महाभारत कथा में कुछ अनसुनी बातें है
▶️ महाभारत कथा में कुछ अनसुनी बातें है ◀️
🟨🟨🟨🟨🟨🟨🟨🟨
🔹 वेदव्यास और महाभारत की रचना,एक गौरवशाली इतिहास और रहस्यमयी सत्य, महाभारत का महत्व🔹
📕महाभारत को भारतीय इतिहास का सबसे महत्वपूर्ण ग्रंथ माना जाता है। यह सिर्फ़ पांडवों और कौरवों की कहानी नहीं, अपितु उस समय के धर्म, युद्ध, राजनीति और सामाजिक जीवन का विस्तृत वर्णन है। कई वैज्ञानिक खोजें बताती हैं कि महाभारत कोई काल्पनिक कथा नहीं, अपितु वास्तविकता से जुड़ा ग्रंथ है। महाभारत काल के कई स्थान, जैसे कुरुक्षेत्र और द्वारका, आज भी मौजूद हैं और पुरातात्विक साक्ष्य इनकी पुष्टि करते हैं।📕
🔹वेदव्यास और महाभारत की रचना🔹
🧘महाभारत को श्रीकृष्ण द्वैपायन वेदव्यास ने लिखा, जिन्हें 28वें वेदव्यास के रूप में जाना जाता है। इसे तीन चरणों में लिखा गया🧘
• पहला चरण: 8,800 श्लोक
• दूसरा चरण: 24,000 श्लोक
• तीसरा चरण: 1 लाख श्लोक
यह ग्रंथ पंचम वेद कहलाता है और भारत की राष्ट्रीय गाथा है।
🌷महाभारत का अनुवाद🌷
📕महाभारत का अंग्रेजी में दो बार पूर्ण अनुवाद हुआ📕
🚩• 1883-1896: किसारी मोहन गांगुली
🚩• 1895-1905: मनमथ नाथ दत्त
💢वर्तमान में डॉ. देबरॉय तीसरी बार इसका अनुवाद कर रहे हैं। भंडारकर ओरिएंटल रिसर्च इंस्टीट्यूट, पुणे की संस्कृत महाभारत को सबसे प्रामाणिक माना जाता है।💢
🧑🍼महाभारत के पात्र और उनके अवतार🧑🍼
🌞महाभारत के कई पात्र देवताओं या विशेष शक्तियों के अंश थे🌞
• कर्ण: सूर्यदेव के पुत्र
• अर्जुन: इंद्र के पुत्र
• भीम: पवनपुत्र (हनुमान की तरह)
• युधिष्ठिर: धर्मराज के पुत्र
• द्रौपदी: इंद्राणी का अवतार
• अभिमन्यु: चंद्रमा के पुत्र वर्चस का अंश
ऐसे कई पात्रों के पीछे गहरे रहस्य छिपे हैं।
🌠ब्रह्मास्त्र और उन्नत तकनीक
महाभारत में ब्रह्मास्त्र और वज्रास्त्र जैसे शक्तिशाली हथियारों का जिक्र है, जिन्हें कुछ लोग आधुनिक परमाणु हथियारों से जोड़ते हैं। सप्तक पर्व (अध्याय 13-15) में ब्रह्मास्त्र के प्रभाव का वर्णन है, जो रेडिएशन जैसे असर को दर्शाता है। क्या उस समय की तकनीक हमसे कहीं आगे थी?🌠
🧑🍼महाभारत के योद्धा🧑🍼
🚩घटोत्कच: भीम और हिडिंबा का पुत्र, विशालकाय और मायावी। वह रथ को लात मारकर फेंक देता था।
🚩बर्बरीक: घटोत्कच का पुत्र, जिसकी शक्ति असाधारण थी। ये योद्धा सामान्य मनुष्यों से कहीं अधिक शक्तिशाली थे।
‼️कौरवों की उत्पत्ति‼️
✍️धृतराष्ट्र और गांधारी के 100 पुत्र और एक पुत्री थी। गांधारी के गर्भपात के बाद वेदव्यास ने मंत्रों से मांस के टुकड़ों को 100 कुंडों में रखवाया, जिससे कौरवों का जन्म हुआ। दुयर्योधन सबसे बड़ा था, और युयुत्सु (धृतराष्ट्र की दासी से जन्मा पुत्र) बाद में पांडवों के साथ मिल गया। ✍️
🚩18 का महत्व🚩
महाभारत में 18 की संख्या का विशेष महत्व है
• गीता में 18 अध्याय
• युद्ध 18 दिन चला
• कौरव-पांडव की सेनाएँ 18 अक्षौहिणी थीं
• महाभारत में 18 पर्व और वेदव्यास ने 18 पुराण भी लिखे।
🕉️श्रीकृष्ण इस युद्ध के सूत्रधार थे। उन्होंने कई घटनाओं को अपनी नीति से संचालित किया। जैसे, दुयर्योधन को गांधारी के सामने नग्न जाने से रोकना, कर्ण से उनके कवच-कुंडल इंद्र द्वारा दान में मँगवाना, बर्बरीक से उनका शीश माँगना और कर्ण, द्रोण व भीष्म को युद्ध में मारने की रणनीति बनाना। श्रीकृष्ण का जन्म भी रहस्यमय था। वह देवकी के आठवें पुत्र थे और रोहिणी नक्षत्र, अष्टमी तिथि के शुभ योग में 3112 ई.पू. में जन्मे। उनके जीवन में आठ पत्नियों और मथुरा, गोकुल, द्वारका जैसे आठ नगरों का विशेष महत्व रहा।🕉️
🧑🍼महाभारत के योद्धा असाधारण थे। घटोत्कच, भीम और राक्षसी हिडिंबा का पुत्र, विशालकाय और मायावी था। वह रथ को लात मारकर फेंक देता था और सैनिकों को पैरों तले कुचल देता था। युद्ध में उसने हाहाकार मचा दिया, जिससे घबराकर दुयर्योधन ने कर्ण को अमोघ अस्त्र चलाने का आदेश दिया। इस अस्त्र से घटोत्कच वीरगति को प्राप्त हुआ। दूसरी ओर, घटोत्कच का पुत्र बर्बरीक दुनिया का सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर था। उसके तीन बाण ही कौरव-पांडवों की पूरी सेना को नष्ट करने के लिए काफी थे। युद्ध में बर्बरीक ने घोषणा की कि वह हारने वाले पक्ष की ओर से लड़ेगा। यह सुनकर श्रीकृष्ण चिंतित हो गए और ब्राह्मण वेश में बर्बरीक से उनका शीश दान में माँग लिया। बर्बरीक ने पांडवों की विजय के लिए स्वेच्छा से अपना शीश दे दिया। श्रीकृष्ण ने उन्हें वरदान दिया कि कलयुग में उनकी पूजा होगी। आज बर्बरीक को खाटू श्याम के नाम से पूजा जाता है।🧑🍼
👩❤️👩पांडवों की उत्पत्ति भी सामान्य नहीं थी। पांडु को मृग के शाप के कारण संतान उत्पन्न करने में असमर्थता थी। कुंती ने मंत्रों के बल पर धर्मराज से युधिष्ठिर, वायुदेव से भीम और इंद्र से अर्जुन को प्राप्त किया। माद्री ने अश्विनी कुमारों से नकुल और सहदेव को जन्म दिया। कर्ण कुंती के पुत्र थे, जो सूर्यदेव के अंश थे। द्रौपदी का जन्म यज्ञ से हुआ, इसलिए उन्हें यज्ञसेनी भी कहा जाता है।👩❤️👩
🌞महाभारत का युद्ध भयंकर था, जिसमें लाखों लोग मारे गए। युद्ध के बाद कौरव पक्ष से केवल चार (कृतवर्मा, कृपाचार्य, युयुत्सु, अश्वत्थामा) और पांडव पक्ष से 15 योद्धा जीवित बचे। इस युद्ध ने भारत की वैदिक संस्कृति और सभ्यता को गहरा आघात पहुँचाया। यह युद्ध अखंड भारत को खंड-खंड करने की शुरुआत थी। सवाल उठता है कि इस युद्ध का जिम्मेदार कौन था? कुछ लोग शकुनि को खलनायक मानते हैं, तो कुछ भीष्म को। लेकिन श्रीकृष्ण को सर्वसम्मति से नायक माना जाता है, जिन्होंने युद्ध को रोकने की हर संभव कोशिश की और अंततः पांडवों को विजय दिलाई।🌞
📕महाभारत: रिश्तों का जटिल जाल और कुरुक्षेत्र का युद्ध📕
🌷महाभारत न केवल एक युद्ध की गाथा है, बल्कि रिश्तों, धर्म, और नीति का एक जटिल ताना-बाना भी है। पांडु का अपनी पत्नियों कुंती और माद्री के साथ गहरा प्रेम था, लेकिन उनके पुत्र युधिष्ठिर, भीम, अर्जुन, नकुल और सहदेव उनके जैविक पुत्र नहीं थे। कुंती ने मंत्रों के बल पर धर्मराज से युधिष्ठिर, वायुदेव से भीम, इंद्र से अर्जुन, और माद्री ने अश्विनी कुमारों से नकुल व सहदेव को प्राप्त किया। इसके अलावा, कुंती ने कुँवारी अवस्था में सूर्यदेव से कर्ण को जन्म दिया था। फिर भी, ये सभी पांडु पुत्र कहलाए। दूसरी ओर, धृतराष्ट्र के 100 पुत्र और एक पुत्री (दुःशला) भी उनके जैविक पुत्र नहीं थे, बल्कि वेदव्यास की कृपा से गांधारी के गर्भ से उत्पन्न हुए। फिर भी, वे कौरव कहलाए। सवाल उठता है कि यदि ये कौरव और पांडव जैविक रूप से धृतराष्ट्र और पांडु के पुत्र नहीं थे, तो क्या उन्हें हस्तिनापुर की गद्दी का अधिकार था? यह महाभारत का एक गहरा रहस्य है।🌷
🤱गांधारी का धृतराष्ट्र से विवाह मजबूरी में हुआ था, जिसका कारण भीष्म थे। भीष्म ने गांधार नरेश की पुत्री गांधारी का हरण कर धृतराष्ट्र से उनका विवाह करवाया, जिससे गांधारी के मन में कटुता रही। दूसरी ओर, द्रौपदी का अपने पाँच पतियों पांडवों के साथ रिश्ता भी असामान्य था। प्राचीन काल में एक पुरुष का कई पत्नियों से विवाह सामान्य था, लेकिन एक स्त्री का पाँच पुरुषों से विवाह वर्जित माना जाता था। फिर भी, द्रौपदी ने पाँचों पांडवों से विवाह किया और उनसे पाँच पुत्र प्रतिविंध्य, सुतसोम, श्रुतकीर्ति, शतानीक और श्रुतकर्मा हुए, जिन्हें उपपांडव कहा गया। यह व्यवस्था श्रीकृष्ण और वेदव्यास की सलाह पर हुई, जो द्रौपदी के पिछले जन्म के वरदान से जुड़ी थी।🤱
🕉️श्रीकृष्ण के रिश्ते भी महाभारत में जटिल थे। वे अर्जुन के सखा थे, लेकिन जब अर्जुन ने उनकी बहन सुभद्रा से विवाह किया, तो वे उनके जीजा भी बन गए। श्रीकृष्ण का दुयर्योधन से भी रिश्ता था। उनकी पत्नी जाम्बवती, जो रामायण काल के जाम्बवंत की पुत्री थी, से उन्हें पुत्र सांब प्राप्त हुआ। सांब का विवाह दुयर्योधन की पुत्री लक्ष्मणा से हुआ, जिससे श्रीकृष्ण और दुयर्योधन समधी बन गए। इस तरह, महाभारत के रिश्ते आपस में उलझे हुए थे, फिर भी युद्ध के मैदान में सभी एक-दूसरे के खिलाफ खड़े थे।🕉️
⁉️कुरुक्षेत्र में युद्ध क्यों हुआ?⁉️
🔥महाभारत का युद्ध कुरुक्षेत्र में ही क्यों लड़ा गया? श्रीकृष्ण को डर था कि भाई-भाई, गुरु-शिष्य और रिश्तेदारों का यह युद्ध कहीं सुलह में न बदल जाए। इसलिए उन्होंने ऐसी भूमि चुनी, जहाँ क्रोध और द्वेष के संस्कार प्रबल हों। एक दूत ने बताया कि कुरुक्षेत्र में एक बड़े भाई ने छोटे भाई को खेत की मेड़ टूटने पर पानी रोकने से मना करने पर मार डाला और उसकी लाश को पानी रोकने के लिए रख दिया। यह सुनकर श्रीकृष्ण ने कुरुक्षेत्र को युद्ध के लिए उपयुक्त माना। दूसरी कथा के अनुसार, राजा कुरु ने इस भूमि की जुताई की थी। इंद्र ने उनसे पूछा तो कुरु ने कहा कि यहाँ मरने वाला पुण्यलोक को प्राप्त होगा। इंद्र ने इसे मजाक समझा, लेकिन देवताओं ने पुष्टि की कि कुरुक्षेत्र में मरने वाला स्वर्ग प्राप्त करता है। इसलिए भीष्म, कृष्ण और अन्य योद्धा इसे युद्ध के लिए उपयुक्त मानते थे। भगवद्गीता के प्रथम श्लोक में कुरुक्षेत्र को धर्मक्षेत्र कहा गया है।🔥
🌌महाभारत के शाप और वरदान🌌
🏵️महाभारत में शाप और वरदानों की भी बड़ी भूमिका थी। वशिष्ठ ऋषि ने आठ वसुओं को मनुष्य योनि में जन्म लेने का शाप दिया, जिसके कारण द्यौ वसु गंगापुत्र भीष्म बने। भीष्म ने काशी की तीन राजकुमारियों अंबा, अंबिका और अंबालिका का हरण किया। अंबा शाल्व राजा से प्रेम करती थी, लेकिन शाल्व ने उसे स्वीकार नहीं किया। अंबा ने भीष्म को अपनी दुर्दशा का जिम्मेदार ठहराया और शपथ ली कि वह पुरुष रूप में जन्म लेकर उनकी मृत्यु का कारण बनेगी। वह शिखंडी के रूप में जन्मी और भीष्म की मृत्यु का कारण बनी। परशुराम ने कर्ण को शाप दिया कि वह उनकी सिखाई विद्या भूल जाएगा, क्योंकि उसने ब्राह्मण बनकर झूठ बोला था। उर्वशी ने अर्जुन को नपुंसकता का शाप दिया, जो अज्ञातवास में नर्तक वेश में उनकी मदद बना। गांधारी ने श्रीकृष्ण को शाप दिया कि उनका वंश भी आपसी युद्ध में नष्ट होगा, जैसा उनके पुत्रों का हुआ। अश्वत्थामा को श्रीकृष्ण ने ब्रह्मास्त्र के दुरुपयोग के लिए 3,000 वर्ष तक भटकने और रोगग्रस्त रहने का शाप दिया।🏵️
🌍महाभारत के प्रमुख स्थान🌍
🌹महाभारत के कई स्थान आज भी मौजूद हैं। कुरुक्षेत्र (हरियाणा) में युद्ध हुआ और श्रीकृष्ण ने गीता का उपदेश दिया। लाख का घर (लाक्षागृह) मेरठ के पास बरनावा में था, जहाँ कौरवों ने पांडवों को जलाने की साजिश रची। गंधमादन पर्वत (हिमालय के कैलाश क्षेत्र) में हनुमान जी की पूंछ भीम नहीं उठा सके थे। खाटू श्याम (राजस्थान, सीकर) वह स्थान है, जहाँ बर्बरीक का शीश रखा गया। मथुरा श्रीकृष्ण की जन्मस्थली थी, जिस पर जरासंध ने कई हमले किए। राजगीर (बिहार) में वेदव्यास और गणेश की गुफाएँ हैं, जहाँ महाभारत लिखी गई। अर्जुन गुफा (मनाली) में अर्जुन को शिव ने पाशुपतास्त्र दिया। इंद्रप्रस्थ (दिल्ली) और हस्तिनापुर (मेरठ) पांडवों और कौरवों की राजधानियाँ थीं। पुरातात्विक खोजों में दिल्ली के पुराना किला और मेरठ में मिले अवशेष पांडवों की राजधानी की पुष्टि करते हैं। द्वारका (गुजरात) श्रीकृष्ण का प्रमुख केंद्र थी, जो युद्ध के बाद समुद्र में डूब गई। पुरातत्वविदों ने समुद्र में 7,000 से 3,500 वर्ष पुराने शहर के अवशेष खोजे, जो द्वारका से जोड़े जाते हैं।🌹
🔥महाभारत का युद्ध और उसका प्रभाव🔥
🛐महाभारत का युद्ध कुरुक्षेत्र के पश्चिमी क्षेत्र में सरस्वती नदी के दक्षिण तट पर हिरण्यवती नदी के पास हुआ। पांडवों ने अपना पड़ाव समंतपंचक तीर्थ के पास डाला था। इस युद्ध में लाखों लोग मारे गए, और भारत की वैदिक संस्कृति, समाज और सभ्यता का पतन हुआ। यह युद्ध अखंड भारत को खंड-खंड करने की शुरुआत थी। श्रीकृष्ण ने युद्ध को रोकने की हर संभव कोशिश की, लेकिन जब यह अनिवार्य हो गया, तो उन्होंने पांडवों को विजय दिलाई। महाभारत हमें धर्म, नीति, और बलिदान के साथ-साथ छल, ईर्ष्या और विश्वासघात की भी कहानी सिखाता है। यह ग्रंथ हर हिंदू के घर में होना चाहिए, क्योंकि यह हमारी सांस्कृतिक और आध्यात्मिक धरोहर है।🛐
‼️महाभारत: युद्ध की तैयारियाँ, रिश्तों का जाल, और अनोखी घटनाएँ। महाभारत युद्ध की तैयारियाँ और नियम‼️
💢महाभारत का युद्ध कुरुक्षेत्र में सुनियोजित ढंग से लड़ा गया। कौरवों ने अपना पड़ाव कुरुक्षेत्र के पूर्वी भाग में डाला, जबकि पांडवों ने कुछ योजन (1 योजन = 13-16 किमी) दूर समतल मैदान में अपनी सेना तैनात की। दोनों पक्षों ने सैनिकों के भोजन, घायलों के इलाज, हथियारों, और युद्ध सामग्री की उत्तम व्यवस्था की थी। हाथी, घोड़े, और रथों के लिए अलग-अलग शिविर थे, जहाँ वैद्य, शिल्पी, और यंत्र विशेषज्ञ तैनात थे। युद्ध के लिए दोनों सेनाओं के बीच 5 योजन (लगभग 40 किमी) का क्षेत्र खाली छोड़ा गया। भीष्म की सलाह पर दोनों पक्षों ने युद्ध के नियम बनाए: युद्ध सूर्योदय से सूर्यास्त तक होगा, सूर्यास्त के बाद हथियार डाले जाएँगे, रथी रथी से, हाथी वाला हाथी वाले से, और पैदल पैदल से लड़ेगा। निहत्थे, भागते हुए, या शरणागत व्यक्ति पर हमला नहीं होगा। युद्ध में सेवकों को भी नहीं मारा जाएगा। ये नियम युद्ध को धर्मयुक्त बनाने के लिए थे, हालाँकि कई बार इनका उल्लंघन भी हुआ।💢
👩❤️👩कौरव और पांडवों के सहयोगी जनपद और योद्धा👩❤️👩
🌹कौरवों की ओर से गांधार, मद्र, सिंध, कांबोज, कलिंग, सिंहल, दरद, अभिषक, पशाच, कोसल, प्रतीच्यवात, शूरसेन, शबी, वसाती, पौरव, त्रिगर्त, सौवीर, प्राच्य, अश्वक, पांडेय, पुलिंद, पारद, शुद्रक, प्राग्ज्योतिषपुर, मेकल, गुरुंडर, शाल, अंब, कैतव, और चूचुप देश जैसे जनपदों ने सहयोग किया। कौरव पक्ष के प्रमुख योद्धा थे—भीष्म, द्रोणाचार्य, कृपाचार्य, कर्ण, अश्वत्थामा, शल्य, भूरिश्रवा, अलंबुष, कृतवर्मा, कलिंग राज, श्रुतायुध, शकुनि, भगदत्त, जयद्रथ, विंद-अनुविंद, कांबोज राज सुदक्षिण, और दुयर्योधन सहित उनके 99 भाई। दूसरी ओर, पांडवों को पांचाल, चेदि, काशी, करुश्रंजय, दक्षिण सोमक, कुंती, आनत, मत्स्य, केकय, दशार्ण, प्रभद्रिप, चर, तत्तर, चोल, पांड्य, अन्वेष, हुंड, दान, भारी, शबर, उद्भव, वत्स, पांड्रिंग, कुंडी, मारुत, धनुक, तगड़, और पद्ग जनपदों का समर्थन मिला। पांडव पक्ष के योद्धा थे—युधिष्ठिर, भीम, अर्जुन, नकुल, सहदेव, द्रौपदी के पाँच पुत्र, सात्यकि, उत्तमौजा, विराट, द्रुपद, धृष्टद्युम्न, अभिमन्यु, पांड्य राज, घटोत्कच, शिखंडी, युयुत्सु, कुंतीभोज, उत्तमौजा, शैव्य, और अनूप राज नील। तटस्थ जनपदों जैसे विदर्भ, शाल्व, चीन, लोहित, शौत, नेप, कोंक, कर्णाटक, केरल, आंध्र, और द्रविड़ ने युद्ध में हिस्सा नहीं लिया।🌹
🌍गंगा तट पर मृत योद्धाओं का पुनर्जनन🌍
❣️महाभारत युद्ध के 15 साल बाद एक अद्भुत घटना घटी। धृतराष्ट्र, गांधारी, कुंती, विदुर, और संजय वन में रह रहे थे। एक दिन युधिष्ठिर उनसे मिलने आए। उसी समय वेदव्यास वहाँ पहुँचे। जब उन्हें पता चला कि विदुर ने देह त्याग दी, उन्होंने बताया कि विदुर धर्मराज का अंश थे और उनका प्राण युधिष्ठिर में समा गया। वेदव्यास ने धृतराष्ट्र, गांधारी, और कुंती से उनकी इच्छा पूछी। धृतराष्ट्र और गांधारी ने अपने मृत पुत्रों को, कुंती ने कर्ण को, और द्रौपदी ने अपने पुत्रों को देखने की इच्छा जताई। वेदव्यास ने सभी को गंगा तट पर बुलाया और रात होने पर गंगा में प्रवेश कर मृत योद्धाओं का आह्वान किया। थोड़ी देर में भीष्म, द्रोणाचार्य, कर्ण, दुर्योधन, दुःशासन, अभिमन्यु, धृतराष्ट्र के सभी पुत्र, घटोत्कच, द्रौपदी के पाँच पुत्र, द्रुपद, शकुनि, और शिखंडी जल से बाहर आए। उनके मन में क्रोध या अहंकार नहीं था। वेदव्यास ने धृतराष्ट्र और गांधारी को दिव्य दृष्टि दी। अपने मृत परिजनों को देखकर सभी का दुख दूर हुआ। सारी रात परिजनों के साथ बिताने के बाद सभी संतुष्ट हुए, और यह अद्भुत रात समाप्त हो गई।❣️
🤱महाभारत में महिलाओं की भूमिका🤱
🤹महाभारत में कई सुंदर और ज्ञान-संपन्न स्त्रियाँ थीं, जिनके निर्णयों ने युद्ध को प्रभावित किया। कुछ विद्वान मानते हैं कि सत्यवती, सुभद्रा, लक्ष्मणा, कुंती, और गांधारी जैसे पात्रों की जिद और निर्णयों ने कौरव-पांडवों के बीच कटुता बढ़ाई।
सत्यवती: शांतनु की दूसरी पत्नी सत्यवती के कारण भीष्म ने ब्रह्मचर्य की प्रतिज्ञा ली, ताकि सत्यवती का पुत्र ही गद्दी का उत्तराधिकारी बने। यदि शांतनु ने सत्यवती से विवाह न किया होता, तो कुरुवंश का इतिहास अलग होता। सत्यवती के पुत्रों चित्रांगद और विचित्रवीर्य के बाद वेदव्यास के पुत्र धृतराष्ट्र, पांडु, और विदुर ही शासक बने। सुभद्रा: श्रीकृष्ण की बहन सुभद्रा का अर्जुन से विवाह बलराम के विरुद्ध हुआ। श्रीकृष्ण ने ही सुभद्रा का अपहरण अर्जुन से करवाया, जिसे बाद में वैदिक रीति से संपन्न किया गया। लक्ष्मणा: श्रीकृष्ण के पुत्र सांब ने दुयर्योधन की पुत्री लक्ष्मणा से प्रेम विवाह किया। दुयर्योधन इसका विरोध करते थे, लेकिन जब सांब को कौरवों ने बंदी बनाया, तो बलराम ने हस्तिनापुर को गंगा में डुबाने की धमकी दी। अंततः सांब और लक्ष्मणा का विवाह द्वारका में हुआ। कुंती: पांडु की पत्नी कुंती ने मंत्रों से युधिष्ठिर, भीम, और अर्जुन को प्राप्त किया, जबकि माद्री ने नकुल और सहदेव को। पांडु के शाप के कारण वह स्वयं संतान उत्पन्न नहीं कर सके। एक दिन वन में माद्री के साथ सहवास के दौरान शाप के कारण उनकी मृत्यु हो गई, और माद्री सती हो गईं। कुंती ने अपने पाँच पुत्रों को पालने और हस्तिनापुर में उनके हक के लिए संघर्ष किया।🤹
🚩गांधारी: गांधारी का धृतराष्ट्र से विवाह भीष्म के दबाव में हुआ। धृतराष्ट्र के अंधेपन और मन की कमजोरी के कारण गांधारी को कई कष्ट झेलने पड़े। युद्ध में अपने 100 पुत्रों की मृत्यु से दुखी होकर उन्होंने श्रीकृष्ण को शाप दिया कि उनका वंश भी नष्ट हो जाएगा।
‼️महाभारत युद्ध का कारण‼️
🌺महाभारत युद्ध का प्रमुख कारण हस्तिनापुर की गद्दी और भूमि का बँटवारा था। कुछ का मानना है कि बँटवारा शांतिपूर्ण हो सकता था, लेकिन सत्यवती, गांधारी, और अन्य पात्रों की जिद और कटुता ने युद्ध को अनिवार्य बना दिया। श्रीकृष्ण ने युद्ध रोकने की हर कोशिश की, लेकिन जब यह असंभव हो गया, तो उन्होंने पांडवों को विजय दिलाई। महाभारत में धर्म, नीति, और प्रेम के साथ-साथ छल, ईर्ष्या, और विश्वासघात की कहानियाँ हैं। यह ग्रंथ हमें हमारे इतिहास और मूल्यों से जोड़ता है और हर हिंदू के घर में होना चाहिए।🌺
🤱 युद्ध के परिणाम, द्रौपदी का अपमान और पांडवों की प्रतिज्ञाएं और युद्ध की नींव🤱
🪴महाभारत युद्ध का एक प्रमुख कारण द्रौपदी का अपमान था। धृतराष्ट्र के अंधेपन और कमजोर मन के कारण गांधारी और शकुनि को अप्रत्यक्ष रूप से सत्ता संभालनी पड़ी। गांधारी को चिंता थी कि कहीं कुंती के पुत्र हस्तिनापुर का सिंहासन न छीन लें। शकुनि ने बचपन से ही दुयर्योधन के मन में पांडवों के प्रति घृणा भरी। एक बार दुयर्योधन इंद्रप्रस्थ गया, जहाँ उसने रंगोली को फर्श समझकर जल से भरे ताल में कदम रखा और गिर पड़ा। यह देखकर द्रौपदी जोर से हँसी और उनके मुँह से निकल गया, “अंधे का पुत्र भी अंधा।” यह बात दुयर्योधन के दिल में तीर की तरह चुभ गई। हालाँकि द्रौपदी को बाद में अपनी गलती का एहसास हुआ, लेकिन अपमान का बीज बोया जा चुका था। शकुनि ने इसका फायदा उठाया और दुयर्योधन को द्यूत क्रीड़ा (जुआ) के लिए पांडवों को आमंत्रित करने की सलाह दी। शकुनि ने कहा कि राज्य के बँटवारे का फैसला इस खेल से होगा। पांडव इस खेल में माहिर नहीं थे, फिर भी उन्होंने इसे भाईचारे के विश्वास में स्वीकार किया। श्रीकृष्ण ने इस खेल का विरोध किया और कहा कि द्यूत क्रीड़ा सबसे बुरा खेल है, लेकिन पांडव नहीं माने। खेल में पांडव सब कुछ हार गए अपना राज्य, संपत्ति, और अंततः द्रौपदी को भी दाँव पर लगा दिया। द्यूत क्रीड़ा में द्रौपदी का चीर हरण हुआ, जिसे श्रीकृष्ण ने अंत में अपनी कृपा से रोका। यह घटना महाभारत युद्ध का सबसे बड़ा टर्निंग पॉइंट थी, जिसने कौरव-पांडवों के बीच युद्ध को अनिवार्य बना दिया।🪴
‼️युद्ध के बाद बचे लोग और परिणाम‼️
💢महाभारत युद्ध में लाखों लोग मारे गए, और लगभग 2,415 कौरव सैनिक लापता हो गए। युद्ध के बाद कौरव पक्ष से केवल चार योद्धा कृतवर्मा, कृपाचार्य, युयुत्सु, और अश्वत्थामा और पांडव पक्ष से 15 योद्धा युधिष्ठिर, अर्जुन, भीम, नकुल, सहदेव, श्रीकृष्ण, सात्यकि आदि जीवित बचे। युयुत्सु, जो धृतराष्ट्र की दासी से उत्पन्न पुत्र था, एकमात्र जीवित कौरव माना जाता है। युद्ध के बाद युधिष्ठिर ने सभी मृत योद्धाओं का अंतिम संस्कार करवाया। युद्ध के बाद श्रीकृष्ण के कुल में गांधारी के शाप के कारण आपसी युद्ध हुआ, जिसमें उनके पुत्र और अन्य यादव मारे गए। बलराम ने समुद्र तट पर समाधि ले ली, और श्रीकृष्ण को प्रभास क्षेत्र में एक बहेलिए का तीर पैर में लगा, जिससे उन्होंने देह त्याग दी। इसके बाद द्वारका समुद्र में डूब गई। धृतराष्ट्र, गांधारी, कुंती, विदुर, और संजय युद्ध के बाद 15 वर्ष तक पांडवों के साथ रहे। एक दिन भीम ने धृतराष्ट्र और गांधारी के सामने कुछ ऐसी बातें कहीं, जिससे दुखी होकर वे वन चले गए। कुंती, विदुर, और संजय भी उनके साथ गए। वन में रहते हुए विदुर ने युधिष्ठिर के सामने देह त्याग दी, और उनके प्राण युधिष्ठिर में समा गए। एक दिन वन में आग लगने पर धृतराष्ट्र, गांधारी, और कुंती भागने में असमर्थ रहे और उन्होंने एकाग्रचित होकर प्राण त्याग दिए। संजय ने यह समाचार तपस्वियों को बताया और हिमालय में तपस्या के लिए चले गए। युधिष्ठिर ने सभी का श्राद्ध करवाया और दान-दक्षिणा देकर उनकी आत्मा की शांति के लिए संस्कार
किए।💢
‼️पांडवों का वनवास और अज्ञातवास की गुफाएँ‼️
🧑🍼कौरवों के छल से पांडवों को 13 वर्ष का वनवास और एक वर्ष का अज्ञातवास झेलना पड़ा। इस दौरान उन्होंने भारत के कई स्थानों पर समय बिताया। इन स्थानों पर आज भी पांडवों से जुड़ी गुफाएँ मौजूद हैं, जिन्हें नवनिर्मित गुफाएँ कहा जाता है। ये गुफाएँ ऐतिहासिक और धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं। उत्तराखंड में पांडव खोली और गुप्तकाशी के पास की गुफाएँ प्रसिद्ध हैं। माना जाता है कि भीम ने अपने बल से पांडव खोली गुफा का निर्माण किया था। मध्य प्रदेश की पचमढ़ी में भी ऐसी गुफाएँ हैं, जहाँ पांडवों ने वनवास के दौरान शरण ली थी। स्थानीय लोग बताते हैं कि इन पहाड़ियों और जंगलों ने पांडवों को आश्रय दिया। ये गुफाएँ पुरातात्विक अध्ययन का विषय हैं और वैज्ञानिक व इतिहासकार इनके माध्यम से महाभारत काल की जानकारी खोजते हैं। ये गुफाएँ श्रद्धालुओं के लिए आस्था का केंद्र हैं, जहाँ लोग पांडवों के संघर्ष और साहस को याद करते हैं।🧑🍼
🍀 पुराण में वर्णित विज्ञान 🍀
Comments
Post a Comment