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Showing posts from February, 2024

प्राकृतिक चिकित्सा || जब से रोग की जानकारी

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प्राकृतिक चिकित्सा || जब से रोग की जानकारी  जीभ देती है ये संकेत हेल्दी जीभ हेल्दी जीभ हल्की गुलाबी, नम होती है इसमें दाग धब्बे नहीं होते हैं। हल्की पीली जीभ खून की कमी, पीलिया, कमजोरी, आंतों की सूजन, नींद की कमी, थकान का संकेत है। जीभ का आगे का हिस्सा लाल होना बॉडी की कमजोरी के अलावा मानसिक परेशानी का का संकेत है। जीभ पर सफेद धब्बे शरीर में कई तरह के इन्फेक्शन्स का संकेत है। ज्यादा पसीना आने का भी संकेत है। जीभ के दोनों किनारे ज्यादा लाल होना आंतों की प्रॉब्लम का संकेत हो सकता है। जीभ पर मोटी पीली परत सर्दी, वायरल इन्फेक्शन बॉडी में गर्मी की अधिकता का संकेत है। इनडाइजेशन की प्रॉब्लम का संकेत है।

गोपाष्टमी ब्रज में संस्कृति का एक प्रमुख पर्व

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कार्तिक मास में आने वाली गोपाष्टमी ब्रज में संस्कृति का एक प्रमुख पर्व है।  गायों की रक्षा करने के कारण भगवान श्री कृष्ण जी का अतिप्रिय नाम 'गोविन्द' पड़ा।  कार्तिक, शुक्ल पक्ष, प्रतिपदा से सप्तमी तक गो-गोप-गोपियों की रक्षा के लिए गोवर्धन पर्वत को धारण किया था। 8वें दिन इन्द्र अहंकार रहित होकर भगवान की शरण में आये। कामधेनु ने श्रीकृष्ण का अभिषेक किया और उसी दिन से इनका नाम गोविन्द पड़ा।  इसी समय से अष्टमीको गोपोष्टमी का पर्व मनाया जाने लगा, जो कि अब तक चला आ रहा है।  इस दिन प्रात: काल गौओं को स्नान कराएँ तथा गंध-धूप-पुष्प आदि से पूजा करें और अनेक प्रकार के वस्त्रालंकारों से अलंकृत करके ग्वालों का पूजन करें, गायों को गो-ग्रास देकर उनकी प्रदक्षिणा करें और थोड़ी दूर तक उनके साथ में जाएँ तो सभी प्रकार की अभीष्ट सिद्धि होती हैं।  गोपाष्टमी को सांयकाल गायें चरकर जब वापस आयें तो उस समय भी उनका अभिवादन और पंचोपचार पूजन करके कुछ भोजन कराएँ और उनकी चरण रज को माथे पर धारण करें। उससे सौभाग्य की वृद्धि होती है।  भारतवर्ष के प्राय: सभी भागों में गोपाष्टमी का ...

गर्भस्थ बच्चों की परेशानी दूर करने के लिए

गर्भस्थ बच्चों की परेशानी दूर करने के लिए आप 1008 साबुत चावल के दाने लेकर उसे श्वेत वस्त्र में बांध ले इसके उपरांत भगवान भोलेनाथ के पंचाक्षर मंत्र 'नमः शिवाय' को बोलकर महादेव को अर्पित करें। 3 दिन में बच्चों की परेशानी दूर हो जाएगी अगर नहीं होती है तो एक बार पुनः है इस उपाय को करें।

मकरसंक्रांति

#मकरसंक्रांति!!15/1/24 ये 8 पौ‍राणिक घटनाएं जो इस दिन को बनाती है खास* *1.) 🚩🔥गंगा जी मिली थी गंगा सागर में    *🚩🔥मकर संक्रांति के दिन ही गंगाजी भगीरथजी के पीछे-पीछे चलकर कपिल मुनि के आश्रम से होती हुई सागर में जाकर मिली थीं। महाराज भगीरथ ने अपने पूर्वजों के लिए इस दिन तर्पण किया था इसलिए मकर संक्रांति पर गंगासागर में मेला लगता है। राजा भगीरथ ने अपने पूर्वजों का गंगाजल, अक्षत, तिल से श्राद्ध तर्पण किया था। तब से ही माघ मकर संक्रांति स्नान और मकर संक्रांति श्राद्ध तर्पण की प्रथा आज तक प्रचलित है। पावन गंगा जल के स्पर्श मात्र से राजा भगीरथ के पूर्वजों को स्वर्ग की प्राप्ति हुई थी। कपिल मुनि ने वरदान देते हुए कहा था, 'मातु गंगे त्रिकाल तक जन-जन का पापहरण करेंगी और भक्तजनों की सात पीढ़ियों को मुक्ति एवं मोक्ष प्रदान करेंगी। गंगा जल का स्पर्श, पान, स्नान और दर्शन सभी पुण्यदायक फल प्रदान करेगा।'* *🚩🔥कथा के अनुसार एक बार राजा सगर ने अश्वमेघ यज्ञ किया और अपने अश्व को विश्व-विजय के लिए छोड़ दिया। इंद्रदेव ने उस अश्व को छल से कपिल मुनि के आश्रम में बांध दिया। जब कपिल मुनि के आश्रम ...

कालचक्रमंडलपूजन!! (मकरसंक्रान्तिपर्व)

#कालचक्रमंडलपूजन!! (मकरसंक्रान्तिपर्व)      मकर संक्रान्ति के पवित्र अवसर पर भगवान सूर्य के पूजन के साथ साथ कालचक्र मंडल पूजन करने से साधक काल की अनिष्ट मार से कवचित हो जाता है।कालचक्र मंडल के अंतर्गत आनेवाले सभी का यथाशक्ति श्रद्धापूर्वक पूजन करें। पूजन हेतु पुष्प अक्षत और तर्पण हेतु एक आचमनी जल अर्पण करते जायें।  कालचक्र मंडल की अधिष्ठात्री भगवती महाकाली और महाकाल शिव का पूजन भी इसमें आता है।  "कालचक्र मंडल पूजन" 1) महाकाली पूजन :-        शवारुढां महाभीमां घोरद्रंष्ट्रां वरप्रदां हास्ययुक्तां त्रिनेत्रां च कपालकर्तृकां करां मुक्तकेशीं लोलजिव्हां पिबंती रुधिरं मुहू  चतुर्बाहुयुतां देवीं वराभयकरां स्मरेनित्यं।   क्रीं कालिकायै नम:।  क्रीं कालिकायै नम: पंचोपचार पूजनं समर्पयामि। भगवती महाकाली का गंध , पुष्प , धूप , दीप , नैवेद्य इन पंच उपचारों से पूजन करें।  क्रीं काल्यै नम: काली श्री पादुकां पूजयामि तर्पयामि नम:।  अब महाकाली के साथ चलनेवाली नित्याओं का पुष्प अक्षत अर्पण पूजन करे  1) क्रीं काल्यै नम:।  2)...

सिद्ध कुंजिका स्तोत्र

सिद्ध कुंजिका स्तोत्र  पहले कुंजिका स्त्रोत्र को सिद्ध कर ले संकल्प लेकर 11000 बार जप पूर्ण करना चाहिए,रमा के अनुसार साधक वर्ग अपनी सुविधानुसार इसके अधिक जप भी पूर्ण कर लें तो सफलता का प्रतिशत और अधिक बढ़ ही जाता है अस्तु आलस्य एवं प्रमाद का त्याग करके पूर्ण श्रद्धा भाव एवं समर्पण से सम्पन्न करना चाहिए ।  भगवान शिव ने पार्वती से कहा है कि दुर्गा सप्तशती के संपूर्ण पाठ का जो फल है वह सिर्फ कुंजिकास्तोत्र के पाठ से प्राप्त हो जाता है। कुंजिकास्तोत्र का मंत्र स्वयंसिद्ध है इसलिए इसे सिद्ध करने की जरूरत नहीं है। रमा के अनुसार जो साधक संकल्प लेकर इसके मंत्रों का जप करते हुए दुर्गा मां की आराधना करते हैं मां उनकी इच्छित मनोकामना पूरी करती हैं। इसमें ध्यान रखने योग्य बात यह है कि कुंजिकास्तोत्र के मंत्रों का जप किसी को नुकसान पहुंचाने के लिए नहीं करना चाहिए। किसी को क्षति पहुंचाने के लिए कुंजिकास्तोत्र के मंत्र की साधना करने पर साधक का खुद ही अहित होता है।  इसके द्वारा आज्ञा चक्र का जागरण होता है इसमें आज्ञा चक्र के बीजो अक्षरों का समावेश है और अद्भुत तरीके से मूलाधार चक्र और कुण...

सरस्वती मंत्रो से विद्याप्राप्ति!!

सरस्वती मंत्रो से विद्याप्राप्ति!!  ****"👉जिनकी स्मरण शक्ति कमजोर होती है। अधिक समय पढने के उपरांत भी कुछ याद नहीं रहता। 👉 विद्या अध्ययन में आने वाली रुकावटो एवं विघ्न बाधाओं को दूर करने हेतु शास्त्रो में कुछ विशिष्ठ मंत्रो का उल्लेख मिलता हैं। जिसके जप से पढाई में आने वाली रुकावटे दूर होती हैं। और साधना में भी सरस्वती कृपा से जल्दी मंत्र सिद्धि होती है।  सरस्वती मंत्र:-- या कुंदेंदु तुषार हार धवला या शुभ्र वृस्तावता । या वीणा वर दण्ड मंडित करा या श्वेत पद्मसना ।। या ब्रह्माच्युत्त शंकर: प्रभृतिर्भि देवै सदा वन्दिता । सा माम पातु सरस्वती भगवती नि:शेष जाड्या पहा ॥१॥   👉भावार्थ: जो विद्या की देवी भगवती सरस्वती कुन्द के फूल, चंद्रमा, हिमराशि और मोती के हार की तरह श्वेत वर्ण की हैं और जो श्वेत वस्त्र धारण करती हैं, जिनके हाथ में वीणा-दण्ड शोभायमान है, जिन्होंने श्वेत कमलों पर अपना आसन ग्रहण किया है तथा ब्रह्मा, विष्णु एवं शंकर आदि देवताओं द्वारा जो सदा पूजित हैं, वही संपूर्ण जड़ता और अज्ञान को दूर कर देने वाली माँ सरस्वती आप हमारी रक्षा करें। सरस्वती मंत्र तन्त्रोक्तं देवी...

रघुपतिराघवराजाराम

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श्रीशाकम्भरीसहस्रनामस्तोत्रम्!! ( वनशंकरी देवी)

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श्रीशाकम्भरीसहस्रनामस्तोत्रम्!!   ( वनशंकरी देवी) ॐ श्रीं शाकंभर्यै फट्।  ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्रीशाकम्भर्यै नमः।  ॐ ऐं ह्रीं श्रीं अष्टलक्ष्मी सहितायै शांकम्भर्यै नमः।  ॐ श्री ह्री क्लीं शाकम्भर्यै महालक्ष्मी हूं ह्रीं फट्।  ॐ नारायण्यै विदमहे शाकम्भर्यै धीमहि तन्न देवी प्रचोदयात्। ॐ महानारायण्यै च विदमहे शाकम्भर्यै च धीमहि तन्नो कनक दुर्गा प्रचोदयात् श्रीशाकम्भरी तथा सहस्रनामस्तोत्रम्!!          (वनशंकरी देवी) शान्ता शारदचन्द्रसुन्दरमुखी शाल्यन्नभोज्यप्रिया      शाकैः पालितविष्टपा शतदृशा शाकोल्लसद्विग्रहा । श्यामाङ्गी शरणागतार्तिशमनी शक्रादिभिः शंसिता      शङ्कर्यष्टफलप्रदा भगवती शाकम्भरी पातु माम् ॥ शूलं पाशकपालचापकुलिशान्बाणान्सृणिं खेटकां      शङ्कं चक्रगदाहिखड्गमभयं खट्वाङ्गदण्डान्धराम् । वर्षाभाववशाद्धतान्मुनिगणान्शाकेन या रक्षति      लोकानां जननीं महेशदयितां तां नौमि शाकम्भरीम् ॥ १॥ कैलासशिखरासीनं स्कन्दं मुनि गणान्वितम् । प्रणम्य शक्रः पप्रच्छ लोकानां ...

देवीनर्मदा

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#देवीनर्मदा!!         ॐ रुद्रदेहाय विद्महे मेकल कन्यायै च धीमहि तन्नो रेवा प्रचोदयात्!          "ऐं श्रीं मेकलकन्यायै सोमोद्भवायै देवापगायैनम:"।       इस मंत्र के ऋषि भृगु, छन्द अमित और देवता नर्मदा हैं। उनके अधिदैविक स्वरूप का ध्यान इस प्रकार करें-    कनकाभांकच्छपस्थांत्रिनेत्रांबहुभूषणां। पद्माभय:सुधाकुम्भ:वराद्यान्विभ्रतींकरै॥ ***** "नर्मदाजल महत्व" पुण्या कनखले गंगा कुरुक्षेत्रे सरस्वती। ग्रामेवा यदि वारण्ये पुण्या सर्वत्र नर्मदा। त्रिभि:सारस्वतं पुण्यं सप्ताहेनतुयामुनम्। सद्य:पुनातिगाङ्गेयंदर्शनादेवनर्मदाम्।।    गंगा हरिद्वार तथा सरस्वती कुरुक्षेत्र में अत्यंत पुण्यमयी कही गयी है, किंतु नर्मदा चाहे गांव के बगल से बह रही हो या जंगल के बीच, वे सर्वत्र पुण्यमयी हैं। सरस्वती का जल 3दिनों में, यमुनाजी का 7 दिन में तथा गंगाजी का जल स्पर्श करते ही पवित्र कर देता है किन्तु नर्मदा का जल केवल #दर्शनमात्र से पावन कर देता है।  मैं नर्मदा हूं। जब गंगा नहीं थी तब भी मैं थी। जब हिमालय नहीं था , त...