Posts

Showing posts from August, 2022

तंत्र विद्या में ब्रह्मांड वर्णन

Image
श्रीयंत्र कांसा - रांगा, लकड़ी, कपड़ा और दीवार पर श्रीयंत्र नहीं बनाना चाहिए। श्रीयंत्र की रेखाएं सीधी बनानी चाहिए। यह पवित्र यंत्र तीन क्रम से बनाया जा सकता है। सहार क्रम में चार शिव त्रिकोण ऊपरी सिरे वाले ऊपर की ओर होते हैं और ५ शक्ति त्रिकोण निचले सिरेवाले नीचे की ओर होते हैं। स्थिति क्रम का श्रीयंत्र अलग तरीके से बनाया जाता है। सृष्टि क्रम से बनाए गये यंत्र में पांच शक्ति त्रिकोण निचले सिरे की ओर होते हैं। श्रीयंत्र की उपासना हमारे ज्ञानी, विज्ञानी ऋषियों द्वारा दिव्य दृष्टि के आधार पर शुरू की गयी थी। यह एक अति विराट कल्पना है।  इस अनंत ब्रह्मांड की सीमा नहीं है। आज के वैज्ञानिक भी इसकी सीमा का अनुमान नहीं लगा सकते। हजारों साल पहले हमारे ऋषियों ने भी यही बात कही थी। अनंत ब्रह्मांड में हमारी धरती का आकार एक बिंदु के बराबर भी नहीं है। तंत्र पुस्तकों में कहा गया है कि यह ब्रह्मांड बहुत बड़ा है। हमारी धरती से हमारे सूरज की दूरी लगभग नौ करोड़, तीस लाख मील है। तंत्र विद्या में धरती सहित सभी ग्रह इसकी परिक्रमा करते हैं। हमारी धरती और ग्रहों में सात लोकों की कल्पना की गयी ह...