क्यों हो रहे हैं आजकल केविवाह_असफल ?
क्यों हो रहे हैं आजकल के
#विवाह_असफल ?
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कई दिनों से यह देखने में आ रहा है कि आजकल लगभग विवाह के पूर्व लड़का लड़की की कुंडली का मिलान करवाते हैं अच्छे गुण मिल जाते हैं विवाह संपन्न भी हो जाता है पर कुछ दिनों बाद विवाह विवाद में बदल जाता है वैसे तो विवाह के विवाद में बदलने के कई कारण है पर कुछ खास कारण जो मूल जड़ होती है उस पर किसी का ध्यान नहीं जाता पहला कारण जब हम विवाह की पत्रिका छापते हैं तो पहली पत्रिका हम अपने इष्ट देव जय श्री गणेश जी या कुलदेव को अर्पित कर आमंत्रण देते हैं विवाह संपूर्ण हो जाता है लेकिन विवाह पश्चात कभी भी हमने उनके पास जाकर विवाह सुखद संपन्न होने का धन्यवाद नहीं देते हैं हम शादी के बाद इतने व्यस्त हो जाते हैं कि जिनको हमने निमंत्रण देकर बुलाया उनको सम्मान सहित वापस भी तो भेजना होगा यहां गलती होती है ईश्वर को यदि हम बुला रहे हैं तो सह सम्मान विसर्जन या भेजना भी होगा होता यूं है कि बुला तो लेते हैं और फिर बुला कर काम निकाल कर भूल जाते हैं अक्सर परिवार में उनके कुलदेवी कुलदेवी को ब्याव का निमंत्रण नहीं देते हैं साथ ही विवाह पश्चात वर-वधू घूमने चले जाते हैं जबकि विवाह पश्चात सबसे पहले कुलदेव कुल देवी के दर्शन जाना चाहिए क्योंकि आपका कुल उनके आशीर्वाद से ही आगे बढ़ेगा तीसरा कारण जब बिहाव का मुहर्त निकलता है तो जब खास फेरे का मुहूर्त होता है पंडित एक खास मुहूर्त निकालता है मोहर्त के समय दूल्हे के दोस्त नाच गाना मस्ती करते रहते हैं बरात प्रवेश होने तक शुभ शुभ शुभ समय खत्म हो जाता है अब जो समय शुभ मुहूर्त का था अशोक समय का हो जाता है कभी-कभी राहु काल यमघंट काल शुभ काल उद्वेग आदि चौघड़िया में भी फेरे हो जाते हैं अब आप ही सोचे कि क्या भारी बारिश में आप चौराहे पर कभी खुले में दीपक जलाएंगे तो क्या दीपक टिक पाएगा इसी तरह जब अशुभ मोहर्त हो या योग या चौघड़िया में जब आप विवाह करेंगे तो क्या बिहाव टिक पाएगा कई लोग पत्रिका मिलाते हैं पर गुण नहीं मिलने की स्थिति में नाम से गुण मिलाकर या नाम बदलकर ब्याह कर लेते हैं यह गलती है एक गलती और होती है कई लोग तो वर्तमान यानी चालू नाम से नहीं मिलने पर जन्म नाम से मिला करते हैं पर उपयोग में चालू नहीं रखते हैं अक्सर विवाह में मंगल दोष को देखा जाता है इसके साथ ही लड़के की कुंडली में सूर्य और शुक्र दोष को भी और कन्या की कुंडली में गुरु चंद्र दोष को भी देखा जाना जरूरी है मैंने अनुभव में पाया है कि जब भी किसी लड़के को लड़के की कुंडली में सूर्य राहु शुक्र राहु यदि नकारात्मक स्थिति में हो अथवा लड़की की कुंडली में गुरु राहु नकारात्मक हो तो समस्या जरूर आती है इस कारण यह भी देखने में आया है कि लोग मनपसंद विवाह स्थान होटल गार्डन रिसोर्ट पाने के लिए ब्याव का मुहूर्त 6 या 8 महीने या उससे भी पहले निकाल तो लेते हैं जब फेरों में बैठने का समय आता है तो पंडित जी से कहते हैं पंडित जी आप दीपक लगा दीजिए याद रहे कोई भी शुभ कार्य दीपक को प्रज्वलित कर देने मात्र से प्रारंभ नहीं माना जाता बल्कि उस कार्य का संकल्प लेने से होता है देखिए हम इस विषय पर कई तर्क वितर्क कर सकते हैं जो लोग बिना मुहूर्त निकालते करते हैं शादी तो बरसों तक टिकी रहती है या अधिकतर समाज परंपरा को नहीं मानता पर यह मेरी सोच है कि जब हम कुंडली से शुरुआत करते हैं तो कोई भी शुभ कार्य की शुरुआत से ही करें विवाह के फेरे स्थिर लग्न शुभ चौघड़िया ओर शुभ तिथि में यदि कराते जाये तो विवाह कभी विवाद में नहीं पहुंचता!
वैसे मैरे मुताबिक
विद्या, वर, घर ,नारी,और सुख शरीर का!
मांग्या मिले न चार चीज, लिखे मिले तगदीर का !!
चार वस्तुये भाग्य से मिलती है
विद्या
वर, स्त्री
मकान
निरोग शरीर
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