राशियों में नक्षत्र वितरण की वैज्ञानिकता
★★★राशियों में नक्षत्र वितरण की वैज्ञानिकता★★★
√● राशियों में नक्षत्रों का विभाजन वैज्ञानिक - आधार पर किया गया है। भचक्र के 360° अंशों को 120°-120° अंशों के तीन तृतीयांशों (Trines) में बांटा गया है। प्रत्येक तृतीयांश में 9 नक्षत्र (36 चरण) या चार राशियां हैं। प्रत्येक तृतीयांश अग्नि तत्व प्रधान राशि (मेष, सिंह, धनु) से प्रारम्भ होता है तथा जल तत्व प्रधान राशि ( कर्क, वृश्चिक, मीन) पर समाप्त होता है। नक्षत्रों के स्वामियों का क्रम भी तीनों तृतीयांशों में समान है तथा एक ही स्वामी के तीनों नक्षत्रों का अंशात्मक मान भी सम्बन्धित तृतीयांश की सम्बन्धित राशि में समान है।
√●●राशियों में नक्षत्रों के उपरोक्त वितरण से निम्न बातें स्पष्ट होती हैं-
√● (1) कुल 18 नक्षत्र पूरे-पूरे तथा 9 नक्षत्र टुकड़ों में मिलकर 12 राशियां बनाते है।
√● (2) (i) सूर्य के नक्षत्रों (कृतिका, पू. फाल्गुनी व पू. आषाढ़) का प्रथम चरण पिछली राशि में तथा अन्तिम 3 चरण अगली राशि में हैं।
√● (ii) मंगल के नक्षत्रों (मृगशिर, चित्रा व धनिष्ठा) के प्रथम दो चरण पिछली राशि में तथा अगले दो चरण अगली राशि में हैं।
√●(iii) गुरु के नक्षत्रों (पुनर्वसु, विशाखा व पूर्वा भाद्रपद) के प्रथम तीन चरण पिछली राशि में तथा अन्तिम एक चरण अगली राशि में है। इस प्रकार सूर्य, मंगल व गुरु के 9 नक्षत्रों का टुकड़ों में वितरण राशियों में क्रमशः 1:3, 2:2 तथा 3:1 के अनुपात में है।
√●(3) सूर्य के नक्षत्र 26° अंश 40° कला से, मंगल के नक्षत्र 23° अंश 20' कला से तथा गुरु के नक्षत्र 20° अंश 0' कला से प्रारम्भ होते हैं।
√● (4) शेष 6 ग्रहों के 18 नक्षत्र पूरे-पूरे राशियों में हैं।
√●(5) केतू के नक्षत्र 0° अंश 0' कला से, शुक्र के नक्षत्र 13° अंश 20' कला से, चन्द्रमा के नक्षत्र 10° अंश 0' कला से, राहू के नक्षत्र 6° अंश 40' कला से, शनि के नक्षत्र 3° अंश 20' कला से तथा बुध के नक्षत्र 16° अंश 40' कला से प्रारम्भ होते हैं।
√●(6) जहां दो तृतीयांश (Trines) मिलते हैं वे ऐसे स्थान हैं जहां राशि व नक्षत्र एक साथ समाप्त व प्रारम्भ होते हैं। ये बिन्दु हैं ०° अंश, 120° अंश तथा 240° अंश। प्रत्येक के अन्त में जल तत्व प्रधान राशि में बुध के नक्षत्र तथा प्रारम्भ में अग्नि तत्व प्रधान राशि में केतु के नक्षत्र हैं। इन बिन्दुओं पर जल व अग्नि की संयुक्ति होती है। अतः ये संधि स्थान हैं। इसीलिए बुध व केतू के नक्षत्रों के तीन जोड़े रेवती+अश्विनी, आश्लेषा +मघा तथा ज्येष्ठा+मूल नक्षत्र गण्ड मूल नक्षत्र कहलाते हैं।
√●उपरोक्त विवेचन से स्पष्ट है कि राशियों के स्वामित्व तथा राशियों में नक्षत्र विभाजन की व्यवस्था वैज्ञानिक आधार पर की गई है। पश्चिमी देशों में नक्षत्रों को मान्यता नहीं दी गई है— केवल राशियां ही मानी जाती हैं।
√★★★कोणात्मक मापन इकाई : जैसा कि ऊपर बताया गया है भचक्र में 360° अंश होते हैं।
√● एक अंश (degree) में 60' कला (Minutes) व एक कला में 60" विकला (seconds) होते हैं।
√●अंश(°) चिन्ह कला(') का चिन्ह तथा विकला(") का चिन्ह होता है।
√● एक राशि में 30° अंश या 1800 कलाएं या 108000 विकलाएं होती है एक नक्षत्र में 800 कलाएं या 48000 विकलाएं होती हैं।
√●इसी प्रकार एक चरण में 200 कलाएं या 12000 विकलाएं होती हैं। गणितीय क्रिया करते समय विशेष सावधानी की आवश्यकता है ।
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