नागपंचमीः काशी में होते हैं सात नागों के दर्शन

नागपंचमीः काशी में होते हैं सात नागों के दर्शन

अनंत, वासुकी, कर्कोटक, कम्बल, अश्वत्तर, तक्षक, शंखचूड़ नाग की आज होगी पूजा, सिद्धयोग में पूजे जाएंगे नागदेवता

वाराणसी। नागों की पूजा का पर्व नागपंचमी श्रावण शुक्ल पंचमी को मनाई जाएगी। सिद्धयोग में नागदेवता को पूजा से वंशवृद्धि के साथ ही सुख-समृद्धि और खुशहाली का आशीर्वाद मिलता है।

काशी में नागलोक के नागदेवता भी विराजमान है। नागपंचमी पर नागों के दर्शन का विधान है। श्रावण शुक्ल पंचमी के दिन काशी में पांचों नाग के द्वारा स्थापित शिलिंग को दर्शन पूजन यात्रा होती है।

नागपंचमी का पर्व शुक्रवार को सिद्धयोग में मनाया जाएगा। इसके साथ ही काशी की गलियों में आज बड़े गुरु का नाग ले स्लो, छोटे गुरु का नाग ले लो... भी गूंजेगा। काशी महात्य के अनुसार शेषनाग, वासुकी, तक्षक, कर्कोटक, कम्बल, अश्वेतर और शखंचूड़ नाग के दर्शन पूजन का विधान है। दारुकावन क्षेत्र के जैतपुरा में शिवगण कफोटक नाग द्वारा स्थापित शिवलिंग कर्कोटकेश्वर महादेव के रूप में जाना जाता है। काशी खंड के नागोऽस्ति

अनुसार ककॉटनामा गन्धर्वेश्वरपूर्वेतः, तत्र ककर्कोटवापी च लिङ्ङ्ग कर्कोटकेश्वरम्। तस्यां वाप्यां नरः स्नात्वा कोटेशं समय च। ककौटनागमाराध्य नागलोके महीयते।। यानी गंधर्वेश्वर की पूर्व और ककर्कोटक नाग, ककौट बापी और कर्कोटकेश्वर लिंग विराजमान हैं। जो उस चापी में स्नान करके कर्कोटकेश्वर का पूजन और ककर्कोटक नाग की आराधना करता है, वह नागलोक में पूजित होता है। ककर्कोटनागो वैर्दृष्टस्तद्वाप्यां विहितोदकैः। क्रमते न विषं तेषां देहे स्थावरजङ्गमम।। यानी जो लोग उस बावली में स्नान करके कर्कोट नाग के दर्शन करते हैं, उनके शरीर में कोई भी विष नहीं चड़ता।

कुछ पुराणों के अनुसार नागों के प्रमुख पांच कुल थे अनंत, वासुकी, तक्षक, कर्कोटक और पिंगला। कुछ पुराणों के अनुसार नागों के अष्टकुल में वासुकी, तक्षक, कुलक, ककर्कोटक, पद्म, शंख, चूड़, महापद्म और धनंजय हैं। 

परंपराएं जो आज भी हैं जीवित

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