यज्ञ हवन का विधान
यज्ञ हवन का विधान हवन कुंड की जानकारी समिधा जड़ी बूटियां मंत्र जाप करते हुए सावधानी बरतें और हमारे मंदिर में और लगातार हवन की व्यवस्था है जहां आपको मात्र पूर्ण श्रद्धा के साथ साफ-सुथरे कपड़े पहन कर आने होते हैं और हवन में बैठना होता है यज्ञ कुंड मुख्यत: आठ प्रकार के होते हैं और सभी का प्रयोजन अलग अलग होताहैं । 1. योनी कुंड – योग्य पुत्र प्राप्ति हेतु । 2. अर्ध चंद्राकार कुंड – परिवार मे सुख शांति हेतु । पर पतिपत्नी दोनों को एक साथ आहुति देना पड़ती हैं । 3. त्रिकोण कुंड – शत्रुओं पर पूर्ण विजय हेतु । 4. वृत्त कुंड - जन कल्याण और देश मे शांति हेतु । 5. सम अष्टास्त्र कुंड – रोग निवारण हेतु । 6. सम षडास्त्र कुंड – शत्रुओ मे लड़ाई झगडे करवाने हेतु । 7. चतुष् कोणा स्त्र कुंड – सर्व कार्य की सिद्धि हेतु । 8. पदम कुंड – तीव्रतम प्रयोग और मारण प्रयोगों से बचने हेतु । तो आप समझ ही गए होंगे की सामान्यतः हमें चतुर्वर्ग के आकार के इस कुंड का ही प्रयोग करना हैं । ध्यान रखने योग्य बाते :- अबतक आपने शास्त्रीय बाते समझने का प्रयास किया यह बहुत जरुरी हैं । क्योंकि इसके बिना सरल बाते पर आप गंभ...