तोमर वंश का सम्पूर्ण वंशवृत्त (अत्रि ऋषि से आनंदपाल तक)
आपका प्रश्न अत्यंत महत्वपूर्ण और ऐतिहासिक रूप से समृद्ध है —
👉 "तोमर वंश का अत्रि ऋषि से लेकर आनंदपाल तक का वर्णन"।
यह वर्णन हमें वैदिक ऋषियों से प्रारंभ होकर प्राचीन और मध्यकालीन भारतीय इतिहास तक ले जाता है, विशेषकर दिल्ली और पंजाब की राजनीति तक।
🧱🔱 तोमर वंश का सम्पूर्ण वंशवृत्त (अत्रि ऋषि से आनंदपाल तक)
🧙♂️ 1. अत्रि ऋषि और उनकी वंश परंपरा
🔷 अत्रि ऋषि – सप्तर्षियों में एक
- पत्नी: अनसूया
- पुत्र: दत्तात्रेय, चंद्रमा (सोम), दुर्वासा
👉 "चंद्रमा" को कई परंपराएँ तोमर वंश का आदि पुरुष मानती हैं, क्योंकि तोमर वंश चंद्रवंशी कहलाता है।
🌙 2. चंद्रवंश की रेखा (सारांश में)
अत्रि
↓
चंद्र (सोम)
↓
बुद्ध
↓
पुरुरवा
↓
आयु
↓
नहुष
↓
ययाति
↓
यदु (यदुवंश)
और
↓
पूरु
↓
भरत
↓
कण्व → अजन → कुरु
↓
कौरव-पांडव
↓
यदुवंश और चंद्रवंश के अन्य शाखाएं
👉 इसी चंद्रवंश की अनेक शाखाओं में से तोमर वंश (Tomara dynasty) का उद्भव होता है।
🛡️ 3. तोमर वंश का प्रारंभ (प्राचीन काल)
📌 तोमर वंश की परंपरा:
- तोमर वंश को चंद्रवंशी क्षत्रिय माना गया है।
- वे अपने को अत्रि ऋषि → चंद्र → सोमवंश → ययाति → यदु → तोमर से उत्पन्न बताते हैं।
📜 4. प्राचीन तोमर वंश के उल्लेख:
-
पुराणों में तोमर वंश का उल्लेख विभिन्न नामों से है:
- "तोमर", "तुरुष्क", "त्रिविक्रम वंशी", आदि।
-
हर्षचरित (बाणभट्ट) में भी तोमर कुल की प्रतिष्ठा मानी जाती है।
🏛️ 5. ऐतिहासिक काल में तोमर वंश – दिल्ली के शासक
🟩 तोमर वंश की राजधानी – दिल्ली (धिल्लिका)
- तोमर शासकों ने 8वीं–9वीं सदी ई. में दिल्ली (धिल्लिका) की स्थापना की।
🛕 प्रथम प्रमुख शासक: अनंगपाल I (Anangapala I)
- काल: लगभग 736–755 ई.
- कहा जाता है कि "अनंगपाल तोमर" ने दिल्ली बसाई।
"दिल्ली अनंगपाल ने बसाई।" — ये कथन लोककथाओं और शिलालेखों में मिलता है।
🧱 6. मध्यकालीन महान तोमर राजा – अनंगपाल II
🟨 अनंगपाल II (लगभग 1051–1081 ई.)
- इन्हें "असली निर्माता" माना जाता है तोमर सत्ता का।
🔹 उपलब्धियाँ:
- लाल कोट (लाल किला / ढिल्ली का किला) बनवाया
- अनेकों मठ, मंदिर, जल स्रोत बनवाए
- दिल्ली को सांस्कृतिक और व्यापारिक केंद्र बनाया
📜 शिलालेख:
"सम्वत् 1109, अनंगपाल तोमर द्वारा दिल्ली में लौह स्तंभ की प्रतिष्ठा"
👉 यह कुतुब मीनार परिसर का लौह स्तंभ है, जो सम्राट चंद्रगुप्त द्वितीय का है, पर अनंगपाल ने पुनः प्रतिष्ठा की थी।
⚔️ 7. तोमरों की शक्ति और युद्ध
- अनंगपाल द्वितीय के बाद, तोमर साम्राज्य पर लगातार हमले होने लगे – विशेषकर ग़ज़नवी और गोरी आक्रमणों के दौर में।
🏹 8. आनंदपाल तोमर (Anandapala Tomar)
🔴 ध्यान दें:
"आनंदपाल" नाम से दो राजा प्रसिद्ध हैं:
- तोमर वंशीय आनंदपाल (Tomara)
- हिन्दूशाही वंशीय आनंदपाल (हिंदुकुश, अफगानिस्तान)
👉 जिन्होंने महमूद ग़ज़नवी से युद्ध किया
आपके प्रश्न में चूंकि वंश – अत्रि से लेकर आनंदपाल तक पूछा गया है, और तोमर वंश के साथ जोड़ा गया है, तो हम "तोमर आनंदपाल" पर ध्यान देंगे।
🔷 तोमर आनंदपाल – दिल्ली के अंतिम स्वतंत्र शासकों में से एक
- संभवतः 12वीं सदी के उत्तरार्ध में
- ग़ोरी आक्रमणों से पहले तक दिल्ली की रक्षा में भूमिका
- उनके बाद तोमर साम्राज्य कमजोर हुआ
⚔️ 9. तोमर वंश के पतन और विरासत
- 1192 ई. – तराइन का द्वितीय युद्ध
- पृथ्वीराज चौहान की हार के बाद तोमरों और चौहानों का समावेश
- दिल्ली पर तुर्क सत्ता (गोरी, गुलाम वंश) का आगमन
🪔 10. तोमर वंश की संस्कृति और गौरव
-
तोमर क्षत्रिय आज भी विभिन्न जातियों में मिलते हैं:
- उत्तर भारत में राजपूत
- हरियाणा, दिल्ली, मध्यप्रदेश में जाट, गुर्जर, ठाकुर
- दक्षिण भारत में Tomar Ballala नामक शाखा
-
वे गर्व से अपने अत्रि गोत्र, चंद्रवंशीय परंपरा और अनंगपाल की गाथा को स्मरण करते हैं।
📜 ✅ तोमर वंश: सारांश वंशावली
अत्रि ऋषि
↓
चंद्र (सोम)
↓
बुद्ध → ययाति → यदु
↓
तोमर (Tomara) शाखा
↓
अनंगपाल I (दिल्ली संस्थापक)
↓
अनंगपाल II (लालकोट निर्माता)
↓
आनंदपाल (तोमर वंशज)
↓
तोमर राजाओं का पतन और विलय चौहानों में
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