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चेतना का प्रवाह ऊपर की शुद्धता से नीचे के स्थूल रूपों तक उतरता है।

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यह  विवरण सांख्य दर्शन की तत्त्व-उत्पत्ति पर आधारित है।। यह  चित्र बताता है कि चेतना की यात्रा कैसे शुद्ध पुरुष से प्रारंभ होकर पदार्थ तक पहुँचती है। सबसे ऊपर दो मूल तत्व हैं पुरुष और प्रकृति।  पुरुष शुद्ध चेतना है: अकर्ता, निष्क्रिय, केवल साक्षी। प्रकृति मूल ऊर्जा है, जिसमें तीन गुण: सत्त्व, रजस और तमस सदैव संतुलन में रहते हैं।  पुरुष का केवल देखना ही प्रकृति में हलचल पैदा करता है, जिससे सबसे पहले महत (ब्रह्मांड की प्रथम जागरूकता) उत्पन्न होती है। महत का ही विकसित रूप है बुद्धि, जो विवेक, निर्णय, पहचान और जानने की क्षमता का स्रोत है।  बुद्धि से आगे प्रकट होता है अहंकार, वह शक्ति जो चेतना में “मैं” और “मेरा” की अनुभूति पैदा करती है अहंकार बुरा नहीं होता; यह वही द्वार है जिससे पूरी प्रकृति बाहर आती है। यही अहंकार तीन धाराओं में विभाजित होकर पूरा जगत रचता है।  सत्त्व-प्रधान अहंकार प्रकाश और स्पष्टता से युक्त होकर पाँच ज्ञानेंद्रियों (श्रवण–ध्वनि, दृष्टि–रूप, रसना–स्वाद, घ्राण–गंध, स्पर्श–स्पर्श) और पाँच कर्मेंद्रियों (वाणी, हाथ, पैर, उत्सर्ग, प्रज...

ग्रहों के प्रभाव से होने वाली बिमारियों के बारे में जान सकते हैं

कई बार आप बीमार पड़ते हैं और लगातार इलाज के बाद भी बीमारी ठीक नहीं होती है तो कई बार आपकी बीमारी डॉक्टर की समझ से भी बाहर होती है। यह सब ग्रहों के प्रकोप के कारण होता है। प्रत्येक ग्रह का हमारी धरती और हमारे शरीर सहित मन- मस्तिष्क पर प्रभाव पड़ता है, जिसके चलते हमें सामान्य या गंभीर बीमारियों का सामना करना पड़ता है। सतर्क रहकर हम कई सारी बीमारियों से बच सकते हैं। यहां आप विभिन्न ग्रहों के प्रभाव से होने वाली बिमारियों के बारे में जान सकते हैं  ● सूर्य • दिमाग समेत शरीर का दायां भाग सूर्य से प्रभावित होता है। • सूर्य के अशुभ होने पर शरीर में अकड़न आ जाती है। • मुंह में थूक बना रहता है। • व्यक्ति अपना विवेक खो बैठता है। • दिल का रोग हो जाता है।  • मुंह और दांतों में तकलीफ होती है। • सिरदर्द बना रहता है। _सूर्य ग्रह की पीड़ा के निवारण के लिए_ • इलाइची, केसर एवं गुलहठी, लाल रंग के फूल मिश्रित जल द्वारा स्‍नान करने से सूर्य के दुष्‍प्रभाव कम होत ● चंद्रमा • चन्द्रमा मुख्य रूप से दिल, बायां भाग से संबंध रखता है। • मिर्गी का रोग। • पागलपन। • बेहोशी। • फेफड़े संबंधी रोग। • मासिक धर्म ...

हिरण्याक्ष ने पृथ्वी को चुराकर 'समुद्र' में छिपा दिया। कैसे?

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हिरण्याक्ष ने पृथ्वी को चुराकर 'समुद्र' में छिपा दिया। कैसे? एक पौराणिक पहेली और ब्रह्मांडीय सत्य... 🌍✨ शास्त्र कहते हैं कि हिरण्याक्ष ने पृथ्वी को चुराकर 'समुद्र' में छिपा दिया था, जहाँ से भगवान वराह उसे निकालकर लाए। यह बात आज के तार्किक दिमाग को खटकती है—भला पृथ्वी समुद्र में कैसे छिप सकती है? इस भ्रम को दूर किया है आधुनिक खगोल विज्ञान ने। वैज्ञानिकों ने सुदूर अंतरिक्ष में एक 'महासागर' खोजा है, जो पृथ्वी के जल से खरबों गुना विशाल है। यह खोज हमें सोचने पर मजबूर करती है कि हमारे ऋषियों का 'भवसागर' का ज्ञान कितना गहरा था। जो इस ब्रह्मांड का रचयिता है, उसकी लीला को हमारी सीमित बुद्धि से समझना असंभव है। मानव तो अपनी आँखों से उनके विराट स्वरूप को भी नहीं देख सकता। दुःख की बात है कि आज हम अपनी ही महान विरासत पर शक करते हैं। जहाँ सभ्यता, ज्ञान, विज्ञान और धर्म का सूर्य सबसे पहले उगा, आज उसी भारत के लोग पश्चिमी चकाचौंध में अपने इतिहास को भूल रहे हैं। चाहे आर्यभट्ट का खगोल विज्ञान हो या वेदों का गूढ़ ज्ञान—भारत हमेशा विश्व गुरु रहा है। प्रकृति का यह ...
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#भौतिकवादी_विचार_के_अनुसार स्त्री पुरुष के शारीरिक सम्बन्ध के कारण बच्चे का जन्म होता है -- यह आधुनिक बायोलॉजी की मान्यता है, इस मान्यता को गीता में "आसुरी" चिन्तन कहा गया है | इस आसुरी विचार के कारण ही इस शास्त्र को "आनुवांशिकी" कहा जाता है, क्योंकि इस मान्यता के अनुसार मनुष्य को सारे जेनेटिक गुण-अवगुण अपने माँ-बाप के वंशों द्वारा ही मिलते हैं | किन्तु वैदिक विचारधारा के अनुसार बच्चा अपने पूर्वकर्मों के फलस्वरूप जन्म लेता है | अपने कर्मफलों के अनुरूप मेल खाने वाले वंश में ही ईश्वर की कृपा से जन्म लेता है, जिस कारण भ्रम होता है कि माँ-बाप के गुणसूत्र ही बच्चे की जेनेटिक प्रणाली के नियन्ता हैं | माँ-बाप के गुणसूत्र निर्जीव अणु-समूह हैं, आत्मा निकल जाय तो मिट्टी हैं | वे भला जीते-जागते बच्चे को क्या बनायेंगे !! वे केवल सूचनाओं की आणविक पुस्तिका हैं, वे "जीव" नहीं हैं | जीव है निराकार निष्क्रिय शुद्ध चैतन्य आत्मा का प्रकृति के साथ बद्ध स्वरुप, जिसमें जीव अपने वास्तविक आत्मा को भूलकर चित्त के पटल पर जैसा दिखता रहता है वैसी ही अविद्या पाले रहता है |...

वेदों_में_है_ब्रह्मांड_का_ध्वनि_विज्ञान

#वेदों_में_है_ब्रह्मांड_का_ध्वनि_विज्ञान वेद ज्ञान को आधार मान कर न्यूलैंड के एक वैज्ञानिक स्टेन क्रो ने एक डिवाइस विकसित कर लिया। ध्वनि पर आधारित इस डिवाइस से मोबाइल की बैटरी चार्ज हो जाती है। इस बिजली की आवश्यकता नहीं होती है। भारत के वरिष्ठ अंतरिक्ष वैज्ञानिक ओमप्रकाश पांडे के मुताबिक इस डिवाइस का नाम भी ‘ओम’ डिवाइस रखा गया है। उन्होंने कहा कि संस्कृत को अपौरुष भाषा इसलिए कहा जाता है कि इसकी रचना ब्रह्मांड की ध्वनियों से हुई है। उन्होंने बताया कि गति सर्वत्र है। चाहे वस्तु स्थिर हो या गतिमान। गति होगी तो ध्वनि निकलेगी। ध्वनि होगी तो शब्द निकलेगा। सौर परिवार के प्रमुख सूर्य के एक ओर से नौ रश्मियां निकलती हैं और ये चारों और से अलग-अलग निकलती है। इस तरह कुल 36 रश्मियां हो गई। इन 36 रश्मियों के ध्वनियों पर संस्कृत के 36 स्वर बने। इस तरह सूर्य की जब नौ रश्मियां पृथ्वी पर आती है तो उनका पृथ्वी के आठ बसुओं से टक्कर होती है। सूर्य की नौ रश्मियां और पृथ्वी के आठ बसुओं की आपस में टकराने से जो 72 प्रकार की ध्वनियां उत्पन्न हुई वे संस्कृत के 72 व्यंजन बन गई। इस प्रकार ब्रह्मांड में निकलने वाली ...

दुनिया के नौ जाने माने लोगों के वचन-

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दुनिया के नौ जाने माने लोगों के वचन- 1. *लियो टॉल्स्टॉय (1828 -1910):* "हिन्दू धर्म दुनियाँ पर राज करेगा, क्योंकि इसी में ज्ञान और बुद्धि का संयोजन है"।  2. *हर्बर्ट वेल्स (1846 - 1946):* " हिन्दुत्व का प्रभावीकरण फिर होने तक अनगिनत कितनी पीढ़ियां अत्याचार सहेंगी और जीवन कट जाएगा, तभी एक दिन पूरी दुनियाँ उसकी ओर आकर्षित हो जाएगी, उसी दिन ही दिलशाद होंगे और उसी दिन दुनियाँ आबाद होगी । सलाम हो उस दिन को "। 3. *अल्बर्ट आइंस्टीन (1879 - 1955):* "मैं समझता हूँ कि हिन्दूओ ने अपनी बुद्धि और जागरूकता के माध्यम से वह किया जो यहूदी न कर सके । हिन्दुत्व मे ही वह शक्ति है जिससे शांति स्थापित हो सकती है"।  4. *हस्टन स्मिथ (1919):* "जो विश्वास हम पर है और इस हम से बेहतर कुछ भी दुनियाँ में है तो वो हिन्दुत्व है । अगर हम अपना दिल और दिमाग इसके लिए खोलें तो उसमें हमारी ही भलाई होगी"। 5. *माइकल नोस्टरैडैमस (1503 - 1566):* " हिन्दुत्व ही यूरोप में शासक धर्म बन जाएगा बल्कि यूरोप का प्रसिद्ध शहर हिन्दू राजधानी बन जाएगा"।  6. *बर्टरेंड रसेल (1872...

सनातन परंपरा: जहाँ हर चीज़ एक गुरु है।”

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सुप्रभात  🕉️ “सनातन परंपरा: जहाँ हर चीज़ एक गुरु है।” --- 🌸 सनातन संस्कृति की सीख 🌸 📚 पुस्तकों में – गीता 🐄 प्राणियों में – गाय 🕊️ पक्षियों में – गरुड़ 🌊 नदियों में – गंगा 🌿 पौधों में – तुलसी 🕉️ प्रतीकों में – ॐ ✨ हर वस्तु एक संदेश देती है: ⏰ समय मत गँवाओ – घड़ी 🐜 संगठन में रहो – चींटी ☀️ नियमित बनो – सूर्य 🌹 दुख में भी खुश रहो – गुलाब 💖 रिश्तों की आँखों में छिपा खजाना: 👩 माँ – ममता 👨 पिता – कर्तव्य 👨‍🏫 गुरु – ज्ञान 👩 पत्नी – प्रेम 👩‍🦰 बहन – प्यार 🙏 यही है सनातन संस्कृति का चमत्कार 🙏 #जयश्रीराम  #सनातन_संस्कृति  #जीवन_की_सीख  #भारतीय_परंपरा