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Showing posts from August, 2025

चारों वेदों के विषय में

🙏 चारों वेदों के विषय में🙏  वेदों का परिमाण तथा स्वरूप वैदिक सनातन धर्म का मूल स्रोत वेद है। इस वैदिक सनातन धर्म से ही समस्त जगत् के अनेक सम्प्रदाय (मत-मतान्तर) हुए हैं अर्थात् वर्तमान काल में जितने सम्प्रदाय हैं वह सनातन धर्म रूपी वृक्ष की शाखाएं-प्रशाखाएँ हैं। सनातन धर्म का लक्षण आचार्यों ने इस प्रकार किया है~~ "श्रुति स्मृति पुराणप्रतिपादित: धर्म: सनातनधर्म:"   श्रुति-स्मृति तथा पुराण प्रतिपादित धर्म सनातन धर्म है।  सनातन धर्म को जन्म देने वाले निर्गुण, निराकार ब्रह्म है। ब्रह्म अनादि, जन्म रहित है, सनातन धर्म भी अनादि है। सनातन धर्म तथा वेदों का प्रादुर्भाव परमात्मा से हुआ। वेद ब्रह्म का श्वास रूप है। ईश्वर रचित वेद में मनुष्य रचित ग्रन्थों के समान भ्रम-प्रमाद-संशय-भय-विप्रलिप्सा (लोभ) तथा यथार्थ बात न कहना आदि दोष नहीं है, अतः वेद स्वतः प्रमाण है। वेदानुसारी ही आस्तिक दर्शन, स्मृतियां, श्रौतसूत्र, धर्मसूत्र,   पुराण, रामायण, महाभारत तथा तन्त्रग्रन्थ प्रमाण माने गये है। "अज्ञात ज्ञापकं प्रमाणं"  अज्ञात का ज्ञान कराने वाले ग्रँथ (वेद) प्रमाण है। य...

ऋषि पंचमी व्रत माहात्म्य व्रत कथा एवं विधि

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🍁🍁 ऋषि पंचमी व्रत माहात्म्य व्रत कथा एवं विधि 🍁🍁 🍁🍁🍁(ऋषियों के १०८ नाम)🍁🍁🍁 🍁🍁ऋषिस्तुतिः १ एवं २ अर्थ सहित 🍁🍁🍁 🍁 🍁गुरु अष्टक 🍁🍁 🍀🍀🍀🍀🍀🍀🍀🍀🍀🍀🍀🍀🍀🍀🍀🍀 🌷🌷 ऋषि पंचमी व्रत माहात्म्य व्रत कथा एवं विधि 🌷🌷 भाद्रपद शुक्ल पंचमी 28/08/2025 गुरुवार  👉🍁ऋषि पंचमी तिथि🍁 हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल भाद्रपद माह शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को 28 अगस्त गुरुवार 2025 को मनाई जाएगी। 👉🍁🍁ऋषि पंचमी व्रत माहात्म्य 🍁🍁 हर साल भादो मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को ऋषि पंचमी का पर्व मनाया जाता है. ऐसी मान्यताएं हैं कि इस दिन व्रत-उपासना करने से जाने-अनजाने में हुई गलतियों का प्रायश्चित किया जा सकता है.। ऋषि पंचमी कोई त्योहार नहीं है, बल्कि महिलाओं द्वारा सप्त ऋषियों यानी सात ऋषियों को श्रद्धांजलि देने और रजस्वला दोष से शुद्ध होने के लिए रखा जाने वाला एक उपवास दिवस है।ऋषि पंचमी का व्रत मुख्य रूप से महिलाओं द्वारा किया जाता है। कहते है जो महिला इस व्रत को विधि विधान करती है उसे भयंकर से भयंकर दोषों तक से  मुक्ति मिलती है। भगवान ब्रह्मा ने इस...

ब्रह्मांड का प्रलय, कब होता है?, कितने साल बाद होता है?, कौन और कैसे करता है?

ब्रह्मांड का प्रलय, कब होता है?, कितने साल बाद होता है?, कौन और कैसे करता है? अर्द्ध प्रलय –> 4 युग = । चतुर्युग - 1 युगांतर के बाद अर्थात 43,20,000 साल में, शंकर प्रलय करते हैं प्रलय –>   71 चतुर्युग = 71 युर्गातर = 1 मन्वन्तर = 71 अर्द्ध प्रलय के बाद,  30 करोड़ 67 लाख 20 हजार साल में विष्णु जल प्रलय करते हैं। कल्प प्रलय –> 1000 चतुर्युग = 14 मन्वन्तर = ब्रह्मा का एक दिन के बाद 432 करोड़ साल में विष्णु 12 सूर्य की अग्नि पैदा करके सब जला कर भस्म कर देते हैं। महाकल्प प्रलय –> महाशिव का एक पल ब्रह्मा के 100 साल - 2 परार्थ = 36500 कल्प प्रलय के बाद 3110 खरब 40 अरब साल में शिव सूर्य में प्रवेश कर कालअग्नि पैदा करके पूरा ब्रह्मांड जलाकर भस्म कर देते हैं। महाकाल प्रलय –>  परम महाशिव का एक पल - महाशिव के 100 साल के बाद 3110 खरब 40 अरब साल X315,36,00,0000 साल (1000 साल) में महा शिव महाकाल बनकर अग्नि पैदा करके अनंत कोटि ब्रह्मांडों अपने रोम रोम में सम् देता है।

दधिची ऋषि ने धर्म की रक्षा के लिए अस्थि दान किया

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दधिची ऋषि ने धर्म की रक्षा के लिए अस्थि दान किया था... उनकी हड्डियों से तीन धनुष बने - 1. गांडीव 2. पिनाक 3. सारंग जिसमे से गांडीव अर्जुन को मिला था जिसके बल पर अर्जुन ने महाभारत का युद्ध जीता ! सारंग से भगवान राम ने युद्ध किया था और रावण के अत्याचारी राज्य को ध्वस्त किया था ! और, पिनाक था भगवान शिव जी के पास जिसे तपस्या के माध्यम से खुश भगवान शिव से रावण ने मांग लिया था ! परन्तु वह उसका भार लम्बे समय तक नहीं उठा पाने के कारण बीच रास्ते में जनकपुरी में छोड़ आया था ! इसी पिनाक की नित्य सेवा सीताजी किया करती थी ! पिनाक का भंजन करके ही भगवान राम ने सीता जी का वरण किया था ! ब्रह्मर्षि दधिची की हड्डियों से ही एकघ्नी नामक वज्र भी बना था जो भगवान इन्द्र को प्राप्त हुआ था ! इस एकघ्नी वज्र को इन्द्र ने कर्ण की तपस्या से खुश होकर उन्होंने कर्ण को दे दिया था! इसी एकघ्नी से महाभारत के युद्ध में भीम का महाप्रतापी पुत्र घटोत्कच कर्ण के हाथों मारा गया था ! और भी कई अश्त्र-शस्त्रों का निर्माण हुआ था उनकी हड्डियों से ! दधिची के इस अस्थि-दान का एक मात्र संदेश था '' हे भारतीय वीरो शस्...