हिंदी दिवस 2022 विशेष
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हिंदी दिवस 2022
Hindi Diwas 2022: देश में हर साल 14 सितंबर को हिंदी दिवस मनाया जाता है. हिन्दी भाषा को बढ़ावा देने के मकसद से यह दिन मनाया जाता है. हिंदी दिवस एक बार नहीं बल्कि साल में दो बार मनाया जाता है. 14 सितंबर, 1949 में देवनागरी लिपि में हिंदी को भारत की आधिकारिक भाषा घोषित किया गया था. इसके बाद हिंदी का महत्व बढ़ाने और इसे हर क्षेत्र में प्रसारित करने के लिए 1953 से हर साल देशभर में 14 सितंबर को हिंदी दिवस मनाया जाने लगा. इसके अलावा 10 जनवरी को विश्व हिंदी दिवस सेलिब्रेट किया जाता है.
क्या है हिंदी दिवस का इतिहास?
हिंदी देश की पहली और विश्व की ऐसी तीसरी भाषा है, जिसे सबसे ज्यादा बोला जाता है. भारत में 70 फीसदी से भी ज्यादा लोग हिंदी बोलते हैं. संविधान की धारा 343(1) के अनुसार हिंदी और लिपि देवनागरी भारतीय संघ की राजभाषा है. संविधान सभा की एक लंबी चर्चा के बाद 14 सितंबर को 1949 को हिंदी को भारत की राजभाषा के रूप में स्वीकार किया गया. तब से 14 सितंबर को हिंदी दिवस और 10 जनवरी को विश्व हिंदी दिवस मनाया जाने लगा.
क्यों मनाया जाता है हिंदी दिवस
14 सितंबर को हिंदी के महान साहित्यकार व्यौहार राजेंद्र सिंह का जन्मदिन भी है. इसलिए इस दिन को हिंदी दिवस के रूप में मनाया जाता है. हिंदी को विशेष दर्जा दिलवाने में गोविंद दस, हजारीप्रसाद द्विवेदी, काका कालेलकर और मैथिलीशरण गुप्त का अहम योगदान रहा है. साल 1918 में महात्मा गांधी ने एक हिंदी साहित्य सम्मेलन के दौरान हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने के लिए कहा था.
फारसी शब्द हिंद से बनी हिन्दी
हिंदी का नाम फारसी शब्द ‘हिंद’ से लिया गया है, जिसका अर्थ है सिंधु नदी की भूमि. फारसी बोलने वाले तुर्क जिन्होंने गंगा के मैदान और पंजाब पर आक्रमण किया, 11वीं शताब्दी की शुरुआत में सिंधु नदी के किनारे बोली जाने वाली भाषा को ‘हिंदी’ नाम दिया था. यह भाषा भारत की आधिकारिक भाषा है और संयुक्त अरब अमीरात में एक मान्यता प्राप्त अल्पसंख्यक भाषा है.
हिन्दी को लेकर कुछ अनसुनी बातें.
1. हिंदी की पहली कविता प्रख्यात कवि ‘अमीर खुसरो’ ने लिखी थी. हिंदी भाषा के इतिहास पर पुस्तक लिखने वाला पहला लेखक भारतीय नहीं था, बल्कि एक फ्रांसीसी लेखक Grasim the Taisi था.
2. साल 1977 में, देश के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने गर्व के साथ हिंदी भाषा के प्रति सम्मान दिखाते हुए संयुक्त राष्ट्र में हिंदी भाषा में भाषण प्रस्तुत किया था.
3. 26 जनवरी 1950 को संसद के अनुच्छेद 343 के तहत हिंदी को प्राथमिक भाषा माना गया था.
4. ऑक्सफोर्ड डिक्शनरी में 'अच्छा' और 'सूर्य नमस्कार' जैसे कई हिंदी शब्दों को शामिल किया गया है.
5.हिंदी में पहली फिल्म राजा हरिशचंद्र थी.
6. 1950 में हिंदी को राजभाषा का दर्जा मिला था.
7. साल 2009 में गूगल ने अपने सर्च इंजन में हिंदी की शुरुआत की थी.
8. भारत के अलावा मॉरीशस, फिलीपींस, नेपाल, फिजी, गुयाना, सूरीनाम, त्रिनिदाद, तिब्बत और पाकिस्तान में हिंदी बोली और समझी जाती है.
दुनिया की इन टॉप 5 यूनिवर्सिटी में भी पढ़ाई जाती हिंदी
1. वाशिंगटन विश्वविद्यालय (University of Washington)- अमेरिका की वाशिंगटन यूनिवर्सिटी में हिंदी भाषा में स्नातक और स्नातकोत्तर दोनों ही कोर्सेज किए जा सकते हैं. हिंदी में वहां से BA, MA तथा Ph.D. कोर्स के लिए अप्लाई किया जा सकता है.
2. लंदन विश्वविद्यालय (University of London)- लंदन यूनिवर्सिटी में भी हिंदी में ग्रेजुएट और पोस्ट ग्रेजुएट दोनों लेवल के कोर्स चलाए जा रहे हैं.
3. शिकागो विश्वविद्यालय (University of Chicago)- शिकागो विश्वविद्यालय में हिंदी में एक साल, दो साल, तीन साल और चार साल का कोर्स चलाए जा रहे हैं. इनके अलावा यहां पर हिंदी साहित्य और कल्चर पर आधारित एडवांस्ड कोर्स भी कराए जाते हैं.
4. कॉर्नेल विश्वविद्यालय (Cornell University)- इस अमेरिकी विश्वविद्यालय में हिंदी भाषा में तीन कोर्स चलाए जा रहे हैं.
5. टोक्यो यूनिवर्सिटी (Tokyo University)- टोक्यो यूनिवर्सिटी में 1909 से हिंदी पढ़ाई जा रही है. जापान में हिन्दी को लोकप्रिय करने में आकियो हागा ने अहम भूमिका निभाई है.
इन फेमस लोगों ने भी हिंदी को अपनाया
1. बराक ओबामा- साल 2015 में अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा ने भारत यात्रा के दौरान दिल्ली के सिरी फोर्ट ऑडिटोरियम में अपने सार्वजनिक भाषण में 'बहुत धन्यवाद' और 'जय हिंद' जैसे शब्द इस्तेमाल किए थे.
2. डोनाल्ड ट्रंप- डोनाल्ड ट्रंप ने 2016 के राष्ट्रपति चुनाव से पहले अपने कैंपेन एड के लिए पीएम मोदी के मेन कैंपेन स्लोगन अब की बार, मोदी सरकार का इस्तेमाल किया था.
3. डेविड कैमरन- 14 नवंबर, 2015 को लंदन के वेम्बली स्टेडियम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का परिचय कराते हुए ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री डेविड कैमरन ने उनका 'अच्छे दिन' नारे का इस्तेमाल किया था.
4. अब्दुल्ला शाहिद- 2020 में मालदीव के विदेश मंत्री अब्दुल्ला शाहिद ने कोविड-19 महामारी से लड़ने के लिए वित्तीय सहायता के लिए भारत को हिन्दी में धन्यवाद दिया था.
5. पूर्व पीएम बेंजामिन नेतन्याहू- पीएम मोदी जब 2015 में अपने ऐतिहासिक दौरे पर इस्राइल गए थे तो वहां के तत्कालीन पीएम नेतन्याहू ने पीएम मोदी का स्वागत हिंदी में किया था. उन्होंने कहा- स्वागत है मेरे दोस्त.
6. पूर्व पीएम स्कॉट मॉरिसन-ऑस्ट्रेलिया के पूर्व पीएम स्कॉट मॉरीसनअनेक मौके पर मॉरीशस हिंदी बोलते दिखाई देते हैं. होली के त्योहार में भी उन्होंने हिंदी में- होली की शुभकामनाएं बोलकर लोगों को बधाई संदेश दिया था.
दूसरी भाषाओं से हिंदी में आए शब्द
ट्रेन (अंग्रेजी)
मोबाइल (अंग्रेजी)
चाय (मंदारिन)
रिक्शा (जापानी)
चाबी (पुर्तगाली)
साइकिल (अंग्रेजी)
टैब (अंग्रेजी)
इंटरनेट (अंग्रेजी)
क्वारंटाइन (अंग्रेजी)
मोटर (अंग्रेजी)
पंप (अंग्रेजी)
स्टेशन (अंग्रेजी)
पुलिस (अंग्रेजी)
सर्कस (अंग्रेजी)
नंबर (अंग्रेजी)
कार (अंग्रेजी)
बिल (अंग्रेजी)
प्रिंसिपल (अंग्रेजी)
डॉक्टर (अंग्रेजी)
हिंदी आती है तो इन 5 तरीकों से कमाएं पैसा
1. ब्लॉग से कमाई- जिन लोगों को अच्छी हिंदी लिखनी आती है वे ब्लॉग से पैसे कमा सकते हैं.
2. ई-ट्यूशन से कमाई- इंटरनेट पर हिंदी का क्रेज काफी बढ़ गया है. ऐसे में ई-ट्यूशन भी कमाई का अच्छा रास्ता हो सकता है.
3. फ्रीलांसिंग कंटेंट राइटिंग- कंटेंट राइटिंग का भी आजकल बहुत डिमांड है. कई संस्थान फ्रीलांसिंग के तौर पर लोगों को काम देते हैं.
4. रिसर्च से कमाई- कुछ संस्थान अपने ऑर्गेनाइजेशन के लिए हिन्दी के रिसर्च का काम करवाते हैं. ऐसे संस्थान कम समय में काम करने के ज्यादा पैसे देते है.
5. यूट्यूब से कमाई- हिंदी भाषा यूट्यूब चैनल बनाकर भाषा से जुड़ी यूनिक चीजें अपलोड कर आप काफी पैसा कमा सकते हैं।
*हिंदी*
हमारी *हिंदी*
राष्ट्र भाषा है *हिंदी*
हिन्द देश की आन है *हिंदी*
संस्कृत की लाडली बेटी है *हिंदी*
हिंदुस्तान की तो मातृभाषा है *हिंदी*
हमारा मान,सम्मान,अभिमान है *हिंदी*
हिंदुस्तान के माथे की तो बिंदी है यह *हिंदी*
सुंदर, मीठी, सरल और सहज भाषा है *हिंदी*
हम सबकी एकता की अनुपम परंपरा है *हिंदी*
सब जन को एकसूत्र में पिरोने वाली डोर है *हिंदी*
काल को जीत लिया वो कालजयी भाषा है *हिंदी*
स्वतंत्रता की अलख जगाने वाली भाषा है *हिंदी*
जिसके बिना हिंद थम जाए वो भाषा है *हिंदी*
गुलामी की जंजीर तोड़ने वाली थी *हिंदी*
हिंदुस्तान की तो जीवन रेखा है *हिंदी*
वीर सपूतों की लाडली थी *हिंदी*
स्वतंत्रता की कहानी है *हिंदी*
पराई नहीं अपनी है *हिंदी*
आपकी भी है *हिंदी*
मेरी भी है *हिंदी*
सबकी *हिंदी*
हिंदी *हिंदी*
*हिंदी*
हिंदी बोलनी महंगी भी पड़ गई
बैंक में लोन सैंक्शन हो गया था. बैंक मैनेजर ने चेक देने के लिए हाथ बढ़ाया। मैंने कृतज्ञता पूर्वक कहा *"आपका यह ऋण मैं जिंदगी भर नही चुका सकूंगा।"* फिर बैंक मैनेजर ने हाथ पीछे खींच लिया और चेक अपने दराज में रख लिया। *सीख:* *ज्यादा मुंशी प्रेमचंद बनने की कोशिश न करे, कई बार हिंदी बोलनी महंगी भी पड़ जाती है*
उज्जवल भारत की माथे की बिंदी।
शान से लिखती मैं मातृभाषा हिंदी।।
सबको मीठी बोली लगती प्यारी।
विश्व में भारत की पहचान है हिंदी।।
सभी भाषा को अपनाया ये बोली।
सबको भाती प्यारी लगती हिंदी।।
प्रिया भारत की मातृभाषा प्यारी।
देश का गौरव अभिमान है हिंदी।।
*ऐसा चमत्कार केवल "हिंदी" में ही हो सकता है …*
*चार मिले चौंसठ खिले*
*बीस रहे कर जोड़!*
*प्रेमी सज्जन दो मिले*
*खिल गए सात करोड़!!*
मुझसे एक बुजुर्गवार ने इस कहावत का अर्थ पूछा....
काफी सोच-विचार के बाद भी जब मैं बता नहीं पाया,
तो मैंने कहा –
"बाबा आप ही बताइए,
मेरी समझ में तो कुछ नहीं आ रहा !"
तब एक रहस्यमयी मुस्कान के साथ बाबा समझाने लगे –
"देखो बेटे, यह बड़े रहस्य की बात है...
*चार मिले* – मतलब जब भी कोई मिलता है,
तो सबसे पहले आपस में दोनों की आंखें मिलती हैं,
इसलिए कहा, चार मिले..
फिर कहा, *चौसठ खिले* – यानि दोनों के बत्तीस-बत्तीस दांत – कुल मिलाकर चौंसठ हो गए,
इस तरह “चार मिले, चौंसठ खिले”
हुआ!"
*बीस रहे कर जोड़* – दोनों हाथों की दस उंगलियां – दोनों व्यक्तियों की 20 हुईं – बीसों मिलकर ही एक-दूसरे को प्रणाम की मुद्रा में हाथ बरबस उठ ही जाते हैं!"
“प्रेमी सज्जन दो मिले” – जब दो आत्मीय जन मिलें – यह बड़े रहस्य की बात है – क्योंकि मिलने वालों में आत्मीयता नहीं हुई तो
“न बीस रहे कर जोड़” होगा और न "चौंसठ खिलेंगे”
उन्होंने आगे कहा,
"वैसे तो शरीर में रोम की गिनती करना असम्भव है,
लेकिन मोटा-मोटा साढ़े तीन करोड़ बताते हैं, बताने वाले !
तो कवि के अंतिम रहस्य – *प्रेमी सज्जन दो मिले* – *खिल गए सात करोड़!*
का अर्थ हुआ कि जब कोई आत्मीय हमसे मिलता है,
तो रोम-रोम खिलना स्वाभाविक ही है भाई – जैसे ही कोई ऐसा मिलता है,
तो कवि ने अंतिम पंक्ति में पूरा रस निचोड़ दिया – “खिल गए सात करोड़” यानि हमारा रोम-रोम खिल जाता है!"
भई वाह, आनंद आ गया।
हमारी कहावतों में कितना सार छुपा है।
एक-एक शब्द चाशनी में डूबा हुआ,
हृदय को भावविभोर करता हुआ!
*इन्हीं कहावतों के जरिए हमारे बुजुर्ग, जिनको हम कम पढ़ा-लिखा समझते थे, हमारे अंदर गाहे-बगाहे संस्कार का बीज बोते रहते थे।*
हिन्दी दिवस का इतिहास
हिन्दी दिवस का इतिहास और इसे दिवस के रूप में मनाने का कारण बहुत पुराना है। वर्ष 1918 में सृजन पति तिवारी ने इसे जनमानस की भाषा कहा था और इसे देश की राष्ट्रभाषा भी बनाने को कहा था। लेकिन आजादी के बाद ऐसा कुछ नहीं हो सका। सत्ता में आसीन लोगों और जाति-भाषा के नाम पर राजनीति करने वालों ने कभी हिन्दी को राष्ट्रभाषा बनने नहीं दिया।
1947 के बाद
स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद हिन्दी को राष्ट्रभाषा का दर्जा दिलाने के लिए काका कालेलकर, मैथिलीशरण गुप्त,रामचंद्र शुक्ल, हजारी प्रसाद द्विवेदी, सेठ गोविन्ददास और व्यौहार राजेन्द्र सिंह आदि लोगों ने बहुत से प्रयास किए। जिसके चलते इन्होंने दक्षिण भारत की कई यात्राएँ भी की।
हिन्दी दिवस की शुरुआत (1949 से 1950)
अंग्रेजी भाषा के बढ़ते चलन और हिंदी की अनदेखी को रोकने के लिए हर साल 14 सितंबर को देशभर में हिंदी दिवस मनाया जाता है।आजादी मिलने के दो साल बाद 14 सितंबर 1949 को संविधान सभा में एक मत से हिंदी को राजभाषा घोषित किया गया था और इसके बाद से हर साल 14 सितंबर को हिंदी दिवस के रूप में मनाया जाने लगा। दरअसल 14 सितम्बर 1949 को हिन्दी के पुरोधा व्यौहार राजेन्द्र सिंहा का 50-वां जन्मदिन था, जिन्होंने हिन्दी को राष्ट्रभाषा बनाने के लिए बहुत लंबा संघर्ष किया । स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद हिन्दी को राष्ट्रभाषा के रूप में स्थापित करवाने के लिए काका कालेलकर, मैथिलीशरण गुप्त, हजारीप्रसाद द्विवेदी, महादेवी वर्मा, सेठ गोविन्ददास आदि साहित्यकारों को साथ लेकर व्यौहार राजेन्द्र सिंहा ने अथक प्रयास किए। इसके चलते उन्होंने दक्षिण भारत की कई यात्राएं भी कीं और लोगों को मनाया ।
भारत की राजभाषा नीति (1950 से 1965)
26 जनवरी 1950 को भारतीय संविधान लागू होने के साथ साथ राजभाषा नीति भी लागू हुई। संविधान के अनुच्छेद 343 (1) के तहत यह स्पष्ट किया गया है कि भारत की राजभाषा हिंदी और लिपि देवनागरी है। संघ के शासकीय प्रयोजनों के लिए प्रयोग होने वाले अंकों का रूप भारतीय अंकों का अंतर्राष्ट्रीय रूप है। हिंदी के अतिरिक्त अंग्रेजी भाषा का प्रयोग भी सरकारी कामकाज में किया जा सकता है। अनुच्छेद 343 (2) के अंतर्गत यह भी व्यवस्था की गई है कि संविधान के लागू होने के समय से 15 वर्ष की अवधि तक, अर्थात वर्ष 1965 तक संघ के सभी सरकारी कार्यों के लिए पहले की भांति अंग्रेज़ी भाषा का प्रयोग होता रहेगा। यह व्यवस्था इसलिए की गई थी कि इस बीच हिन्दी न जानने वाले हिन्दी सीख जायेंगे और हिन्दी भाषा को प्रशासनिक कार्यों के लिए सभी प्रकार से सक्षम बनाया जा सकेगा।
अनुच्छेद 344 में यह कहा गया कि संविधान प्रारंभ होने के 5 वर्षों के बाद और फिर उसके 10 वर्ष बाद राष्ट्रपति एक आयोग बनाएँगे, जो अन्य बातों के साथ साथ संघ के सरकारी कामकाज में हिन्दी भाषा के उत्तरोत्तर प्रयोग के बारे में और संघ के राजकीय प्रयोजनों में से सब या किसी के लिए अंग्रेज़ी भाषा के प्रयोग पर रोक लगाए जाने के बारे में राष्ट्रपति को सिफारिश करेगा। आयोग की सिफारिशों पर विचार करने के लिए इस अनुच्छेद के खंड 4 के अनुसार 30 संसद सदस्यों की एक समिति के गठन की भी व्यवस्था की गई। संविधान के अनुच्छेद 120 में कहा गया है कि संसद का कार्य हिंदी में या अंग्रेजी में किया जा सकता है।
वर्ष 1965 तक 15 वर्ष हो चुका था, लेकिन उसके बाद भी अंग्रेजी को हटाया नहीं गया और अनुच्छेद 334 (3) में संसद को यह अधिकार दिया गया कि वह 1965 के बाद भी सरकारी कामकाज में अंग्रेज़ी का प्रयोग जारी रखने के बारे में व्यवस्था कर सकती है। अंग्रेजी और हिन्दी दोनों भारत की राजभाषा है।
अंग्रेज़ी का विरोध (1965 से 1967)
अंग्रेजी हटाओ आंदोलन
26 जनवरी 1965 को संसद में यह प्रस्ताव पारित हुआ कि "हिन्दी का सभी सरकारी कार्यों में उपयोग किया जाएगा, लेकिन उसके साथ साथ अंग्रेज़ी का भी सह राजभाषा के रूप में उपयोग किया जाएगा।" वर्ष 1967 में संसद में "भाषा संशोधन विधेयक" लाया गया। इसके बाद अंग्रेज़ी को अनिवार्य कर दिया गया। इस विधेयक में धारा 3(1) में हिन्दी की चर्चा तक नहीं की गई। इसके बाद अंग्रेज़ी का विरोध शुरू हुआ। 5 दिसंबर 1967 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने राज्यसभा में कहा कि हम इस विधेयक में विचार विमर्श करेंगे।
वर्ष 1990 व उसके बाद
वर्ष 1990 में प्रकाशित एक पुस्तक "राष्ट्रभाषा का सवाल" में शैलेश मटियानी जी ने यह सवाल किया था कि हम 14 सितम्बर को ही हिन्दी दिवस क्यों मनाते हैं। इस पर प्रेमनारायण शुक्ला जी ने हिन्दी दिवस के दिन इलाहाबाद में इसके कारण को बताया था कि इस दिन ही हिन्दी भाषा के लिए कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए थे। इस कारण इस दिन को राष्ट्रीय पर्व के रूप में मनाया जाता है। लेकिन वे इस जवाब से संतुष्ट नहीं थे। उन्होंने कहा कि इस दिन को हम राष्ट्रभाषा या राजभाषा दिवस के रूप में क्यों नहीं मनाते हैं। इसके साथ ही शैलेश जी ने इस दिन हिन्दी दिवस मनाने को शर्मनाक पाखंड करार दिया था।
कोई भी हिन्दुस्तानी जहां भी हो, दूसरे हिंदुस्तानी से हिन्दी भाषा के जरिए ही अपनी भावनाओं को अभिव्यक्त करता है। अपने मन की बात अगर किसी भाषा में सहजता से की जा सकती है तो वो हिंदी ही है।
देश भर के हर स्कूल, कॉलेज और सरकारी कार्यालय में हिंदी दिवस ( Hindi Diwas ) बेहद उत्साह के साथ मनाया जा रहा है। 14 सितबंर का दिन वाकई हर भारतवासी के लिए गर्व का दिन है। ये पूरे देश को एक रखने वाली भाषा हिंदी का दिन है। सांस्कृतिक विविधताओं से भरे देश भारत में हिंदी दिवस के दिन की अहमियत बहुत ज्यादा है। भारत के विभिन्न क्षेत्रो में लोगों का खान-पान, रहन-सहन, वेश-भूषा, शारीरिक गठन, यहां तक की विचारधारा भी अलग-अलग प्रकार की है। भारत के विभिन्न भागों में अलग-अलग धर्म हिन्दू, मुस्लिम, सिक्ख, ईसाई, बौद्ध, पारसी तथा जैन धर्म के अनुयायी रहते हैं। और ये धर्म विभिन्न जातियों में बंटे हैं। विभिन्न क्षेत्रों के लोग अलग अलग भाषाएं बोलते हैं। धर्म, जाति, भाषा, संस्कृति की इन विविधताओं के फासलों को हिंदी खत्म कर देती है। हिंदी ही है तो अलग अलग क्षेत्रों की लोगों के दिलों की दूरियों को मिटाती है और सभी को एकता के सूत्र में बांधे रखती है।
कोई भी हिन्दुस्तानी जहां भी हो, दूसरे हिंदुस्तानी से हिन्दी भाषा के जरिए ही अपनी भावनाओं को अभिव्यक्त करता है। अपनी दिल और मन की बात अगर किसी भाषा में सहजता से की जा सकती है तो वो हिंदी ही है। आज देश का शायद ही ऐसा कोई हिस्सा हो जहां हिंदी सहजता से बोली या समझी ना जाती हो। हिंदी केवल हमारी मातृभाषा या राष्ट्रभाषा ही नहीं अपितु यह राष्ट्रीय अस्मिता और गौरव का प्रतीक है।
क्यों मनाया जाता है हिन्दी दिवस
आजादी मिलने के दो साल बाद 14 सितबंर 1949 को संविधान सभा में एक मत से हिंदी को राजभाषा घोषित किया गया था। इस निर्णय के बाद हिंदी को हर क्षेत्र में प्रसारित करने के लिए राष्ट्रभाषा प्रचार समिति, वर्धा के अनुरोध पर 1953 से पूरे भारत में 14 सितंबर को हर साल हिंदी दिवस के रूप में मनाया जाने लगा। 14 सितंबर 1953 को पहली बार देश में हिंदी दिवस मनाया गया।
हिन्दी से जुड़ी 10 दिलचस्प बातें
1. इंग्लिश और मंदारिन के बाद हिंदी विश्व की तीसरी सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा है।
2. दुनिया की सबसे प्रसिद्ध ऑक्सफोर्ड डिक्शनरी (शब्दकोश) हर साल भारतीय शब्दों को जगह दे रही है।
ऑक्सफोर्ड ने आत्मनिर्भरता, चड्डी, बापू, सूर्य नमस्कार, आधार, नारी शक्ति और अच्छा शब्द को भी अपने प्रतिष्ठित शब्दकोश में जगह दी है। साल 2017 में ऑक्सफोर्ड ने करीब 70 भारतीय शब्दों को शामिल किया था, जिनमें 33 से ज्यादा हिंदी थे। ‘अरे यार!’, भेलपूरी, चूड़ीदार, ढाबा, बदमाश, चुप, फंडा, चाचा, चौधरी, चमचा, दादागीरी, जुगाड़, पायजामा, कीमा, पापड़, करी, चटनी, अवतार, चीता, गुरु, जिमखाना, मंत्र, महाराजा, मुग़ल, निर्वाण, पंडित, ठग, बरामदा जैसे शब्द पहले से शामिल हैं।
3. दक्षिण प्रशांत महासागर क्षेत्र में फिजी नाम का एक द्वीप देश है जहां हिंदी को आधिकारिक भाषा का दर्जा दिया गया है।
4. भारत के अलावा मॉरीशस, फिलीपींस, नेपाल, फिजी, गुयाना, सुरिनाम, त्रिनिदाद, तिब्बत और पाकिस्तान में कुछ परिवर्तनों के साथ ही सही लेकिन हिंदी बोली और समझी जाती है।
5. हिंदी में उच्चतर शोध के लिए भारत सरकार ने 1963 में केंद्रीय हिंदी संस्थान की स्थापना की। देश भर में इसके आठ केंद्र हैं।
6. अभी विश्व के सैंकड़ों विश्वविद्यालयों में हिन्दी पढ़ाई जाती है और पूरी दुनिया में करोड़ों लोग हिन्दी बोलते हैं। अमेरिका में लगभग एक सौ पचास से ज्यादा शैक्षणिक संस्थानों में हिंदी का पठन-पाठन हो रहा है।
7. हिंदी को वैश्विक स्तर पर बढ़ावा देने के लिए 1975 से ‘विश्र्व हिंदी सम्मेलन’ का आयोजन शुरू किया गया। हिंदी को वैश्विक स्तर पर बढ़ावा देने के लिए 10 जनवरी को हर साल विश्व हिंदी दिवस भी आयोजित किया जाता है।
8. भारत, फिजी के अलावा मॉरीशस, फिलीपींस, अमेरिका, न्यूजीलैंड, यूगांडा, सिंगापुर, नेपाल, गुयाना, सुरिनाम, त्रिनिदाद, तिब्बत, दक्षिण अफ्रीका, सूरीनाम ,यूनाइटेड किंगडम, जर्मनी और पाकिस्तान में कुछ परिवर्तनों के साथ ही सही लेकिन हिंदी बोली और समझी जाती है।
9. हिंदी का नाम फारसी शब्द ‘हिंद’ से लिया गया है, जिसका अर्थ है सिंधु नदी की भूमि। फारसी बोलने वाले तुर्क जिन्होंने गंगा के मैदान और पंजाब पर आक्रमण किया, 11वीं शताब्दी की शुरुआत में सिंधु नदी के किनारे बोली जाने वाली भाषा को ‘हिंदी’ नाम दिया था। यह भाषा भारत की आधिकारिक भाषा है और संयुक्त अरब अमीरात में एक मान्यता प्राप्त अल्पसंख्यक भाषा है।
10. मत बंटने से हिंदी नहीं बन पाई देश की राष्ट्रभाषा
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने हिन्दी को जनमानस की भाषा कहा था। वह चाहते थे कि हिन्दी राष्ट्रभाषा बने। उन्होंने 1918 में आयोजित हिन्दी साहित्य सम्मेलन में हिन्दी को राष्ट्र भाषा बनाने के लिए कहा था। आजादी मिलने के बाद लंबे विचार-विमर्श के बाद आखिरकार 14 सितंबर 1949 को संविधान सभा में हिन्दी को राज भाषा बनाने का फैसला लिया गया। हिन्दी का राष्ट्रभाषा बनाए जाने के विचार से बहुत से लोग खुश नहीं थे। कइयों का कहना था कि सबको हिंदी ही बोलनी है तो आजादी के क्या मायने रह जाएंगे। ऐसे में हिंदी राष्ट्रभाषा नहीं बन सकी।
हिंदी दिवस की शुभकामनाएं🙏🏻
हिन्दी भाषा की सम्पन्नता
स्त्री, बहू, वधू, तिय, बन्नो, बन्नी, प्रिया, दारा, नारी, वामा, भार्या, जाया, कान्ता, जोरू, पत्नी, लुगाई, औरत, कलत्र, दयिरा, सजनी, वनिता, गेहिनी, गृहिणी, जनाना, तिरिया, श्रीमती, संगिनी, दुल्हन, सहचरी, दुलहिन, वल्लभा, घरवाली, प्राणेश्वरी, प्रियतमा, वामांगना, धर्मपत्नी, परिणीता, हृदयेश्वरी, गृहलक्ष्मी, प्राणप्रिया, अर्धांगिनी, वामांगिनी, सहधर्मिणी,सहगामिनी, गृहस्वामिनी, अंकशायिनी, प्राणवल्लभा, जीवनसंगिनीआदि।
अंग्रेजी में सिर्फ
wife
हिन्दी दिवस की सभी को शुभकामनाएं
हिंदी दिवस:-
पूछती हो बच्चों को तेरे
हिंदी पढ़नी क्यो नहीं आती
क्या बोलूँ विश्वीयकरण में
अंग्रेजी सबको है भाती
सारे विषय अंग्रेजी में ही
इंजीनियरिंग या फिर डॉक्टरी
यहाँ तक कि अदालतों में भी
अंग्रेज़ी की ही लग रही झड़ी
फिर भी उनकी बोली में है
कहीं तो झलक हिंदी की
चलो कहीं तो लाज रखी
माँ के चंद्र बिंदी की
कहते माँ मुश्किल बड़ी है
हिंदी की तत्सम भाषा
मैं बोली तत्भव के पदों का
देखो तुम अब तमाशा
भाषा हिंदी सरल बड़ी है
मीठी जैसे शक्कर
दोहे देख के आते क्यूँ
भला तुम को चक्कर
मुश्किल हो कोई शब्द तो
शब्दकोष ये बोले
अंग्रेज़ी के भी तो पोथे
तुमने हैं खखोले
भाषा चाहे राज्य की
या हो विश्वस्तरीय
भाषाएँ सारी ही
हैं सराहनीय
भाषा तो बस माध्यम है
क्या सोचूँ क्या बोलूँ
तू मेरे मन की सुन ले
और
मैं तेरे मन की पढ़ लूँ!...
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