मृत्यु के पश्च्यात क्या होता है?
जब व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है तो उसे दिवंगत अर्थात गत के नाम से पुकारा जाता है । जिसका अर्थ है जो चला गया अर्थात मर गया। हिन्दू धर्मा के अनुसार मरने के बाद आत्मा की दो तरह की गतियां होती हैं-
गति : अगति में व्यक्ति को मोक्ष नहीं मिलता है उसे फिर से जन्म लेना पड़ता है।
2. गति : गति में जीव को किसी लोक में जाना पड़ता है।
हिन्दू धर्मा के अनुसार मरने के बाद आत्मा की तीन तरह की गतियां होती हैं-
1.उर्ध्व गति,
2.स्थिर गति और
3.अधोगति।
इसे ही अगति और गति में विभाजित किया गया है।
वेदों, उपनिषदों और गीता के अनुसार मृत्यु के बाद आत्मा की 8 तरह की गतियां मानी गई है। यह गतियां ही आत्मा की दशा या दिशा तय करती है। यह चित्त की अवस्था और कर्मानुसार संचालित होती है। इन आठ तरह की गतियों को मूलत: दो भागों में बांटा गया है-
1.अगति और
2. गति।
1. अगति : अगति में व्यक्ति को मोक्ष नहीं मिलता है उसे फिर से जन्म लेना पड़ता है।
2. गति : गति में जीव को किसी लोक में जाना पड़ता है।
*अगति के प्रकार : अगति के चार प्रकार है-
1.क्षिणोदर्क,
2.भूमोदर्क,
3. अगति और
4.दुर्गति।
क्षिणोदर्क : क्षिणोदर्क अगति में जीव पुन: पुण्यात्मा के रूप में मृत्यु लोक में आता है और संतों सा जीवन जीता है।
भूमोदर्क : भूमोदर्क में वह सुखी और ऐश्वर्यशाली जीवन पाता है।
अगति : अगति में नीच या पशु जीवन में चला जाता है।
दुर्गति : गति में वह कीट, कीड़ों जैसा जीवन पाता है।
गति के प्रकार : गति के अंतर्गत चार लोक दिए गए हैं:
1.ब्रह्मलोक,
2.देवलोक,
3.पितृलोक और
4.नरक लोक।
जीव अपने कर्मों के अनुसार उक्त लोकों में जाता है।
जब मरता है व्यक्ति तो चलता है इस मार्ग पर...
पुराणों के अनुसार जब भी कोई मनुष्य मरता है या आत्मा शरीर को त्यागकर यात्रा प्रारंभ करती है तो इस दौरान उसे तीन प्रकार के मार्ग मिलते हैं। ऐसा कहते हैं कि उस आत्मा को किस मार्ग पर चलाया जाएगा यह केवल उसके कर्मों पर निर्भर करता है।
ये तीन मार्ग हैं- अर्चि मार्ग, धूम मार्ग और उत्पत्ति-विनाश मार्ग। अर्चि मार्ग ब्रह्मलोक और देवलोक की यात्रा के लिए होता है, वहीं धूममार्ग पितृलोक की यात्रा पर ले जाता है और उत्पत्ति-विनाश मार्ग नर्क की यात्रा के लिए है।
Comments
Post a Comment