेट के रोग, अर्श रोग, बवासीर, कृमिरोग, कुष्ठरोग आैर चर्मरोग आैर शरीर के विषाणु का नाश करतां है। *(4). घेंटी का दूध* मधुर, स्निग्ध, पचन...