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Showing posts from February, 2023

गरुड़ पुराण के अनुसार 100% सत्य है

(((((( गरुड़ पुराण के अनुसार 100% सत्य है ))))) * मरने के बाद क्या होता है ? * क्या मृत्यु के बाद भी जीवन है ? * मौत दर्दनाक है ? * पुनर्जन्म कैसे होता है ? * मरने के बाद जीवात्मा कहाँ जाती है ? ■ ऐसे सवाल तभी आते हैं जब वो हमारे मन में आते हैं... कब - | हमारे रिश्तेदार में से एक की मृत्यु हो गई हो सकती है! ■ ऐसे समय में हम सोचते हैं कि - क्या उस शख्स से हमारा रिश्ता खत्म हो गया है? ■ क्या हम उस व्यक्ति से दोबारा कभी नहीं मिल सकते? हमारे सभी सवालों का जवाब - हमारे प्राचीन ' गरूड़ पुराण' से मिलेगा :- - चलो आज को आसानी से समझने की कोशिश करते हैं.... ■ मृत्यु एक रोचक 'कार्य' या 'घटना' है। पृथ्वी - चक्र का संबंध: ■ मौत से 3 से 4 घंटे पहले अनुमानित - पैरों के नीचे के हिस्से ठंडे होने लगे हैं। ये लक्षण बताते हैं कि पृथ्वी चक्र जो पैरों के नीचे स्थित है, - शरीर से छुटकारा मिल रहा है। अति: मौत से कुछ देर पहले पैरों के तलवे ठंडे हो जाते हैं। ■ जब मौत का वक्त आता है...  जैसा कि कहा जाता है कि.... यमदूत उस जीवन का मार्गदर्शन करने आते हैं। * लाइफस्टाइल (एस्ट्रल कॉर्ड): ■ जी...

सूर्य की सात रश्मियों से सप्ताह की उत्पत्ति हुई है।

सूर्य की सात रश्मियों से सप्ताह की उत्पत्ति हुई है। ******* पुरा ग्रंथों में छिपा विज्ञान ******* कूर्मपुराण के "पूर्व विभाग" के 41वें अध्याय के तीसरे श्लोक से 7 वें श्लोक तक सूत जी ने शौनकादि ऋषियों को सूर्य की 7 रश्मियों से सप्ताह की उत्पत्ति बताते हुए कहा कि - तीसरे और चौथे श्लोक में भगवान सूर्य की सात रश्मियों को देखिए -  सुषुम्नो हरिकेशश्च विश्वकर्मा तथैव च।  विश्वव्यचा:पुनश्चान्य:संयद्वसुरत:पर:।।3।।  अर्वावसुरिति ख्यात:स्वराडन्य:प्रकीर्तित:।।   (1) सुषुम्न (2) हरिकेश (3) विश्वकर्मा (4) विश्वव्यचा (5) संयद्वसु (6) अर्वावसु (7) स्वराट् ।। सूर्य भगवान की 7 रश्मियों के नाम हैं। अब इन सातों रश्मियों का क्रम से सात ग्रहों पर प्रभाव देखिए।  (1) प्रथम दिवस रवि-वार   (2) द्वितीय  दिवस  सोम-वार अर्थात चंद्र-वार   सुषुम्न:सूर्यरश्मिस्तु पुष्णाति शिशिरद्युतिम्।  तिर्यगूर्ध्वप्रचारोsसौ   सुषुम्न:   परिपठ्यते।। सूर्य की सुषुम्ना नाम की रश्मि तिर्यग् अर्थात टेढ़ी चलती हुई ऊर्ध्व अर्थात ऊपर की ओर जाती हुई, चन्द्रमा को...

ब्रह्माण्ड की आयु Age of Universe

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ब्रह्माण्ड की आयु  Age of Universe - Vedas (ShriMadBhagwatam) श्री मदभागवतम् में ब्रह्माण्ड उत्पति का जो वर्णन मिलता है वो इस प्रकार है : ब्रह्माण्ड उत्पति से पूर्व भगवान विष्णु ही केवल विधमान थे और शयनाधीन थे. विष्णु जी की नाभि से एक कमल अंकुरित हुआ । उसी कमल में ब्रह्मा विराजमान थे। While Vishnu is asleep, a lotus sprouts of his navel (note that navel is symbolised as the root of creation!). Inside this lotus, Brahma resides. Brahma represents the universe which we all live in, and it is this Brahma who creates life forms.  यहाँ नाभि से कमल अंकुरित होने का अभिप्राय एक बिंदु से ब्रह्माण्ड उत्पति है. एक बिंदु से ब्रह्माण्ड का उद्गम हुआ इसी को दर्शाने के लिए यहाँ कमल का अलंकर प्रयुक्त किया गया है । कमल में विराजमान ब्रह्मा सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड का प्रतिनिधित्व करते है अर्थात ब्रह्मा ही ब्रह्माण्ड है इसी कारण इसे ब्रह्म+अण्ड (Cosmic Egg) कहा गया है . बिल्कुल इसी प्रकार के थ्योरी आधुनिक विज्ञानं की है जिसे बिगबेंग की संज्ञा दी गयी । इसमे बताया गया है की ब्रह्माण्ड उत्...

व्रह्मांड और समय की धारणा l

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व्रह्मांड और समय की धारणा l June 27, 2022 व्रह्मांड और समय की धारणा l आपको गर्व अनुभव होगा की हमने अति प्राचीन ज्ञान के एकमात्र धारक सनातन धर्मीय परिवार में जन्म लिया है। #वैदिक बिहारी जी नीतीश  भारतवर्ष में जन्म लिया है। आज के वैज्ञानिक समय कैसे नापते है? पिकोसेकेण्ड  नैनो सेकेण्ड  माईक्रो सेकेण्ड,  सेकेण्ड  60 सेकेण्ड मे 1 मिनट,  60 मिनट मे 1 घन्टा, 24 घन्टे मे 1 दिन,(पृथ्वी के आपनी धुरी पर घुमना) 30 दिन मे 1 माह  12 माह मे 1 साल या वर्ष ।(पृथ्वी का सुर्य की एक वार परिक्रमण करना) बस ? अब वेद पर आते है। ।।।।।।।।।।।।।।।।।।।। *1 परमाणु = काल की सबसे सूक्ष्मतम अवस्था  *2 परमाणु = 1 अणु  *3 अणु = 1 त्रसरेणु  *3 त्रसरेणु = 1 त्रुटि  *10 ‍त्रुटि = 1 प्राण  *10 प्राण = 1 वेध  *3 वेध = 1 लव या 60 रेणु  *3 लव = 1 निमेष  *1 निमेष = 1 पलक झपकने का समय  *2 निमेष = 1 विपल (60 विपल एक पल होता है)  *3 निमेष = 1 क्षण  *5 निमेष = 2 सही 1 बटा 2 त्रुटि  *2 सही 1 बटा 2 त्रुटि = 1 सेकंड या 1 लीक्षक से कुछ कम।...