रैवतक राजा की पुत्री रेवती

रैवतक राजा की पुत्री का नाम रेवती था। वह सामान्य कद के पुरुषों से बहुत लंबी थी, राजा उसके विवाह योग्य वर खोजकर थक गये और चिंतित रहने लगे। थक-हारकर वो योगबल के द्वारा पुत्री को लेकर ब्रह्मलोक गए। राजा जब वहां पहुंचे तब गन्धर्वों का गायन समारोह चल रहा था, राजा ने गायन समाप्त होने की प्रतीक्षा की।
गायन समाप्ति के उपरांत ब्रह्मदेव ने राजा को देखा और पूछा- कहो, कैसे आना हुआ? 
राजा ने कहा- मेरी पुत्री के लिए किसी वर को आपने बनाया अथवा नहीं? 
ब्रह्मा जोर से हंसे और बोले- जब तुम आये तबतक तो नहीं, पर जिस कालावधि में तुमने यहाँ गन्धर्वगान सुना उतनी ही अवधि में पृथ्वी पर २७ चतुर्युग बीत चुके हैं और २८ वां द्वापर समाप्त होने वाला है, अब तुम वहां जाओ और कृष्ण के बड़े भाई बलराम से इसका विवाह कर दो, अच्छा हुआ की तुम रेवती को अपने साथ लाए जिससे इसकी आयु नहीं बढ़ी।

राजा रेवत ब्रह्माजी की आज्ञा का पालन करते हुए बलराम जी से मिले, लेकिन रेवत और उनकी पुत्री रेवती के शरीर का आकार सतयुग के मानव की तरह इक्कीस हाथ का था। ऐसे में बलराम ने अपने हल को रेवती के सिर पर रख दिया।
इस तरह रेवती के शरीर का आकार द्वापरयुग के उस समय मौजूद मनुष्य की तरह यानी 7 हाथ का हो गया। बात में बलराम और रेवती ने प्रेम पूर्वक दैनिक दिनचर्या का पालन करते हुए काफी समय तक पृथ्वी पर मौजूद रहे थे।

सतयुग में मानव की ऊंचाई 21 हाथ, त्रेतायुग में 14 हाथ, द्वापरयुग में 7 हाथ और कलयुग में मनुष्य के शरीर का आकार साढ़े तीन हाथ यानी 6 फीट है।

इस कथा का वैज्ञानिक संदर्भ समझो- आर्थर सी क्लार्क ने आइंस्टीन की थ्योरी ऑफ़ रिलेटिविटी की व्याख्या में एक पुस्तक लिखी है- मैन एंड स्पेस, उसमे गणना है की यदि 10 वर्ष का बालक यदि प्रकाश की गति वाले यान में बैठकर एंड्रोमेडा गैलेक्सी का एक चक्कर लगाये तो वापस आनेपर उसकी आयु ६६ वर्ष की होगी पर धरती पर 40 लाख वर्ष बीत चुके होंगे। यह आइंस्टीन की time dilation theory ही तो है जिसके लिए जॉर्ज गैमो ने एक मजाकिया कविता लिखी थी- 
There was a young girl named Miss Bright,
Who could travel much faster than light
She departed one day in an Einstein way
And came back previous night
 यह कथा नहीं है, यह  पौराणिक विज्ञान है, हमारी सभ्यता इतनी अद्भुत रही है, अविश्वसनीय है। तभी तो आइंस्टीन पुराणों को अपनी प्रेरणा कहते थे !¡!

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