दूध के विषय में आयुर्वेद क्या कहता है?
दूध के विषय में आयुर्वेद क्या कहता है??
यह प्रसंग आयुर्वेद के प्रसिद्ध ग्रंथ #योगरत्नाकर के अध्याय नंबर एक से लिया गया है।इस अध्याय का नाम है मौलिक सिद्धांत!!
इसमें ग्रंथ के रचनाकार दूध के विषय में लिखते हैं।
जिस व्यक्ति की भूख अच्छी हो, या जो व्यक्ति दुबला हो, या कोई बालक हो वृद्धि हो। जिसकी मिथुन में अत्यधिक रुचि रहती हो। ऐसे लोगों के लिए दूध हितकर होता है।दूध को तुम शुक्र को बढ़ाने वाला जानों
🚩आगे ग्रंथकार लिखते हैं--
बुखार शरीर में रम गया हो। फेफड़े कमजोर हो गए हो। बार-बार एलर्जी की समस्या होती हो।
ऐसी स्थिति में देसी गाय का दूध सर्वोत्तम है।
भारतीय देसी गाय का दूध बल को बढ़ाने वाला और जीवनी शक्ति को बढ़ाने वाला है।
यह बात और पित्त जो बढ़ जाते हैं उनको कम करता है।
🚩आगे ग्रंथ के रचनाकार लिखते हैं--
🧿देसी काली गाय का दूध अन्य गायों की अपेक्षा श्रेष्ठ होता है। क्योंकि यह बात पित्त और कफ तीनों को संतुलित रखने में सर्वोत्तम है।
🌟हल्का पीलापन ली हुई गाय का दूध वात और पित्त को ठीक करता है।
🌹लाल रंग की गाय का दूध विशेष रूप से वात नाशक है। यह वात रोगों में सर्वोत्तम है।
🍂चितकबरी गाय का दूध भी लाल गाय के समान ही होता है।
💫सफेद गाय का दूध कफ को बढ़ाने वाला होता है।तथा पचाने में कठिन होता है।
,👉जिन गायों की संतान मर जाए या भूखी रहे उन गायों का दूध उपयोग में नहीं लेना चाहिए वह तीनों दोषों को बढ़ाने वाला होता है और रोग उत्पन्न करता है।
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