सरस्वती मंत्रो से विद्याप्राप्ति!!
सरस्वती मंत्रो से विद्याप्राप्ति!!
****"👉जिनकी स्मरण शक्ति कमजोर होती है। अधिक समय पढने के उपरांत भी कुछ याद नहीं रहता।
👉 विद्या अध्ययन में आने वाली रुकावटो एवं विघ्न बाधाओं को दूर करने हेतु शास्त्रो में कुछ विशिष्ठ मंत्रो का उल्लेख मिलता हैं। जिसके जप से पढाई में आने वाली रुकावटे दूर होती हैं। और साधना में भी सरस्वती कृपा से जल्दी मंत्र सिद्धि होती है।
सरस्वती मंत्र:--
या कुंदेंदु तुषार हार धवला या शुभ्र वृस्तावता ।
या वीणा वर दण्ड मंडित करा या श्वेत पद्मसना ।।
या ब्रह्माच्युत्त शंकर: प्रभृतिर्भि देवै सदा वन्दिता ।
सा माम पातु सरस्वती भगवती नि:शेष जाड्या पहा ॥१॥
👉भावार्थ: जो विद्या की देवी भगवती सरस्वती कुन्द के फूल, चंद्रमा, हिमराशि और मोती के हार की तरह श्वेत वर्ण की हैं और जो श्वेत वस्त्र धारण करती हैं, जिनके हाथ में वीणा-दण्ड शोभायमान है, जिन्होंने श्वेत कमलों पर अपना आसन ग्रहण किया है तथा ब्रह्मा, विष्णु एवं शंकर आदि देवताओं द्वारा जो सदा पूजित हैं, वही संपूर्ण जड़ता और अज्ञान को दूर कर देने वाली माँ सरस्वती आप हमारी रक्षा करें।
सरस्वती मंत्र तन्त्रोक्तं देवी सूक्त से :----
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या देवी सर्वभूतेषु बुद्धिरूपेणसंस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
विद्या प्राप्ति के लिये सरस्वती मंत्र:---
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घंटाशूलहलानि शंखमुसले चक्रं धनुः सायकं हस्ताब्जैर्दघतीं धनान्तविलसच्छीतांशु तुल्यप्रभाम्।
गौरीदेहसमुद्भवा त्रिनयनामांधारभूतां महापूर्वामत्र सरस्वती मनुभजे शुम्भादि दैत्यार्दिनीम्॥
भावार्थ👉: जो अपने हस्त कमल में घंटा, त्रिशूल, हल, शंख, मूसल, चक्र, धनुष और बाण को धारण करने वाली, गोरी देह से उत्पन्ना, त्रिनेत्रा, मेघास्थित चंद्रमा के समान कांति वाली, संसार की आधारभूता, शुंभादि दैत्य का नाश करने वाली महासरस्वती को हम नमस्कार करते हैं। माँ सरस्वती जो प्रधानतः जगत की उत्पत्ति और ज्ञान का संचार करती है।
अत्यंत सरल सरस्वती मंत्र प्रयोग:---
👉प्रतिदिन सुबह स्नान इत्यादि से निवृत होने के बाद मंत्र जप आरंभ करें। अपने सामने मां सरस्वती का यंत्र या चित्र स्थापित करें । अब चित्र या यंत्र के ऊपर श्वेत चंदन, श्वेत पुष्प व अक्षत (चावल) भेंट करें और धूप-दीप जलाकर देवी की पूजा करें और अपनी मनोकामना का मन में स्मरण करके स्फटिक की माला से किसी भी सरस्वती मंत्र की शांत मन से एक माला फेरें।
सरस्वती मूलमंत्र:--
👉 ॐ ऎं सरस्वत्यै नमः।
👉ॐ ऎं सरस्वत्यै ऎं नमः।
👉सरस्वती मंत्र:
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं महासरस्वती देव्यै नमः।
👉सरस्वती गायत्री मंत्र:
१ – ॐ सरस्वत्यै विद्ममहे, ब्रह्मपुत्रयै धीमहि तन्नो देवी प्रचोदयात।
२ – ॐ वागदेव्यै विद्ममहे काम राजा धीमहि तन्नो सरस्वती: प्रचोदयात।
. 👉ज्ञान वृद्धि हेतु गायत्री मंत्र :----
ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्।
👉परीक्षा भय निवारण हेतु:--
ॐ ऐं ह्रीं श्रीं वीणा पुस्तक धारिणीम् मम् भय निवारय निवारय अभयम् देहि देहि स्वाहा।
👉स्मरण शक्ति नियंत्रण हेतु:--
ॐ ऐं स्मृत्यै नमः।
👉विघ्न निवारण हेतु:
ॐ ऐं ह्रीं श्रीं अंतरिक्ष सरस्वती परम रक्षिणी मम सर्व विघ्न बाधा निवारय निवारय स्वाहा।
👉स्मरण शक्ति बढाने के लिए :
ऐं नमः भगवति वद वद वाग्देवि स्वाहा।
👉परीक्षा में सफलता के लिए :
१ – ॐ नमः श्रीं श्रीं अहं वद वद वाग्वादिनी भगवती सरस्वत्यै नमः स्वाहा विद्यां देहि मम ह्रीं सरस्वत्यै स्वाहा।
२ -जेहि पर कृपा करहिं जनु जानी
, कवि उर अजिर नचावहिं बानी।
मोरि सुधारिहिं सो सब भांती,
जासु कृपा नहिं कृपा अघाती॥
👉हंसारुढा मां सरस्वती का ध्यान कर मानस-पूजा-पूर्वक निम्न मन्त्र का 21 बार जप करें -”
👉ॐ ऐं क्लीं सौः ह्रीं श्रीं ध्रीं वद वद वाग्-वादिनि सौः क्लीं ऐं श्रीसरस्वत्यै नमः।”
👉विद्या प्राप्ति एवं मातृभाव हेतु:----
विद्या: समस्तास्तव देवि भेदा:
स्त्रिय: समस्ता: सकला जगत्सु।
त्वयैकया पूरितमम्बयैतत्
का ते स्तुति: स्तव्यपरा परोक्तिः॥
👉अर्थातः- देवि! विश्वकि सम्पूर्ण विद्याएँ तुम्हारे ही भिन्न-भिन्न स्वरूप हैं। जगत् में जितनी स्त्रियाँ हैं, वे सब तुम्हारी ही मूर्तियाँ हैं। जगदम्ब! एकमात्र तुमने ही इस विश्व को व्याप्त कर रखा है। तुम्हारी स्तुति क्या हो सकती है? तुम तो स्तवन करने योग्य पदार्थो से परे हो।
👉उपरोक्त मंत्र का जप हरे हकीक या स्फटिक माला से प्रतिदिन सुबह 108 बार करें, तदुपरांत एक माला जप निम्न मंत्र का करें।
ॐ ऐं ह्रीं श्रीं क्लीं महा सरस्वत्यै नमः।
👉देवी सरस्वती के अन्य प्रभावशाली मंत्र
एकाक्षरः--
“ऐ”।
द्वियक्षर:
1 “आं लृं”,।
2 “ऐं लृं”।
त्र्यक्षरः
“ऐं रुं स्वों”।
चतुर्क्षर:
“ॐ ऎं नमः।”
नवाक्षरः
“ॐ ऐं ह्रीं सरस्वत्यै नमः”।
दशाक्षरः
1– “वद वद वाग्वादिन्यै स्वाहा”।
2 – “ह्रीं ॐ ह्सौः ॐ सरस्वत्यै नमः”।
एकादशाक्षरः
1 – “ॐ ह्रीं ऐं ह्रीं ॐ सरस्वत्यै नमः”।
2 – “ऐं वाचस्पते अमृते प्लुवः प्लुः”
3 – “ऐं वाचस्पतेऽमृते प्लवः प्लवः”।
एकादशाक्षर-चिन्तामणि-सरस्वतीः
“ॐ ह्रीं ह्स्त्रैं ह्रीं ॐ सरस्वत्यै नमः”।
एकादशाक्षर-पारिजात-सरस्वतीः
1 – “ॐ ह्रीं ह्सौं ह्रीं ॐ सरस्वत्यै नमः”।
2 – “ॐ ऐं ह्स्त्रैं ह्रीं ॐ सरस्वत्यै नमः”।
द्वादशाक्षरः
“ह्रीं वद वद वाग्-वादिनि स्वाहा ह्रीं”
अन्तरिक्ष-सरस्वतीः
“ऐं ह्रीं अन्तरिक्ष-सरस्वती स्वाहा”।
षोडशाक्षरः
“ऐं नमः भगवति वद वद वाग्देवि स्वाहा”।
अन्य मंत्र:-
1• ॐ नमः पद्मासने शब्द रुपे ऎं ह्रीं क्लीं वद वद वाग्दादिनि स्वाहा।
2• “ॐ ऐं ह्रीं श्रीं क्लीं सरस्वत्यै बुधजनन्यै स्वाहा”।
3• “ऐं ह्रीं श्रीं क्लीं सौं क्लीं ह्रीं ऐं ब्लूं स्त्रीं नील-तारे सरस्वति द्रां ह्रीं क्लीं ब्लूं सःऐं ह्रीं श्रीं क्लीं सौं: सौं: ह्रीं स्वाहा”।
4• “ॐ ह्रीं श्रीं ऐं वाग्वादिनि भगवती अर्हन्मुख-निवासिनि सरस्वति ममास्ये प्रकाशं कुरु कुरु स्वाहा ऐं नमः”।
5• ॐ पंचनद्यः सरस्वतीमयपिबंति सस्त्रोतः सरस्वती तु पंचद्या सो देशे भवत्सरित्।
👉उपरोक्त आवश्यक मंत्रों का प्रतिदिन जप करने से विद्या प्राप्ति होती है।
नियम :--
👉स्नान आदि से निवृत्त होकर स्वच्छ कपडे पहन कर मंत्र का जप प्रतिदिन एक माला करें।
मंत्र जप उत्तर या पूर्व की ओर मुख करके करें।
जप करते समय शरीर का सीधा संपर्क जमीन से न हो इस लिए ऊन के आसन पर बैठकर जप करें। जमीन के संपर्क में रहकर जप करने से जप प्रभाव हीन होते हैं।
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