वैदिक-विज्ञान और वर्तमान समय गणना

वैदिक-विज्ञान और नासा ने समय गणना किस विधि या theory से किया हैं ?
इसका जबाब सूर्य-सिद्धांत का यह श्लोक है । 

भभोगोSअष्टशतीलिप्ताः खाश्विशैलास्तथा तिथेः ।
ग्रहलिप्ताभभोगाप्ता भानि भुक्त्या दिनादिकम् ॥

नक्षत्र का भोग 800 कला तथा तिथि का भोग 720 कला होता है । ग्रह की कला को नक्षत्र भोग 800 से भाग देने पर लब्धि गत नक्षत्र होता है । 

इस श्लोक में नक्षत्र और तिथि का दिन कितने कला बराबर होता हैं ? उसके बारे में इन्फॉर्म किया हैं दूसरा किसी भी ऑर्बिट की कला से उस समय उस ऑर्बिट का “ऑर्बिट” बोले तो ग्रह पर कौन-सी नक्षत्र हैं, वह पता करने के लिये फार्मूला को बताया हैं ।    

श्लोक में कहा गया हैं :-
नक्षत्र का भोग 800 कला तथा तिथि का भोग 720 कला होता है ।

इनका कहने का तात्पर्य यह है की जिस प्रकार present time में एक दिन 1440 mints का होता है । (24×60=1440) उसी प्रकार नक्षत्र का दिन 800 कला का तथा तिथि 720 कला का होता है ।

अब; यहा एक question उठ रहा हैं – “कला” क्या हैं ? 

इसका answer दो प्रकार से हैं :-
प्रथम:- जिस प्रकार आज के समय में मिनट है उसी प्रकार वैदिक समय में मिनट को कला कहा हैं । यह जबाब आम सभी के लिये प्रयुक्त होता हैं।  

दूसरा विशेष हैं:- जैसे- आज हम 12 घंटे का दिन और 12 घंटे का रात अनुसार अपना घड़ी सेट किये हुये हैं, इसी तरह वैदिक-विज्ञान भी 15 घड़ी का दिन और 15 घड़ी का रात बनाया हुआ हैं । 
जिस प्रकार present & past science दिनरात्रि को 2 part में करके समय मान को अपने daily रूटीन में use कर रहा है, उसी प्रकार गणित भी दिनरात्रि को 2 part में divide करके सब कुछ कह रहा है । 
जैसे:- 360 डिग्री = दिन और 360 डिग्री = रात 
जब आप गणित के दिन + रात अर्थात 360 डिग्री + 360 डिग्री को जोड़ते है तो आपको 720 का संख्या प्राप्त होता हैं, यही 720 संख्या वैदिक-विज्ञान की दिन-रात में use होने वाली कला के नाम से संबोधन किया गया हैं ।

इसका यह तात्पर्य है कि एक circle में 720 line खींचे और जो एक से दूसरी लाइनों की दूरी होगी वह “कला” नाम से संबोधन है, मतलब आधा डिग्री (1/2) बराबर “एक-कला” होता है । 
इसी 360+360=720 को base बनाकर ancient science ने सभी calculation किया है ।

NASA जैसे जो भी कोई संस्था संस्कृत श्लोक पर रिसर्च कर रहा हैं, उनको अभी तक इतना ही वैदिक-विज्ञान को समझ पाए हैं, इसे और समझने के लिये इस पर लगातार प्रयाश कर रहे हैं । 

NASA को जितना वैदिक विज्ञान समझ में आया हैं, उसी के आधार पर 360+360 = 720 और 720 को 12 भागों में divide किया हुआ हैं । 
जिसमे से 1 divide 30 डिग्री का बना, उस 30 डिग्री = 1 महीना को base बनाकर 720 से भाग करके 24 घंटा बनाया हैं । 720/30 = 24
12 महीने को 720 से divide करके 60 मिनट बनाया हैं और यह 60 मिनट = 1 घंटा बना । 720/12 = 60

फिर 60 को 24 से गुना करके 1440 मिला । 60X24 = 1440

1440 लाइन वाला एक circle बनाया, उसमे एक line से दुसरे line की दुरी को मिनट बनाया हुआ हैं और यह 1 मिनट = 1 डिग्री का ¼ चौथा भाग हैं । 

इस theory द्वारा अभी का सभी calculation हो रहा है । 

किन्तु वैदिक-विज्ञान इसी theory को अपनाते हुए सम्पूर्ण universe के time measurement को समझाने के लिये 9 प्रकार के calculation करके बताया हैं की कौन-सी जगह के लिये, किस प्रकार की कैलकुलेशन करना हैं । 

उन 9 प्रकार के कैलकुलेशन का नाम :-
(1) ब्रह्मा 
(2) प्राजापत्य 
(3) वृहस्पति 
(4) दिव्य 
(5) पित्र्य 
(6) सौर 
(7) सावन 
(8) चन्द्र 
(9) नक्षत्र हैं ।

इनमे से जो “सावन” वाले नाम हैं, वही तिथि संज्ञक हैं ।
इसी तिथि संज्ञक theory द्वारा सम्पूर्ण universe के काल-चक्र द्वारा past, present & future की घटानाओं का वर्णन किया हुआ हैं। 



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