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Showing posts from April, 2023

पंचामृत

*🌹पर्वों पर पंचामृत क्यों चढ़ाते हैं? 5 सामग्री के 5 शुभ संकेत हैं, जानिए पंचामृत के 10 स्वास्थ्य लाभ🌹* 💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐 *⭕मंदिर में सभी त्योहार या विशेष दिनों में पंचामृत देवताओं की मूर्ति के समक्ष अर्पित भी किया जाता है, शिवलिंग पर इसे चढ़ाया जाता है और सभी को इसे प्रसाद रूप में वितरित भी किया जाता है। आम दिनों में चरणामृत वितरित करते हैं। आओ जानते हैं पंचामृत के बारे में कुछ खास।*   *🚩पर्वों पर पंचामृत क्यों चढ़ाते हैं :-* पंचामत सभी देवी और देवताओं का प्रिय भोग है। इसे अर्पित करने से देवी और देवता प्रसन्न होकर आशीर्वाद देते हैं। पंचामृत को शिवलिंग पर अर्पित करने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं। पर्व और त्योहारों पर पंचामृत इसलिए वितरित किया जाता है ताकि इस बहाने यह लोगों के शरीर को लाभ पहुंचाए और लोग इसके महत्व को भी समझें।   *🪔5 सामग्री के 5 शुभ संकेत :- पंचामृत का अर्थ है 'पांच अमृत'। दूध, दही, घी, शहद, शकर को मिलाकर पंचामृत बनाया जाता है।* 📿📿📿📿📿📿📿📿📿📿  *🚩1. दूध-* दूध पंचामृत का प्रथम भाग है। यह शुभ्रता का प्रतीक है अर्थात हमारा जीवन दूध की तरह निष्कलं...

आम के पेड़ का महत्व

*🌹आम के पत्ते पूजा में शुभ क्यों माने गए हैं, 10 उपयोग🌹* 💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐 *🌸हिन्दू धर्म में पीपल, आम, बड़, गूलर एवं पाकड़ के पत्तों को ही शुभ और पवित्र 'पञ्चपल्लव' कहा जाता है। किसी भी शुभ कार्य में इन पत्तों को कलश में स्थापित किया जाता है या पूजा व अन्य मांगलित कार्यों में इनका अन्य तरीकों से उपयोग होता है। आम के पत्तों को भी शुभ माना गया है। आओ जानते हैं आम के पत्ते के 10 उपयोग।*   *🌷क्या है शुभ :-*  ज्योतिष में आम के पेड़ को मंगल का कारक बताया गया है। यह मेष राशि का पेड़ माना जाता है। इसलिए इसके पत्तों को मांगलिक कार्य में उपयोग करने को शुभ माना गया है। इसके बगैर पूजा पाठ संपन्न नहीं होता है।   *🌻आम के पत्तों के 10 उपयोग :-* 🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀  *🌷1.* घर के मुख्य द्वार पर आम की पत्तियां लटकाने से घर में प्रवेश करने वाले हर व्यक्ति के प्रवेश करने के साथ ही सकारात्मक ऊर्जा घर में आती है।   *🌷2.* आप के पत्तों का उपयोग जल कलश में भी होता है। कलश के जल में आम के पत्ते रखकर उसके उपर नारियल रखा जाता है। *🌷3.* यज्ञ की वेदी को सजाने में भी आम के पत्ते का...

वेद ज्ञान विज्ञान है

🙏ॐ नमो विश्वकर्मणे🙏 वेदों के अध्यन नही करेंगे तो संस्कृति खो देंगे वेद ही सब सत्य विधाओं की पुस्तक है वेद ज्ञान विज्ञान है इसलिए वेदों के अनुसरण करने चाहिए  त्वष्टा को पौराणिक संदर्भ में विश्वकर्मा कहा जाता है। जैसा कि आप पहले जान चुके हैं कि वैदिक साहित्य में त्वष्टा ( विश्वकर्मा ) को ही शिव, सविता, पशुपति, विष्णु, सृष्टिकर्ता, आदि नामो से जाना जाता है। त्वष्टा देव शिल्पी ( वैज्ञानिक) के रूप में विख्यात है। विभिन्न निर्माण कला में वे सक्षम है- त्वष्टा हि रुपाणि विकरोति( तैति० ब्रा० २,७,२,१) त्वष्टा वै रुपाणामीशे ( तैत्ति० स० १,४,७,१) त्वष्टा देव ने देवताओं के निमित्त वज्र, आयस, परशु,  भोज्य व पानाक वस्तुओं को रखने के लिए चमस बनाया है- उत त्य॑ चमस॑ नव॑ त्वष्टुर्देवस्य निष्कृतम। अकर्त चतुर:पुन:।।ऋ०१,१२०,६)  निर्माण में हाथ की महत्वपूर्ण भूमिका होती है अतएव त्वष्टा को सुपाणि कहा गया है-  सुकृत सुपाणि: स्वर्वा ऋतावा देवत्वष्टावसे तानि नो धातु। (ऋ०,३,५४,१२)  त्वष्टा भास्वरित ( देदिप्मान)  रुपो के निर्माता है-  प्रथमभाज॑ यशस॑ वयोधा॑ सुपाणि देव॑ सुगभस्तिमृ...

बसंत विषुव

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21 मार्च (बसंत विषुव) को सूर्य भूमध्य रेखा पर लम्बवत चमकता है और सम्पूर्ण विश्व में रात-दिन बराबर होते हैं। इस समय उत्तरी गोलार्द्ध में बसंत ऋतु होती है। इसके पश्चात् सूर्य उत्तरायण हो जाता है और 21 जून (ग्रीष्म संक्रांति) को कर्क रेखा पर लम्बवत होता है। इस समय उत्तरी गोलार्द्ध में अधिकतम सूर्यातप मिलता है और ग्रीष्म ऋतु होती है। इसके विपरीत दक्षिणी गोलार्द्ध में अल्पतम सूर्यातप प्राप्त होने के कारण शीत ऋतु होती है। इसके पश्चात् सूर्य की स्थिति पुनः दक्षिण की ओर होने लगती है और 23 सितम्बर (शरद विषुव) को पुनः सूर्य भूमध्य रेखा पर लम्बवत् होता है और सर्वत्र दिन-रात बराबर होते हैं। इस समय उत्तरी गोलार्द्ध में पतझड़ ऋतु होती है। सितम्बर से सूर्य दक्षिणायन होने लगता है और 22 दिसम्बर (शीत संक्रांति) को मकर रेखा पर लम्बवत् होता है। इस समय उत्तरी गोलार्द्ध में अल्पतम सूर्यातप प्राप्त होता है और यहाँ शीत ऋतु होती है जबकि दक्षिणी गोलार्द्ध में अधिकतम सूर्यातप की प्राप्ति के कारण ग्रीष्म ऋतु होती है। इस प्रकार उत्तरी गोलार्द्ध और दक्षिणी गोलार्द्ध में विपरीत ऋतुएं पायी जाती हैं। दिसंबर : विषुवत क...