हिरण्याक्ष ने पृथ्वी को चुराकर 'समुद्र' में छिपा दिया। कैसे?
हिरण्याक्ष ने पृथ्वी को चुराकर 'समुद्र' में छिपा दिया। कैसे?
एक पौराणिक पहेली और ब्रह्मांडीय सत्य... 🌍✨
शास्त्र कहते हैं कि हिरण्याक्ष ने पृथ्वी को चुराकर 'समुद्र' में छिपा दिया था, जहाँ से भगवान वराह उसे निकालकर लाए। यह बात आज के तार्किक दिमाग को खटकती है—भला पृथ्वी समुद्र में कैसे छिप सकती है?
इस भ्रम को दूर किया है आधुनिक खगोल विज्ञान ने। वैज्ञानिकों ने सुदूर अंतरिक्ष में एक 'महासागर' खोजा है, जो पृथ्वी के जल से खरबों गुना विशाल है। यह खोज हमें सोचने पर मजबूर करती है कि हमारे ऋषियों का 'भवसागर' का ज्ञान कितना गहरा था।
जो इस ब्रह्मांड का रचयिता है, उसकी लीला को हमारी सीमित बुद्धि से समझना असंभव है। मानव तो अपनी आँखों से उनके विराट स्वरूप को भी नहीं देख सकता।
दुःख की बात है कि आज हम अपनी ही महान विरासत पर शक करते हैं। जहाँ सभ्यता, ज्ञान, विज्ञान और धर्म का सूर्य सबसे पहले उगा, आज उसी भारत के लोग पश्चिमी चकाचौंध में अपने इतिहास को भूल रहे हैं।
चाहे आर्यभट्ट का खगोल विज्ञान हो या वेदों का गूढ़ ज्ञान—भारत हमेशा विश्व गुरु रहा है। प्रकृति का यह अद्भुत संतुलन और जीवन की जटिलता उस परम शक्ति का ही प्रमाण है।
अपने धर्म और ज्ञान पर विश्वास रखें। 🙏🇮🇳
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विज्ञान और धर्म का मेल (संतुलित और जानकारीपूर्ण)
अक्सर यह सवाल उठता है: अगर समुद्र पृथ्वी पर ही है, तो भगवान वराह ने पृथ्वी को किस समुद्र से बाहर निकाला था? 🤔
पौराणिक कथाओं के अनुसार, जब हिरण्याक्ष ने पृथ्वी को समुद्र में छिपा दिया था, तब भगवान विष्णु ने वराह अवतार लेकर उसे बचाया था। आज के युग में कई लोग इसे मात्र एक दंतकथा या मनगढ़ंत कहानी मानते हैं।
लेकिन रुकिए! क्या यह सच में सिर्फ एक कहानी है?
🌌 नासा (NASA) की एक चौंकाने वाली खोज:
खगोलविदों की दो टीमों ने ब्रह्मांड में पानी का अब तक का सबसे बड़ा और सबसे दूर स्थित जलाशय खोजा है।
🔹 यह जलाशय पृथ्वी से 12 बिलियन प्रकाश-वर्ष दूर है।
🔹 इसमें हमारी पृथ्वी के सभी महासागरों के कुल पानी से 140 खरब गुना (140 Trillion times) ज्यादा पानी है!
शायद यही वह 'भवसागर' है जिसका वर्णन हमारे शास्त्रों में मिलता है और जहाँ हिरण्याक्ष ने पृथ्वी को छिपाया था।
यह खबर उन लोगों के लिए एक करारा जवाब है जो भारतीय ज्ञान-विज्ञान और धर्म को पिछड़ा मानते हैं। जब दुनिया को खगोलशास्त्र का 'क' भी नहीं पता था, तब हमारे यहाँ आर्यभट्ट जैसे वैज्ञानिक ब्रह्मांड के रहस्य सुलझा रहे थे और तुलसीदास जी सूर्य की दूरी बता रहे थे।
ब्रह्मांड के रचयिता की शक्तियों की थाह लगाना तुच्छ मानव के वश की बात नहीं। यह सृष्टि अनायास नहीं चल रही, इसके पीछे एक विराट शक्ति है।
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।। जय श्री हरि ।। 🙏
जो हमारी सभ्यता को 'गंवार' और हमारे इतिहास को 'मिथक' कहते हैं, वे यह जरूर पढ़ें! 🔥
हमसे पूछा जाता है कि वराह भगवान ने पृथ्वी को किस समुद्र से निकाला? लोग हमारी कथाओं का मजाक उड़ाते हैं।
लीजिए, अब विज्ञान ने भी प्रमाण दे दिया है। 🌌
नासा ने ब्रह्मांड में एक ऐसे पानी के जलाशय को खोजा है जो पृथ्वी के समुद्रों से 140 खरब गुना बड़ा है। हमारे शास्त्रों में वर्णित 'भवसागर' की कल्पना आज सच साबित हो रही है।
समस्या यह है कि कुछ लोगों को हर चीज के लिए पश्चिम का प्रमाण पत्र चाहिए।
👉 जब इंग्लैंड में पहला स्कूल खुला था, भारत में लाखों गुरुकुल थे।
👉 जब दुनिया कपड़े पहनना सीख रही थी, हमारे यहाँ वेद और पुराण लिखे जा चुके थे।
👉 आर्यभट्ट ने सदियों पहले बता दिया था कि पृथ्वी गोल है और ब्रह्मांड क्या है।
यह सृष्टि, यह जीवन, यह सटीक कालचक्र—यह सब बिना किसी निराकार शक्ति के असंभव है। ईश्वर पर तर्क करने से पहले अपने महान पूर्वजों के ज्ञान को समझें।
दूसरों की मानकर अपने धर्म पर सवाल उठाना बंद करें। सत्य सनातन है। 🚩
।। जय श्री हरि ।।
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