भारतीय ज्योतिष और पञ्चाङ्ग
भारतीय ज्योतिष और पञ्चाङ्ग ज्योतिष => ज्योति => प्रकाश आकाश में 2 प्रकार की ज्योति हैं। 01. स्वयं प्रकाशितः जैसे सूर्य, या अन्य तारा। 02. दूसरे से प्रकाशितः जैसे चन्द्र सूर्य प्रकाश से प्रकाशित है। पृथ्वी तथा अन्य ग्रह मंगल, बृहस्पति आदि सूर्य से प्रकाशित हैं। आकाश में तारा समूह, सूर्य के ग्रहों की स्थिति और गति का अध्ययन ज्योतिष है। काल गणनाः किसी समय से अब तक कितना समय बीता उसको वर्ष, मास, दिन में गिनते हैं। इसे कैलेण्डर कहते हैं। संस्कृत में कलन = संख्या या गणना। दिनः सूर्योदय से अगले सूर्योदय तक का समय मासः चन्द्र की पूर्णिमा से पूर्णिमा का समय वर्षः ऋतु आरम्भ से अगले ऋतु आरम्भ तक, सूर्य के चारो तरफ पृथ्वी की परिक्रमा। रोमन कैलेण्डर में दिन की संख्या मास के आरम्भ से 1, 2, 3, 4... 30 या 31 तक करते हैं (तिथि)। इसके साथ 7 ग्रहों के नाम पर 7 वार हैं- 1. रवि (सूर्य), 2. सोम (चन्द्र), 3. मंगल (भौम), 4. बुध, 5. गुरु, 6. शुक्र, 7. शनि "पञ्चाङ्ग" भारत में 5 प्रकार से दिन लिखते हैं। अतः यहां की काल गणना को पञ्चाङ्ग (5 अङ्ग) कहते हैं। 5 अङ्ग हैं- 01. तिथिः चन्द्र का प्रकाश 1...