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Showing posts from April, 2025

अक्षौहिणी सेना

रामायण में रावण के पास अक्षौहिणी सेना के बारे में कोई जानकारी नहीं मिलती, लेकिन रावण की सेना के बारे में कुछ जानकारी मिलती है: वाल्मीकि रामायण के मुताबिक, रावण की सेना की कुल संख्या 72 करोड़ थी। रावण की सेना में 100 हज़ार हाथी, 100 हज़ार घोड़े, 100 हज़ार रथ, और 100 हज़ार पैदल सैनिक थे। रावण के पास कई राक्षस योद्धा भी थे, जिनमें कुंभकर्ण, मेघनाद और रावण के अन्य भाई-बहन शामिल थे।   अक्षौहिणी सेना के बारे में जानकारी महाभारत से मिलती है:    महाभारत के मुताबिक, कुरुक्षेत्र के युद्ध में कौरवों के पास 11 अक्षौहिणी सेना थी, जबकि पांडवों के पास 7 अक्षौहिणी सेना थी.    एक अक्षौहिणी सेना में रथ, हाथी, घोड़े, और पैदल सैनिक शामिल होते थे.    अक्षौहिणी सेना में रथ, हाथी, घोड़े, और पैदल सैनिकों का अनुपात इस प्रकार था: 1 रथ: 1 हाथी: 3 घुड़सवार: 5 पैदल सैनिक.   

रामशलाका प्रश्नावली से जानिए आपके प्रश्नों का उत्तर

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रामशलाका प्रश्नावली से जानिए आपके प्रश्नों का उत्तर 〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️ हमारे जीवन में उतार-चढ़ाव के दौरान अनेक बार ऐसे मौके आते हैं जब समझ नहीं आता कि हमें कौनसा रास्ता चुनना चाहिए। इस भटकाव से उबरने के लिए श्री राम शलाका प्रश्नावली या रामायण प्रश्नावली के रूप में एक कीमती कुंजी हमें परंपरा से प्राप्त हुई है। लोक मान्यता है कि श्री राम शलाका की उत्पत्ति वाल्मीकिकृत रामायण से हुई है। श्री राम चरित मानस एक धार्मिक आस्था का प्रतीक तथा पूज्यनीय ग्रन्थ होने के साथ साथ ज्योतिषीय शास्त्र के रूप में भी अपनी प्रतिष्ठा रखता है। चाहे कैसी भी परेशानी हो, रामायण प्रश्नावली में आपके सभी प्रश्नो का जवाब छुपा है। गोस्वामी तुलसी जी ने नौ चौपाई का प्रयोग इस प्रश्नावली में किया है। एक एक चौपाई अलग अलग ग्रह का प्रतिनिधित्व करती है। अंक ज्योतिष के अनुसार सूर्य आदि नवग्रहों को एक से लेकर नौ अंको के बीच माना गया है। श्री रामायण प्रश्नावली में नव चौपाइयों को लेकर ही हर प्रश्न का समाधान दिया गया है। इन नौ चौपाइयों में से तीन चौपाइयों के हिसाब से कार्य में संदेह दिखाया गया है जो कि श...

सिक्के पर टकसाल की पहचान

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क्या आप को पता है??   भारत में (और दुनिया में कहीं भी) ढाले गए प्रत्येक मुद्रा सिक्के पर टकसाल की पहचान के लिए एक विशेष टकसाल चिह्न होता है। बॉम्बे (मुंबई) टकसाल में सिक्के की तारीख (जारी करने का वर्ष) के नीचे एक हीरा है। इस टकसाल के प्रमाण सिक्कों पर टकसाल का निशान 'बी या 'एम' होता है। कलकत्ता टकसाल में सिक्के की तारीख (जारी करने का वर्ष) के नीचे कोई निशान नहीं है। या फिर उस पर 'C' का निशान होता है. यह इसलिए अनोखा था क्योंकि इसमें कोई निशान नहीं चुना गया था क्योंकि यह टकसाल भारत की पहली टकसाल है। हैदराबाद टकसाल में सिक्के की तारीख (जारी करने का वर्ष) के नीचे एक सितारा होता है। हैदराबाद के अन्य टकसाल चिह्नों में एक विभाजित हीरा और हीरे में एक बिंदु शामिल है। नोएडा टकसाल में जारी करने के वर्ष (सिक्का तारीख) के नीचे एक बिंदु होता है। नोएडा की इस मिंट फैक्ट्री की सबसे खास बात ये है कि इसकी शुरुआत सबसे पहले भारतीय वित्त मंत्रालय ने की थी. नोएडा टकसाल कारखाने की स्थापना 1 जुलाई 1988 को हुई थी

रैवतक राजा की पुत्री रेवती

रैवतक राजा की पुत्री का नाम रेवती था। वह सामान्य कद के पुरुषों से बहुत लंबी थी, राजा उसके विवाह योग्य वर खोजकर थक गये और चिंतित रहने लगे। थक-हारकर वो योगबल के द्वारा पुत्री को लेकर ब्रह्मलोक गए। राजा जब वहां पहुंचे तब गन्धर्वों का गायन समारोह चल रहा था, राजा ने गायन समाप्त होने की प्रतीक्षा की। गायन समाप्ति के उपरांत ब्रह्मदेव ने राजा को देखा और पूछा- कहो, कैसे आना हुआ?  राजा ने कहा- मेरी पुत्री के लिए किसी वर को आपने बनाया अथवा नहीं?  ब्रह्मा जोर से हंसे और बोले- जब तुम आये तबतक तो नहीं, पर जिस कालावधि में तुमने यहाँ गन्धर्वगान सुना उतनी ही अवधि में पृथ्वी पर २७ चतुर्युग बीत चुके हैं और २८ वां द्वापर समाप्त होने वाला है, अब तुम वहां जाओ और कृष्ण के बड़े भाई बलराम से इसका विवाह कर दो, अच्छा हुआ की तुम रेवती को अपने साथ लाए जिससे इसकी आयु नहीं बढ़ी। राजा रेवत ब्रह्माजी की आज्ञा का पालन करते हुए बलराम जी से मिले, लेकिन रेवत और उनकी पुत्री रेवती के शरीर का आकार सतयुग के मानव की तरह इक्कीस हाथ का था। ऐसे में बलराम ने अपने हल को रेवती के सिर पर रख दिया। इस तरह रेवती के शरीर का आकार द...

ज्योतिष में भाव पर विचार करने की विधि

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ज्योतिष में भाव पर विचार करने की विधि √•किसी भाव की जांच करते समय न केवल राशि को महत्त्व देना चाहिये बल्कि नवांश और अन्य समुचित वर्गों पर भी विचार करना चाहिये । किसी भाव का विश्लेषण करने में निम्नलिखित तथ्यों पर सावधानी पूर्वक विचार करना चाहिये- √•१. उस भाव के अधिपति के बल, दृष्टि, युक्ति और स्थिति। √•२. उस भाव का बल । √•३. उस भाव, उसके अधिपति और उसमें स्थित ग्रहों या उस पर दृष्टि डालने वाले ग्रहों के प्राकृतिक गुण । √•४. क्या किसी विशेष भाव में बनने वाले योग से प्रभाव में कोई परिवर्तन हुआ है। √•५. उस भाव के स्वामी ग्रह की उच्च और नीच स्थिति का भी समान रूप से महत्त्व है। √•६. उस भाव के स्वामी या उस विशेष भाव का स्वामी जिस भाव में है उसके स्वामी की नवांश में अनुकूल या प्रतिकूल स्थिति । √•७. जातक की आयु, स्थिति, पद और सेक्स। √•८. प्रत्येक राशि के लिये कुछ ग्रह उत्तम और कुछ ग्रह निकृष्ट होते हैं। √•उदाहरण के लिये मेष राशि में उत्पन्न व्यक्ति के लिये सूर्य उत्तम है। भाव के अधिपति (मंगल) और सूर्य के बीच सम्बन्ध अति महत्त्वपूर्ण है और इस पर उचित विचार करना चाहिये । √•किसी निष्कर्...

मोक्ष पाटम अर्थात वर्तमान सांप-सीढ़ी

मोक्ष पाटम अर्थात वर्तमान सांप-सीढ़ी 13वीं शताब्दी ई. में भारतीय कवि और संत ज्ञानदेव ने बच्चों के लिए मोक्ष पाटम नामक खेल बनाया था। बाद में अंग्रेजों ने मूल मोक्ष पाटम को बरकरार रखने के बजाय इसका नाम सांप और सीढ़ी रख दिया। मूल रूप से, इस खेल का इस्तेमाल बच्चों को नैतिक शिक्षा देने के लिए किया जाता था। जिस वर्ग से सीढ़ियाँ शुरू होती हैं, उनमें से प्रत्येक वर्ग एक गुण का प्रतीक माना जाता था, और जिस वर्ग पर साँप का सिर होता है, वह बुराई का प्रतीक माना जाता था। मूल हिंदू खेल में साँपों की संख्या सीढ़ियों से अधिक थी। 19वीं शताब्दी ई. के उत्तरार्ध में औपनिवेशिक शासकों द्वारा कुछ संशोधनों के साथ इस खेल को इंग्लैंड ले जाया गया। मूल रूप से, एक 'सौ वर्ग का खेल बोर्ड', 12वाँ वर्ग विश्वास का था, 51वाँ वर्ग विश्वसनीयता का था, 57वाँ वर्ग उदारता का था, 76वाँ वर्ग ज्ञान का था, और 78वाँ वर्ग तप का था। ये वे वर्ग थे जहाँ सीढ़ियाँ पाई जाती थीं और कोई तेज़ी से आगे बढ़ सकता था।   41वाँ वर्ग अवज्ञा के लिए था, 44वाँ वर्ग अहंकार के लिए, 49वाँ वर्ग अश्लीलता के लिए, 52वाँ वर्ग चोरी के लिए, 58वाँ वर्ग झू...