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भारतीय संस्कृति; वेद; उपनिषद और पुराणों के अनुसार मानव जन्म

भारतीय संस्कृति, वेद, उपनिषद, और पुराणों के अनुसार "मानव जन्म" एक अत्यंत रहस्यमयी, उद्देश्यपूर्ण और दिव्य प्रक्रिया है। यह केवल एक जैविक प्रक्रिया नहीं है, बल्कि आत्मा की एक विशेष अवस्था और साधना की यात्रा का एक महत्वपूर्ण चरण है। इस विषय को समझने के लिए हमें चार मुख्य स्रोतों को एकसाथ देखना होगा: 🌿 1. वेदों के अनुसार मानव जन्म का उद्देश्य: वेदों में (ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद, अथर्ववेद) बार-बार यह बात कही गई है कि मानव जीवन परम सत्य (ब्रह्म) को जानने, आत्मा को जागृत करने और मोक्ष प्राप्त करने के लिए मिला है। ✨ कुछ प्रमुख वेदवाक्य: "असतो मा सद्गमय, तमसो मा ज्योतिर्गमय, मृत्योर्मा अमृतं गमय" ➤ हे ईश्वर! मुझे असत्य से सत्य की ओर, अज्ञान से ज्ञान की ओर, मृत्यु से अमरता की ओर ले चलो। "आत्मा वा अरे द्रष्टव्यः, श्रोतव्यः, मन्तव्यः, निदिध्यासितव्यः" – बृहदारण्यक उपनिषद् ➤ आत्मा को देखना, सुनना, मनन करना और ध्यान करना ही मानव जीवन का उद्देश्य है। निष्कर्ष (वेदों से): मानव जन्म आत्मा के लिए एक "ज्ञान-यज्ञ" का अवसर है। यह जन्म दुर्लभ...

आत्महत्या रोकथाम और जीवन जागरण हेतु शेष अमृत सूत्र,

यहाँ प्रस्तुत हैं आत्महत्या रोकथाम और जीवन जागरण हेतु शेष 80+ अमृत सूत्र , जिन्हें आप पुस्तिका रूप में उपयोग कर सकते हैं। ये सूत्र किसी भी व्यक्ति को जीवन की ओर मोड़ने में शक्तिशाली प्रेरणा दे सकते हैं — 🔱 “जीवन रक्षक 100 अमृत सूत्र” (क्रम संख्या 21–100) (भाग-15 से आगे की श्रृंखला) 📘 भावनात्मक जागरण सूत्र (21–40) हर अंधेरी रात के बाद प्रभात निश्चित है। दुख स्थायी नहीं होते — दृष्टिकोण बदलो। जीवन कोई परीक्षा नहीं — यह अनुभव है। हारने वाले ही जीत के मूल्य जानते हैं। हर चीख अगर सुनी जाए, तो वह मौन नहीं बनती। एक व्यक्ति की मुस्कान कई आत्महत्याएँ रोक सकती है। जो सुन ले, वह देवता है। अकेलापन हमेशा ‘खालीपन’ नहीं होता, वह अवसर है। भावनाएँ बहाओ — पर निर्णय ठहर कर लो। कोई भी भाव हमेशा नहीं टिकता — समय बदलता है। कुछ न कह पाना, कभी-कभी सबसे गहरी चीख होती है। अंदर का अंधकार बाहर के प्रकाश से डरता है – उसे उजाला दो। जो टूट गया है, वही गहराई जानता है। मृत्यु नहीं, मोहभंग से मुक्ति चाहिए। आत्महत्या पलायन नहीं, अधूरी बात होती है। किसी को गले लगाने से कई आत्माएँ बच सकती हैं। जब ...