चन्द्रयान अथवा चंद्रयान-1

चन्द्रयान (अथवा चंद्रयान-1) भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के चंद्र अन्वेषण कार्यक्रम के अंतर्गत द्वारा चंद्रमा की तरफ कूच करने वाला भारत का पहला अंतरिक्ष यान था। इस अभियान के अन्तर्गत एक मानवरहित यान को 22 अक्टूबर, 2008 को चन्द्रमा पर भेजा गया ।  इसका कार्यकाल लगभग 2 साल का होना था, परंतु 10 माह, 6 दिन सक्रिय रहने के बाद नियंत्रण कक्ष से संपर्क टूटने के कारण इसे उससे पहले 30 अगस्त, 2009  को बंद कर दिया गया। 

हालाँकि इस यान का नाम मात्र चंद्रयान था, किन्तु इसी शृंखला में अगले यान का नाम चन्द्रयान-2 होने से इस अभियान को चंद्रयान-1 कहा जाने लगा।

यह यान ध्रुवीय उपग्रह प्रमोचन यान (पोलर सेटलाईट लांच वेहिकल, पी एस एल वी) के एक संशोधित संस्करण वाले राकेट की सहायता से सतीश धवन अंतरिक्ष केन्द्र से प्रक्षेपित किया गया। चंद्रयान का उद्देश्य चंद्रमा की सतह के विस्तृत नक्शे और पानी के अंश और हीलियम की तलाश करना था।  

शनिवार 8 नवंबर 2008 को चन्द्रयान भारतीय समय अनुसार करीब 5 बजे सबसे मुश्किल दौर से गुजरते हुए चन्दमाँ की कक्षा में स्थापित हो गया।  इसे चन्द्रमा तक पहुँचने में 5 दिन लगे पर चन्द्रमा की कक्षा में स्थापित करने में 15 दिनों का समय लग गया। चंद्रयान-प्रथम ने चंद्रमा से 100 किमी ऊपर 525 किग्रा का एक उपग्रह ध्रुवीय कक्षा में स्थापित किया। यह उपग्रह अपने रिमोट सेंसिंग (दूर संवेदी) उपकरणों के जरिये चंद्रमा की ऊपरी सतह के चित्र भेजे।

शुक्रवार 14 नवंबर 2008 वैज्ञानिक उपकरण मून इंपैक्ट प्रोब (एमआईपी) को चंद्रमा के ध्रुवीय क्षेत्र में शाकेल्टन गड्ढे के पास चंद्र सतह पर उतरा। एमआईपी के चारों ओर भारतीय ध्वज चित्रित है। जिससे भारत चंद्रमा पर अपना झंडा लगाने वाला चौथा देश बन गया। यह चांद पर भारत की मौजूदगी का अहसास कराएगा।

शनिवार 29 अगस्त 2009 चंद्रयान-1 का नियंत्रण कक्ष से संपर्क टूट गया। रविवार 30 अगस्त 2009 भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने चंद्रयान प्रथम औपचारिक रूप से समाप्त कर दिया।

चन्द्रयान भारतीय अंतरिक्षयान प्रक्षेपण के अनुक्रम में २७वें उपक्रम के साथ भारत चाँद पर यान भेजने वाला छठा देश बन गया । इस उपक्रम से चन्द्रमा और मंगल ग्रह पर मानव-सहित विमान भेजने के लिये रास्ता खोल दिया।

मून इंपैक्ट प्रोब (एमआईपी) ने चंद्रमा की सतह पर पानी के कणों की मौजूदगी के पुख्ता संकेत दिए थे। चंद्रयान ने चांद पर पानी की मौजूदगी का पता लगाकर इस सदी की महत्वपूर्ण खोज की है। इसकी पुष्टि इस बात से होती है कि भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन [इसरो] ने दावा किया कि चांद पर पानी भारत की खोज है। चंद्रमा पर पानी की मौजूदगी का पता चंद्रयान-1 पर मौजूद भारत के अपने मून इंपैक्ट प्रोब [एमआईपी] ने लगाया। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के उपकरण ने भी चांद पर पानी होने की पुष्टि की है।



चन्द्रयान-1
Chandrayaan-1

मिशन प्रकारचन्द्र ऑर्बिटर
संचालक (ऑपरेटर)भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन
कोस्पर आईडी2008-052A
सैटकैट नं॰33405
वेबसाइटwww.isro.gov.in/Spacecraft/chandrayaan-1
मिशन अवधियोजना: 2 वर्ष
हासिल: 10 माह, 6 दिन
अंतरिक्ष यान के गुण
लॉन्च वजन1,380 किलोग्राम (3,040 पौंड)
मिशन का आरंभ
प्रक्षेपण तिथि22 अक्टूबर 2008, 00:52 यु.टी.सी
रॉकेटध्रुवीय उपग्रह प्रमोचन वाहन सी11
प्रक्षेपण स्थलद्वितीय लॉन्च पैडसतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र
ठेकेदारभारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन
मिशन का अंत
अंतिम संपर्क28 अगस्त 2009, 20:00 यु.टी.सी
कक्षीय मापदण्ड
निर्देश प्रणालीचन्द्र केन्द्रीय कक्ष
अर्ध्य-मुख्य अक्ष (सेमी-मेजर ऑर्बिट)1,758 किलोमीटर (1,092 मील)
विकेन्द्रता0.0
परिधि (पेरीएपसिस)200 किलोमीटर (120 मील)
उपसौर (एपोएपसिस)200 किलोमीटर (120 मील)
युग19 मई 2009
चन्द्र ऑर्बिटर
कक्षीय निवेशन8 नवंबर 2008

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