चंद्रयान

आप सभी को बधाई। इसरो का चँद्रयान-3 चाँद के दक्षिणी ध्रुव की सतह पर उतर गया है। भारत दुनिया का पहला देश बन गया है जिसका अभियान चाँद के दक्षिणी ध्रुव पर उतरा है। इसके पहले चाँद पर रुस, अमरीका और चीन का अभियान सफलतापूर्वक पहुंचा है लेकिन दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने वाला चँद्रयान-3 पहला अंतरिक्ष अभियान है। 2008 में शुरू हुआ चँद्रयान-1 का सफर आज अपनी मंज़िल पर पहुंच गया है। चाँद पर भेजे जाने वाले अभियान मुश्किल माने जाते हैं। यह मान कर चला जाता है कि असफलता मिलेगी इसलिए इस अभियान की सफलता का महत्व बहुत ज़्यादा है। 14 जुलाई को आंध्र प्रदेश के श्री हरिकोटा से चंद्रयान 3 लांच हुआ था। तब से इसमें कोई खराबी नहीं आई और आज सफलता सबके सामने है। इसरो के एक हजार से भी अधिक वैज्ञानिकों और इंजीनियरों की टीम को हमारी ओर से बधाई। आप सबको बधाई। 



साल 2008 में भेजे गए चंद्रयान-1 अभियान ने जब चंद्रमा पर पानी की पहचान की, तो इसे अंतरिक्ष के इतिहास की प्रमुख खोजों में शुमार किया गया।

चंद्रयान-1: पहली बार चंद्रमा पर पानी हमने खोजा
22 अक्तूबर, 2008 को भेजे गए चंद्रयान-1 में 90 किलो के 11 उपकरण थे। इसमें एक इम्पैक्टर और एक ऑर्बिटर मॉड्यूल था। इम्पैक्टर मॉड्यूलर को मून इम्पैक्ट प्रोब (एमआईपी) नाम दिया गया। यह 14 नवंबर, 2008 को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव में मौजूद शेकल्टन क्रेटर के निकट चंद्र सतह से टकराया। इससे मिले डाटा ने चंद्रमा पर पानी की मौजूदगी की पुष्टि में मदद की। अभियान में भेजे गए 11 उपकरणों में से 5 भारत के थे तो बाकी को अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम, जर्मनी, स्वीडन, और बुल्गारिया ने बनाया था। ऑर्बिटर के जरिये 100 किमी ऊंचाई से चंद्र सतह की रासायनिक, खनिज संबंधी और भूगर्भीय मैपिंग की गई। इसने चंद्रमा की कुल 3,400 परिक्रमाएं कीं। इसकी उम्र 2 वर्ष मानी गई थी। हालांकि अगस्त, 2009 में इससे संपर्क टूट गया। इसे 2012 में चंद्रमा पर गिरना था, लेकिन 2016 में भी नासा ने इसे चंद्रमा की परिक्रमा करता पाया।

ये उपलब्धियां भी अहम
चंद्रमा पर धातु व खनिज पहचाने : चंद्रमा की चट्टानों में लोहे, पूर्व घाटी क्षेत्र में लौह तत्व रखने वाले खनिज पाइरॉक्सीन व अन्य स्थलों पर एल्यूमीनियम, मैग्नीशियम, सिलिकॉन, टाइटेनियम और कैल्शियम की पहचान की गई। 70 हजार तस्वीरें, रहस्यमयी पिरामिड : चंद्र सतह के 5 मीटर तक के रिजोल्यूशन की 70 हजार तस्वीरें ली गईं। तिकोने पिरामिड जैसे पहाड़ की तस्वीर की पूरी दुनिया में चर्चा हुई। लावे से बनी 360 मीटर तक लंबी गुफाएं खोजीं, जो भविष्य में बेस बनाने में उपयोगी साबित हो सकती हैं।

चंद्रयान 2: ऑर्बिटर सात गुना करेगा काम
10 साल बाद भारत चंद्रयान-2 के जरिये चंद्रमा पर 22 जुलाई, 2019 को लौटा। इस बार ऑर्बिटर के साथ लैंडर और रोवर भी भेजे गए। इस अभियान का लक्ष्य ऑर्बिटर में लगे विभिन्न उपकरणों से चंद्रमा का वैज्ञानिक अध्ययन और चंद्र सतह पर लैंडर को उतारने व रोवर को चलाने की भारत की क्षमता को प्रदर्शित करना था। भारत अधिकतर तकनीकी प्रदर्शन करने में सफल रहा। प्रक्षेपण, चंद्रमा की कक्षा में विभिन्न मार्ग परिवर्तन, लैंडर और ऑर्बिटर का अलग होना, डी-बूस्टिंग, रफ ब्रेकिंग सफलता से पूरे हुए। आखिरी चरण में लैंडर धीरे-धीरे उतरने के बजाय क्रैश हो गया।

ऑर्बिटर ने किया कमाल
अभियान की आंशिक असफलता की कुछ भरपाई ऑर्बिटर ने अपनी कुशलता से की, इसे एक साल कार्य करने के लिए बनाया गया था, लेकिन माना जा रहा है कि यह कम से कम सात वर्ष तक काम करता रहेगा। इस दौरान यह मूल्यवान वैज्ञानिक डाटा तैयार करेगा। चंद्रयान-3 से भी इसका संपर्क बीते सोमवार को हुआ और इसरो ने बताया कि उन्हें चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर की वजह से चंद्रयान-3 के लैंडर से संपर्क साधने का एक और विकल्प मिल गया है।

बुद्धिमत्ता की नई मिसालें रखेगा प्रज्ञान
चंद्रयान-3 के रोवर का नाम प्रज्ञान का मतलब है- बुद्धिमत्ता। इसे यह नाम इसलिए दिया गया है, क्योंकि वैज्ञानिकों का मानना है कि रोवर को अपनी बुद्धि का इस्तेमाल करके जानकारी जुटानी है। यह 1 सेंटीमीटर/सेकंड की रफ्तार से चलते हुए चांद के सतह की स्कैनिंग करेगा।

चंद्रयान-3 अभियान भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र में मील का पत्थर बन गया है। बीते 9 वर्ष में भारत ने अंतरिक्ष अनुसंधान में तेजी से तरक्की की है। एक दशक में भारत ने कई बेमिसाल उपलब्धियां हासिल की हैं। सबसे बड़ी उपलब्धि यह रही है कि भारत अब न केवल अपने अंतरिक्ष अभियानों को पूरा कर रहा है, बल्कि दूसरे देशों के उपग्रहों को भी अंतरिक्ष में लॉन्च कर रहा है। बीते 9 वर्ष में भारत ने 424 विदेशी उपग्रहों को लॉन्च किया, जिनमें से 389 का प्रक्षेपण सफल रहा। इससे भारत को 3,300 करोड़ रुपये की कमाई हुई है।

बीते एक दशक में प्रतिवर्ष लॉन्च किए जाने वाले अभियानों की संख्या में भी बड़ी बढ़ोतरी हुई है। 2014 तक भारत प्रतिवर्ष 1.2 अंतरिक्ष अभियान लॉन्च करता था, यह संख्या अब बढ़कर 5.7 हो गई है। भविष्य के अंतरिक्ष अन्वेषकों को प्रोत्साहन देने के क्रम में 2014 से पहले इसरो ने छात्रों के बनाए 4 उपग्रह लॉन्च किए थे, 2014 के बाद इसकी संख्या बढ़ कर 11 हो गई है। 2020 में अंतरिक्ष क्षेत्र को निजी क्षेत्र के लिए खोलना भी बड़ी उपलब्धि है। 25 नवंबर, 2022 को इस पहल के तहत देश में पहला निजी लॉन्चपैड और मिशन नियंत्रण केंद्र स्थापित किया। इस पहल का नतीजा है कि आज भारत में 140 स्पेस स्टार्टअप काम कर रहे हैं।


चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर चंद्रयान-3 के सफलतापूर्वक सॉफ्ट लैंडिंग पर इसरो के प्रतिभावान वैज्ञानिकों एवं सभी देशवासियों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं। 

जैसे-जैसे #चंद्रयान 3 का प्रज्ञान रोवर चंद्र के दक्षिणी ध्रुव का भ्रमण करेगा, वैसे-वैसे अपने पहियों में इंप्रिंट इसरो के लोगो और भारत के राष्ट्रीय चिन्ह का चित्र चंद्र की धरती पर छोड़ता जाएगा। 

हवा की अनुपस्थिति के कारण भारतीय गौरव को दर्शाते ये चिन्ह हजारों सालों तक चंद्र की जमीन पर अक्षुण्ण अवस्था में बने रहेंगे।

मुझे ख़ुशी है कि हम सब इस #गौरवशाली पल के साक्षी बने।


जय हिंद 🇮🇳

चन्द्रयान चंद्रमा की ओर यात्रा पर है। नवीनतम स्थिति के लिए

चंद्रयान-3 चंद्रयान-2 का अनुवर्ती मिशन है, जो चंद्र सतह पर सुरक्षित लैंडिंग और रोविंग की एंड-टू-एंड क्षमता प्रदर्शित करता है। इसमें लैंडर और रोवर विन्यास शामिल हैं। इसे एलवीएम3 द्वारा एसडीएससी शार, श्रीहरिकोटा से प्रमोचित किया जाएगा। प्रणोदन मॉड्यूल 100 किमी चंद्र कक्षा तक लैंडर और रोवर विन्यास को ले जाएगा। प्रणोदन मॉड्यूल में चंद्र कक्षा से पृथ्वी के वर्णक्रमीय और ध्रुवीय मीट्रिक मापों का अध्ययन करने के लिए स्पेक्ट्रो-पोलरिमेट्री ऑफ हैबिटेबल प्लैनेट अर्थ (एसएचएपीई) नीतभार है।


लैंडर नीतभार: तापीय चालकता और तापमान को मापने के लिए चंद्र सतह तापभौतिकीय प्रयोग (चेस्ट); लैंडिंग साइट के आसपास भूकंपीयता को मापने के लिए चंद्र भूकंपीय गतिविधि (आईएलएसए) के लिए साधनभूत; प्लाज्मा घनत्व और इसकी विविधताओं का अनुमान लगाने के लिए लैंगमुइर जांच (एलपी)। नासा से एक निष्क्रिय लेजर रिट्रोरिफ्लेक्टर ऐरे को चंद्र लेजर रेंजिंग अध्ययनों के लिए समायोजित किया गया है।


रोवर नीतभार: लैंडिंग साइट के आसपास मौलिक संरचना प्राप्त करने के लिए अल्फा कण एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर (एपीएक्सएस) और लेजर प्रेरित ब्रेकडाउन स्पेक्ट्रोस्कोप (एलआईबीएस)।


चंद्रयान-3 में एक स्वदेशी लैंडर मॉड्यूल (एलएम), प्रोपल्शन मॉड्यूल (पीएम) और एक रोवर शामिल है, जिसका उद्देश्य अंतरग्रहीय मिशनों के लिए आवश्यक नई तकनीकों को विकसित और प्रदर्शित करना है। लैंडर के पास निर्दिष्ट चंद्र स्थल पर सॉफ्ट लैंड करने और रोवर को तैनात करने की क्षमता होगी जो इसकी गतिशीलता के दौरान चंद्र सतह के इन-सीटू रासायनिक विश्लेषण करेगा। लैंडर और रोवर के पास चंद्र सतह पर प्रयोग करने के लिए वैज्ञानिक नीतभार हैं। पीएम का मुख्य कार्य एलएम को लॉन्च व्हीकल इंजेक्शन से अंतिम चंद्र 100 किमी गोलाकार ध्रुवीय कक्षा तक ले जाना और एलएम को पीएम से अलग करना है। इसके अलावा, प्रणोदन मॉड्यूल में मूल्यवर्धन के रूप में एक वैज्ञानिक नीतभार भी है जिसे लैंडर मॉड्यूल के अलग होने के बाद संचालित किया जाएगा। चंद्रयान-3 के लिए चिन्हित किया गया लॉन्चर एलवीएम3 एम4 है जो एकीकृत मॉड्यूल को ~170x36500 किमी आकार के एलिप्टिक पार्किंग ऑर्बिट (ईपीओ) में स्थापित करेगा।


चंद्रयान-3 के मिशन के उद्देश्य हैं:


चंद्र सतह पर सुरक्षित और सॉफ्ट लैंडिंग प्रदर्शित करना

रोवर को चंद्रमा पर भ्रमण का प्रदर्शन करना और

यथास्थित वैज्ञानिक प्रयोग करना

मिशन के उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए लैंडर में कई उन्नत प्रौद्योगिकियां मौजूद हैं जैसे,


अल्टीमीटर: लेजर और आरएफ आधारित अल्टीमीटर

वेलोसीमीटर : लेजर डॉपलर वेलोसीमीटर और लैंडर हॉरिजॉन्टल वेलोसिटी कैमरा

जड़त्वीय मापन: लेजर गायरो आधारित जड़त्वीय संदर्भ और एक्सेलेरोमीटर पैकेज

प्रणोदन प्रणाली: 800N थ्रॉटलेबल लिक्विड इंजन, 58N एटिट्यूड थ्रस्टर्स और थ्रॉटलेबल इंजन कंट्रोल इलेक्ट्रॉनिक्स

नौवहन, गाइडेंस एंड कंट्रोल (NGC): पावर्ड डिसेंट ट्रैजेक्टरी डिजाइन और सहयोगी सॉफ्टवेयर तत्व

खतरे का पता लगाना और बचाव : लैंडर खतरे का पता लगाना और बचाव कैमरा और प्रसंस्करण एल्गोरिथम

लैंडिंग लेग तंत्र

उपर्युक्त उन्नत तकनीकों को पृथ्वी की स्थिति में प्रदर्शित करने के लिए, कई लैंडर विशेष परीक्षणों की योजना बनाई गई है और सफलतापूर्वक संपन्न किए गए हैं।


एकीकृत शीत परीक्षण - परीक्षण प्लेटफॉर्म के रूप में हेलीकॉप्टर का उपयोग करके एकीकृत संवेदक और नौवहन प्रदर्शन परीक्षण का प्रदर्शन

एकीकृत हॉट परीक्षण - टॉवर क्रेन का परीक्षण प्लेटफॉर्म के रूप में उपयोग करके संवेदक, एक्चुएटर्स और एनजीसी के साथ बंद लूप प्रदर्शन परीक्षण का प्रदर्शन

लैंडर लेग मैकेनिज्म परफॉरमेंस परीक्षण एक लूनर सिमुलेंट परीक्षण बेड पर विभिन्न टच डाउन स्थितियों का अनुकरण करता है।

चंद्रयान -3 के लिए समग्र विनिर्देश नीचे दिए गए हैं:




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