हनुमान चालीसा में वर्णित है पृथ्वी से सूर्य के बीच की दूरी की नाप

हनुमान चालीसा में  वर्णित है पृथ्वी से सूर्य के बीच की दूरी की नाप

'जुग सहस्त्र जोजन पर भानू, 
लिल्यो ताहि मधुर फल जानू', 

हनुमान चालीसा की ये लाइनें तो आपने खूब सुनी होंगी, लेकिन आपको यह जानकर हैरानी होगी कि इसी दोहे से सूर्य और पृथ्वी के बीच की दूरी छापी हुई है।

ऐसे जाने सूर्य और पृथ्वी के बीच की दूरी।
हम आपको बता दें कि इस श्लोक में 'युग' का मतलब चार युगों कलयुग, द्वापर, त्रेता और सतयुग से है। 
कलयुग में 1200 वर्ष, 
द्वापर में 2400 वर्ष, 
त्रेता में 3600 वर्ष 
सतयुग में 4800 वर्ष माने गए हैं, जिनका 
कुल योग 12000 वर्ष है।

'सहस्त्र' का मतलब 1000 वर्ष है। 'योजन' का मतलब 8 मील से होता है (1 मील में 1.6 किमी होते हैं)। 

जुग (युग) सहस्त्र जोजन (योजन) 
= 1 युग ×  1000 योजन
= 12000 ×  1000 योजन
= 1,20,00,000 योजन

अब अगर 1 योजन को युग और सहस्त्र से गुणा कर दिया जाए तो 8 x 1.6 x 12000 x 1000=15,36,00000 (15 करोड़ 36 लाख किमी), जोकि सूर्य से पृथ्वी के बीच की प्रमाणिक दूरी है।
क्या है दोहे का अर्थ
'जुग (युग) सहस्त्र जोजन (योजन) पर भानु। 
लील्यो ताहि मधुर फल जानू' 
इस दोहे का सरल अर्थ यह है कि हनुमानजी ने एक युग सहस्त्र अर्थात 1000 योजन की दूरी पर स्थित भानु यानी सूर्य को मीठा फल समझकर लील लिया अर्थात खा लिया था।

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