कर्कोट वापी और कर्कोटकेश्वर लिंग
#काशीखण्ड में वर्णित हैं कि काशीपुरी में अवस्थित गन्धर्वेश्वर लिंग के पूर्व ओर कर्कोटक नाम नाग, कर्कोट वापी और कर्कोटकेश्वर लिंग विराजमान है ,जो मनुष्य उस वापी में स्नान, कर्कोटकेश्वर का पूजन और कर्कोटक नाग की आराधना करता है, वह नागलोक में पूजित होता है--
कर्कोटनामा नागोऽस्ति गन्धर्वेश्वरपूर्वतः।
तत्र कर्कोटवापी च लिङ्ग कर्कोटकेश्वरम्।२३
तस्यां वाप्यां नरः स्नात्वा कर्कोटशं समर्थ्य च ।
कर्कोटनागमाराध्य नागलोके महीयते।।२४
#जो लोग उस बावली में स्नानादि क्रियाओं को कर कर्कोट नाग का दर्शन करते हैं, उनके शरीर में स्थावर अथवा जंगम कोई भी विष नहीं चढ़ता--
कर्कोटनागो यैर्दृष्टस्तद्वाप्यां विहितोदकैः।
क्रमते न विषं तेषां देहे स्थावरजङ्गमम् ।।२५
#इन्द्रेश्वर के दक्षिण भाग में कर्कोटक वापी है। इसमें स्नान कर कर्कोटकेश्वर का दर्शन करने से मनुष्य निःसन्देह नाग लोगों का अधिपति होता है--
इन्द्रेशाद्दक्षिणे भागे शुभा कर्कोटवापिका।
तत्र वापीजले स्नात्वा दृष्ट्वा कर्कोटकेश्वरम्॥११७
नागानामाधिपत्यं तु जायते नाऽत्र संशयः।।११८
#ब्रह्माजी के कहने पर कर्कोटक नाग ने महाकाल वन में महामाया के सामने स्थित लिंग की स्तुति की। शिव ने प्रसन्न होकर कहा कि- जो नाग धर्म का आचरण करते हैं, उनका विनाश नहीं होगा। इसके उपरांत कर्कोटक नाग उसी शिवलिंग में प्रविष्ट हो गया। तब से उस लिंग को कर्कोटेश्वर कहते हैं।
#कृपया ध्यान दे गुरु- मूर्खों के भ्रमजाल से मुक्त होकर भक्त जन काशीखण्डोक्त तत्त्वों पर गहन विचार कर नागपंचमी के पावन पर कर्कोटेश्वर आदि सात नाग जैसे अनंत, वासुकी,कम्बल, अश्वत्तर, तक्षक, शंखचूड़ ,पिंगल नागदेवता के मन्दिर का दर्शन पूजन करें तथा पुण्य के भागी बनें।
#पता- कर्कोटकेश्वर महादेव जे-26/206,कर्कोटक वापी, नाग कुआँ, जैतपुरा, वाराणसी।
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