रत्ती या गुंजा
#रत्ती
यह शब्द लगभग हर जगह सुनने को मिलता है। जैसे - 'रत्ती भर भी परवाह नहीं, रत्ती भर भी शर्म नहीं', रत्ती भर भी अक्ल नहीं... आपने भी इस शब्द को बोला होगा, बहुत लोगों से सुना भी होगा। आज जानते हैं 'रत्ती' की वास्तविकता, यह आम बोलचाल में आया कैसे.आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि रत्ती एक प्रकार का पौधा होता है, जो प्रायः पहाड़ों पर पाया जाता है। इसके मटर जैसी फली में लाल-काले रंग के दाने (बीज) होते हैं, जिन्हें रत्ती कहा जाता है।प्राचीन काल में जब मापने का कोई सही पैमाना नहीं था तब सोना, जेवरात का वजन मापने के लिए इसी रत्ती के दाने का इस्तेमाल किया जाता था.सबसे हैरानी की बात तो यह है कि इस फली की आयु कितनी भी क्यों न हो, लेकिन इसके अंदर स्थापित बीजों का वजन एक समान ही 121.5 मिलीग्राम (एक ग्राम का लगभग 8वां भाग) होता है।तात्पर्य यह कि वजन में जरा सा एवं एक समान होने के विशिष्ट गुण की वजह से... कुछ मापने के लिए जैसे रत्ती प्रयोग में लाते हैं। उसी तरह किसी के जरा सा गुण, स्वभाव, कर्म मापने का एक स्थापित पैमाना बन गया यह "रत्ती" शब्द।
रत्ती भारतीय उपमहाद्वीप का एक पारम्परिक वज़न का माप है, जो आज भी ज़ेवर तोलने के लिए जोहरियों द्वारा प्रयोग किया जाता है। आधुनिक वज़न के हिसाब से एक रत्ती ०.१२१४९७९५६२५ ग्राम के बराबर है।
पारम्परिक भारतीय वज़नसंपादित करें
पारम्परिक भारतीय वज़न इस प्रकार हैं[1] -
४ धान की १ रत्ती बनती है।
८ रत्ती का १ माशा बनता है।
१२ माशों का १ तोला बनता है।
५ तोलों की १ छटाक बनती है।
१६ छटाक का १ सेर बनता है।
५ सेर की १ पनसेरी बनती है।
८ पनसेरियों का १ मन बनता है।
गुंजा या रत्ती (Coral Bead) लता जाति की एक वनस्पति है। शिम्बी के पक जाने पर लता शुष्क हो जाती है। गुंजा के फूल सेम की तरह होते हैं। शिम्बी का आकार बहुत छोटा होता है, परन्तु प्रत्येक में 4-5 गुंजा बीज निकलते हैं अर्थात सफेद में सफेद तथा रक्त में लाल बीज निकलते हैं। अशुद्ध फल का सेवन करने से विसूचिका की भांति ही उल्टी और दस्त हो जाते हैं। इसकी जड़े भ्रमवश मुलहठी के स्थान में भी प्रयुक्त होती है।
गुंजा की लता पर लगी फली में बीज
गुंजा गुंजा दो प्रकार की होती है।तीन प्रकार की होती है।सफेद,लाल,काली
इसका उपयोग पशुओं के घावों के कीड़े मारने के लिए खुराक के रूप में किया जाता है। एक खुराक में अधिकतम 2 बीज और अधिकतम 2 खुराक दी जाती है
विभिन्न भाषाओं में नाम
अंग्रेजी - Coral Bead
हिन्दी - गुंजा, चौंटली, घुंघुची, रत्ती
संस्कृत - सफेद केउच्चटा, कृष्णला, रक्तकाकचिंची
बंगाली - श्वेत कुच, लाल कुच
मराठी - गुंज
गुजराती - धोलीचणोरी, राती, चणोरी
तेलगू - गुलुविदे
फारसी - चश्मेखरुस
राजस्थानी - चिरमी
हानिकारक प्रभाव
पाश्चात्य मतानुसार गुंजा के फलों के सेवन से कोई हानि नहीं होती है। परन्तु क्षत पर लगाने से विधिवत कार्य करती है। सुश्रुत के मत से इसकी मूल गणना है।
गुंजा को आंख में डालने से आंखों में जलन और पलकों में सूजन हो जाती है।
गुण
दोनों गुंजा, वीर्यवर्द्धक (धातु को बढ़ाने वाला), बलवर्द्धक (ताकत बढ़ाने वाला), ज्वर, वात, पित्त, मुख शोष, श्वास, तृषा, आंखों के रोग, खुजली, पेट के कीड़े, कुष्ट (कोढ़) रोग को नष्ट करने वाली तथा बालों के लिए लाभकारी होती है। ये अन्यंत मधूर, पुष्टिकारक, भारी, कड़वी, वातनाशक बलदायक तथा रुधिर विकारनाशक होता है। इसके बीज वातनाशक और अति बाजीकरण होते हैं। गुन्जा से वासिकर्न भि कर सक्ते ही ग्न्जा
"रत्ती" ये शब्द सुन के हम सब के मन में एक ही विचार आता है "जरा सा भी" अधिकतम लोग इसका मतलब यही समझते है। असल में इसका अर्थ और उपयोगिता अलग ही है।
"रत्ती" एक प्रकार का पौधा है, "रत्ती" के दाने लाल और काले रंग के होते है। जब आप "रत्ती" के दानों को छूने की कोशिश करते है तो इसके दाने आपको मोतियों की तरह कठोर प्राप्त होंगे। जब दाने पक जाते है तो पेड़ से गिर जाते है।
रत्ती के पौधे आपको पहाड़ों में ही दिखाई देंगे, आम बोल चाल की भाषा में इसे "गुंजा" कहा जाता है, उत्तराखंड के ग्रामीण क्षेत्रों में इसे " आखि" भी कहा जाता है। अगर आप इसके अंदर देखेंगे तो इसमें मटर जैसी फली में दाने होते हैं।
क्या सोना नापने में होता था "रत्ती" का इस्तेमाल ?-
आपको बता दे की, जब लोगों ने इसमे रुचि दिखाई और इसकी जांच पड़ताल की तो सामने यह आया की प्राचीन काल में मापने के लिए सही पैमाना नहीं था। इसी वजह से "रत्ती" का इस्तेमाल सोने या जेवरात के भार को मापने के लिए किया जाता था। वहीं सात रत्ती सोना या मोती माप के चलन की शुरुआत मानी जाती है।
"रत्ती" (Ratti) का इस्तेमाल भारत में ही नही बल्कि पूरे एशिया महाद्वीप में होता आ रहा था। अभी की भी बात करें तो यह विधि, या कहें तो इस मापन की विधि को किसी भी आधुनिक यंत्र से ज्यादा विश्वासनीय और बढ़िया माना जाता है। आप इसका पता अपने आसपास के सुनार या जौहरी से भी लगा सकते हैं।
हमेशा एक जैसा होता है इसका भार
आपको यह आश्चर्य होगा की इसकी फली की आयु कितनी भी क्यू ना हो, इसमे उपस्थित बीजों को लेंगे और इनका वजन करेंगे तो, हमेशा इसका वजन एक समान ही प्राप्त होगा। इसमे 1 मिलीग्राम का भी आपको फरक दिखाई नहीं देगा।
इंसानों द्वारा बनाई गई मशीन एक बार गलत भार बता सकती है, लेकिन प्रकृति द्वारा दिए गए इस ‘गूंजा ‘ नामक पौधे के बीज की रत्ती का वजन कभी इधर से उधर नहीं होता है
1 रत्ती (Ratti) का वजन कितना होता है ?
आधुनिक मशीनों से रत्ती का वजन नापेंगे तो एक रत्ती का वजन - 0.121497 ग्राम होता है।
गूंजा के बीज तंत्र मंत्र में भी उपयोग किए जाते हैं।ये तांत्रिकों के बीच जितने मशहूर हैं उतने ही आयुर्वेद चिकित्सा में भी इनका प्रयोग किया जाता है।श्वेत गूंज का आयुर्वेद में सबसे ज्यादा प्रयोग होता है। कुछ गूंजे विषैले भी होते हैं इसलिए बिना जांच पड़ताल के इनका प्रयोग नहीं करना चाहिए।
1 कैरेट में कितना रत्ती (Ratti) होते है?
आपको बता दे की एक केरेट 200 मिलीग्राम होता है पांच केरेट एक ग्राम। एक रत्ती 121.48 मिली ग्राम होती है। 4 रत्ती 486 मिलीग्राम और 8 रत्ती 972 मिलीग्राम । आप मोटे तौर पर इसे 1 ग्राम मान सकते हैं।
रत्ती को english में क्या कहते है?
रत्ती को english में Rosary Pea कहा जाता है।
एक तोला में कितने रत्ती होते हैं?
आपको बता दे की एक तोले में कितनी रत्ती होती हैं? एक तोले में 12×8=96 रत्ती होते हैं।
रत्ती का साइंसटिफ़िक नाम क्या है?
रत्ती का साइंसटिफ़िक नाम Rosary Pea (Abrus precatorius) है।
रत्ती का प्रयोग किस किस चीज के लिए किया जाता है?
सदियों से रत्ती का प्रयोग पारंपरिक चिकित्सा और विभिन्न स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के इलाज के रूप में किया जाता रहा है। टेटनस, सांप काटने और ल्यूकोडर्मा (इस ऑटोइम्यून बीमारी में त्वचा पर सफेद धब्बे दिखाई देते हैं, जिसे विटिलिगो भी कहा जाता है) जैसी बीमारियों के इलाज में रत्ती को काफी प्रभावी माना जाता है।
क्या मुंह के छालों को भी ठीक करता है रत्ती?
ऐसा माना जाता है की "रत्ती" के पत्ते चबाने से मुंह में होने वाले छाले ठीक हो जाते है । इसकी जड़ को भी सेहत के लिए बहुत अच्छा माना जाता है। आपने देखा ही होगा की लोग " रत्ती" पहनते भी है। कुछ लोग इसकी अंगूठी तो वही कुछ लोग इसकी माला बना लेते है। माना यह जाता है की इसे पहनने से एक सकारात्मक ऊर्जा को उत्पन्न करता है जो की बहुत ही अच्छी बात है।
रत्ती (Ratti) को किन किन नामों से जाना जाता है?
रत्ती को अलग-अलग जगह अलग-अलग नाम से जाना जाता है परंतु इसके कुछ नाम सब जगह जाने जाते है जिनमे गुंजा, घुमची, माशा, तोला, Rosary Pea.
रत्ती का बीज जहरीला होता है?
इसके बीज जहरीले होते हैं इसलिए तकनीकी उपचार के बाद ही उपयोग किया जाता है।
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