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सूर्य की सात रश्मियों से सप्ताह की उत्पत्ति हुई है।

सूर्य की सात रश्मियों से सप्ताह की उत्पत्ति हुई है।

******* पुरा ग्रंथों में छिपा विज्ञान *******

कूर्मपुराण के "पूर्व विभाग" के 41वें अध्याय के तीसरे श्लोक से 7 वें श्लोक तक सूत जी ने शौनकादि ऋषियों को सूर्य की 7 रश्मियों से सप्ताह की उत्पत्ति बताते हुए कहा कि -

तीसरे और चौथे श्लोक में भगवान सूर्य की सात रश्मियों को देखिए -

 सुषुम्नो हरिकेशश्च विश्वकर्मा तथैव च।
 विश्वव्यचा:पुनश्चान्य:संयद्वसुरत:पर:।।3।।
 अर्वावसुरिति ख्यात:स्वराडन्य:प्रकीर्तित:।।
 
(1) सुषुम्न (2) हरिकेश (3) विश्वकर्मा (4) विश्वव्यचा (5) संयद्वसु (6) अर्वावसु (7) स्वराट् ।।

सूर्य भगवान की 7 रश्मियों के नाम हैं।

अब इन सातों रश्मियों का क्रम से सात ग्रहों पर प्रभाव देखिए।

 (1) प्रथम दिवस रवि-वार 
 (2) द्वितीय दिवस सोम-वार अर्थात चंद्र-वार 

 सुषुम्न:सूर्यरश्मिस्तु पुष्णाति शिशिरद्युतिम्।
 तिर्यगूर्ध्वप्रचारोsसौ   सुषुम्न:   परिपठ्यते।।

सूर्य की सुषुम्ना नाम की रश्मि तिर्यग् अर्थात टेढ़ी चलती हुई ऊर्ध्व अर्थात ऊपर की ओर जाती हुई, चन्द्रमा को पुष्ट करती है। चन्द्र ग्रह में जो प्रकाश है, वह सूर्य की सुषुम्ना नाम की रश्मि का प्रकाश है अर्थात सुषुम्ना नाम की रश्मि से चन्द्रमा का पोषण होता है। इसीलिए सप्ताह के दूसरे दिन का चंद्रवार या सोमवार कहा जाता है।

 ******* पुरा ग्रंथों में छिपा विज्ञान *******

 (3) तीसरा दिवस मंगल-वार

 संयद्वसुरिति ख्यात:स पुष्णाति च लोहितम्।।

सूर्य की संयद्वसु नामकी रश्मि, लोहित अर्थात मंगल ग्रह का पोषण करती है। इसीलिए सप्ताह का तीसरा मंगलवार कहा जाता है।

******* पुरा ग्रंथों में छिपा विज्ञान *******

 (4) चतुर्थ दिवस बुध-वार
 
विश्वकर्मा तथा रश्मिर्बुधं पुष्णाति सर्वदा।।

सूर्य की विश्वकर्मा नामकी रश्मि, बुध ग्रह का पोषण करती है। इसीलिए चतुर्थ दिवस को बुधवार नाम से कहा जाता है।

******* पुरा ग्रंथों में छिपा विज्ञान *******
 
(5) वृहस्पतिवार

 वृहस्पतिं प्रपुष्णाति रश्मिरर्वावसु:प्रभो।।

सूर्य की अर्वावसु नामकी रश्मि पांचवें दिन वृहस्पति ग्रह का पोषण करती है। इसीलिए सप्ताह के पांचवें दिन को वृहस्पतिवार कहते हैं।

******* पुरा ग्रंथों में छिपा विज्ञान *******

 (6) शुक्रवार

 विश्वव्यचास्तु यो रश्मि:शुक्रं पुष्णाति नित्यदा।।

छठवें दिन,सूर्य की विश्वव्यचा नामकी रश्मि शुक्र ग्रह का पोषण करती है। इसीलिए सप्ताह के छठवें दिन को शुक्रवार कहते हैं।

******* पुरा ग्रंथों में छिपा विज्ञान *******

 (7) शनिवार

 शनैश्चरं प्रपुष्णाति सप्तमस्तु स्वराट् तथा।।

सातवें दिन,सूर्य की स्वराट् नामकी रश्मि शनि ग्रह का पोषण करती है। इसीलिए सप्ताह के सातवें दिन को शनैश्चर अथवा शनिवार कहते हैं।

 एवं सूर्यप्रभावेण सर्वा नक्षत्रतारका:।
वर्धन्ते वर्धिता नित्यं नित्यमाप्याययन्ति च।।8।।

इस प्रकार से सूर्य भगवान की सातों रश्मियों से सभी नक्षत्र और तारागण तथा ग्रह बढ़ते हैं और बढ़ते हुए ग्रह नक्षत्र तारागण सारे संसार को पुष्ट करते हैं।

इसलिए सभी चारों वेदों में कहा गया है कि-

 सूर्य आत्मा जगतस्तस्थुषश्च

शरीरधारी जीवों का तथा घास पात, लता वृक्ष वनस्पति जड़ जीवों का आत्मा सूर्य ही है। सूर्य नहीं है तो कुछ भी नहीं है। 

इस प्रकार सप्ताह अर्थात सात दिनों के नाम ग्रहों के नाम पर कहे जाते हैं।

 सोमवार आदि ग्रह प्रधान नहीं हैं, अपितु सूर्य की सात रश्मियों के प्रभाव के कारण ही उन दिनों का नाम पड़ता है। सप्त अर्थात सात, अहन् अर्थात दिन। सात दिनों को सप्ताह कहते हैं। इसलिए सूर्य को अहर्पति भी कहते हैं। अर्थात अहन् अर्थात दिन। पति अर्थात रक्षक। दिन के स्वामी को अहर्पति कहते हैं ‌।

 सूर्य की आराधना करनेवाले को किसी भी ग्रह का प्रभाव नहीं पड़ता है।

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