इससे यह तय होता था कि बहू कितनी होशियार हैं


इसे गाँव में ज्यादा छोटी हो तो डलिया, दउरी, बड़ा हो तो उसे दउरा कहा जाता है, यह ग्रामीण संस्कृति का बहुत ही महत्वपूर्ण हिस्सा है। पहले समय में लड़किया इसे शादी से पहले खूब बनाती थी यहीं नहीं बहुत कुछ अपने हाथों से बना कर रखती थीं जिसे उन्हें शादी में ससुराल में उपहार स्वरुप भेजा जाता था और इससे यह तय होता था कि बहू कितनी होशियार हैं, बिज़ने, आसन, खिलौने, टोकरे और भी बहुत सी चीजे

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