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Showing posts from December, 2023

the yuga

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None could Understand But you could if you practise yourself with your Computers! Try if you Could!!!! All below answers  of Squares , cubes and ^5 of 15 digits figurs9 are Incorrect as this calculator unable to handle 15 Digit multiplications  ! Answers never comes with 10...... this digit 99999999999999...... is  rouuded as 10..... and added 0 at the end to extra digit in answers! Its an overflowing of Memories! Which we call as MATI BHRASHTa ! :) https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=1907701366031110&id=100003737968012  FOR SQUARES  Correct answer is  999,999,999,999,998, 000, 000, 000, 000, 001 total 30 digits with 14 digits9s followed by 8 and 14digits 0 and last digit1 That's the vedic Maths correction of errors!  FOR CUBES Correct answer is  999,999,999,999,997 000, 000, 000, 000, 002, 999,999,999,999,999 total 45 digits with 14 digits9s followed by7 and 14digits 0 followed by 2 and last 15 digits 9 That's the vedic Maths correcti...

पंच कन्या कौन है, क्या है उनकी गाथा*

*पंच कन्या कौन है, क्या है उनकी गाथा* *यूं तो भारत में हजारों ऐसी महिलाएं हुई हैं जिनकी पतिव्रता पालन की मिसाल दी जाती है, लेकिन उनमें से भी कुछ ऐसी हैं जो इतिहास का अमिट हिस्सा बन चुकी हैं। हिंदू इतिहास अनुसार इस संसार में पांच सती हुई है, जो क्रमश: इस प्रकार हैं।* *अहल्या द्रौपदी तारा कुंती मंदोदरी तथा।* *अर्थात अहिल्या (ऋषि गौतम की पत्नी), द्रौपदी (पांडवों की पत्नी), तारा (वानरराज बाली की पत्नी), कुंती (पांडु की पत्नी) तथा मंदोदरी (रावण की पत्नी)। इन पांच कन्याओं का प्रतिदिन स्मरण करने से सारे पाप धुल जाते हैं। ये पांच स्त्रियां विवाहिता होने पर भी कन्याओं के समान ही पवित्र मानी गई है।* *1. अहिल्या : देवी अहिल्या की कथा का वर्णन वाल्मीकि रामायण के बालकांड में मिलता है। अहिल्या अत्यंत ही सुंदर, सुशील और पतिव्रता नारी थीं। उनका विवाह ऋषि गौतम से हुआ था। दोनों ही वन में रहकर तपस्या और ध्यान करते थे। शास्त्रों के अनुसार शचिपति इन्द्र ने गौतम की पत्नी अहिल्या के साथ उस वक्त छल से सहवास किया था, जब गौतम ऋषि प्रात: काल स्नान करने के लिए आश्रम से बाहर गए थे।*    _*लेकिन जब गौतम मुन...

उत्तर दीजिए

उत्तर दीजिए  प्रश्न संख्या एक - ISS इन्टरनेशनल स्पेस स्टेशन से अगर किसी अंतरिक्ष यात्री का जूता गिरा दिया जाए तो क्या होगा?  A-जूता सीधा धरती की तरफ आएगा, वातावरण मे पहुँचते ही जल कर राख हो जाएगा B- जूता स्पेस स्टेशन से गिरते ही, स्पेस स्टेशन के साथ साथ धरती का चक्कर लगाएगा, फिर धीरे धीरे उसकी कक्षा लोवर होती जाएगी, फिर वातावरण मे आने पर जल कर राख हो जाएगा!!  ---- प्रश्न संख्या दो - स्पेस (अंतरिक्ष) का मतलब क्या है?  A- वहाँ धरती का ग्रेविटेशम शून्य होना  B- वहाँ वातावरण गैस एयर का ना होना  C- दोनो ---- प्रश्न संख्या तीन - स्पेस स्टेशन मे अंतरिक्ष यात्री हवा मे तैरते हुवे दिखाई देते हैं!! क्यों??  A- वहाँ धरती का ग्रेविटेशम शून्य होता है  B- वहाँ ग्रेविटेशम तो होता है लेकिन यान के भीतर वह शून्य होता है, क्यों की यान धरती की परिक्रमा कर रहा है, सेंट्रिपिटल / सेंट्रिफ्युगल फोर्स के कारण ग्रेविटेशम यान के भीतर न्त्यूट्रल हो जाता है!! ----- प्रश्न संख्या चार - अभी तीन साल पहले सबसे ऊँची छलांग का रिकार्ड एक अंतरिक्ष यात्री ने बनाया! उसने छलांग कहा...

जानिये भारत भूमी के बारे मे विदेशीयो कि राय

जानिये भारत भूमी के बारे मे विदेशीयो कि राय 1. अलबर्ट आइन्स्टीन - हम भारत के बहुत ऋणी हैं, जिसने हमें गिनती सिखाई, जिसके बिना कोई भी सार्थक वैज्ञानिक खोज संभव नहीं हो पाती। 2. रोमां रोलां (फ्रांस) - मानव ने आदिकाल से जो सपने देखने शुरू किये, उनके साकार होने का इस धरती पर कोई स्थान है, तो वो है भारत। 3. हू शिह (अमेरिका में चीन राजदूत)- सीमा पर एक भी सैनिक न भेजते हुए भारत ने बीस सदियों तक सांस्कृतिक धरातल पर चीन को जीता और उसे प्रभावित भी किया।... 4. मैक्स मुलर- यदि मुझसे कोई पूछे की किस आकाश के तले मानव मन अपने अनमोल उपहारों समेत पूर्णतया विकसित हुआ है, जहां जीवन की जटिल समस्याओं का गहन विश्लेषण हुआ और समाधान भी प्रस्तुत किया गया, जो उसके भी प्रसंशा का पात्र हुआ जिन्होंने प्लेटो और कांट का अध्ययन किया,तो मैं भारत का नाम लूँगा। 5. मार्क ट्वेन- मनुष्य के इतिहास में जो भी मूल्यवान और सृजनशील सामग्री है, उसका भंडार अकेले भारत में है। 6. आर्थर शोपेन्हावर - विश्व भर में ऐसा कोई अध्ययन नहीं है जो उपनिषदों जितना उपकारी और उद्दत हो। यही मेरे जीवन को शांति देता रहा है, और वही मृत्यु में भी शांति...

हमारे ऋषि मुनियों ने पहले ही बता दिया था कि

आयुर्वेद ग्रंथों  में हमारे ऋषि मुनियों ने पहले ही बता दिया गया  था कि   धोवन पानी पीने का वैज्ञानिक तथ्य और आज की आवश्यकता वायुमण्डल में प्राणवायु ऑक्सीजन की अधिकतम मात्रा 21% है, लेकिन यह मात्रा भारत के किसी गाँव में 18 या 19% से ज्यादा नही है और शहरों में तो 11 या 12°/. तक ही है। भारतीय गाय के ताज़ा गोबर में #प्राणवायु ऑक्सीजन की मात्रा 23% है। जब इस गोबर को सुखा कर कण्डा बनाया जाता है तो इसमें ऑक्सीजन की मात्रा बढ़कर 27% हो जाती है।जब इस कण्डे को जलाकर जो राख बनतीं हैं तो इसमें  ऑक्सीजन की मात्रा बढ़कर 30% हो जाती है।   इसी  को  भस्म बना देने पर प्राणवायु 46.6% हो जाती है।  जब भस्म को दोबारा जलाकर विशुद्ध भस्म बनाते हैं तो इसमें 60% तक प्राणवायु आ जाता है। जब कि मॉडर्न विज्ञान कहता है कि किसी भी वस्तु को प्रोसेस करने से उसमें हानि होती है। 10 लीटर जल में अगर 25 ग्राम भस्म मिला दे तो जल शुद्ध होने के साथ उसमें सभी आवश्यक पोषक तत्वों की पूर्ति हो जाती है। 🏘️अपने घरमें गोबर कंडेका धुंआ कीजिये और राख को पीनेके पानीमें अग्निहोत्र भस्म ...

महाभारत में वर्णित ये पेंतीस नगर आज भी मौजूद हैं!!!!!

साभार---- महाभारत में वर्णित ये पेंतीस नगर आज भी मौजूद हैं!!!!! भारत देश महाभारतकाल में कई बड़े जनपदों में बंटा हुआ था। हम महाभारत में वर्णित जिन 35 राज्यों और शहरों के बारे में जिक्र करने जा रहे हैं, वे आज भी मौजूद हैं। आप भी देखिए। 1. गांधार👉 आज के कंधार को कभी गांधार के रूप में जाना जाता था। यह देश पाकिस्तान के रावलपिन्डी से लेकर सुदूर अफगानिस्तान तक फैला हुआ था। धृतराष्ट्र की पत्नी गांधारी वहां के राजा सुबल की पुत्री थीं। गांधारी के भाई शकुनी दुर्योधन के मामा थे। 2. तक्षशिला👉 तक्षशिला गांधार देश की राजधानी थी। इसे वर्तमान में रावलपिन्डी कहा जाता है। तक्षशिला को ज्ञान और शिक्षा की नगरी भी कहा गया है। 3. केकय प्रदेश👉  जम्मू-कश्मीर के उत्तरी इलाके का उल्लेख महाभारत में केकय प्रदेश के रूप में है। केकय प्रदेश के राजा जयसेन का विवाह वसुदेव की बहन राधादेवी के साथ हुआ था। उनका पुत्र विन्द जरासंध, दुर्योधन का मित्र था। महाभारत के युद्ध में विन्द ने कौरवों का साथ दिया था। 4. मद्र देश👉 केकय प्रदेश से ही सटा हुआ मद्र देश का आशय जम्मू-कश्मीर से ही है। एतरेय ब्राह्मण के मुताबिक, हिमालय क...

माँ आदिशक्ति का वैज्ञानिक दृष्टिकोण

#माँ आदिशक्ति का वैज्ञानिक दृष्टिकोण यह ब्रह्मांड रहस्यमय से ऊर्जामय है हम सभी के भीतर भी ऊर्जा है और हमारा जीवन उसी ऊर्जा से संचालित है, लेकिन सब लोग इस ऊर्जा व्यक्तिगत शक्ति में नहीं बदल पाते। कहाँ खर्च हो जाती है ये ऊर्जा? और क्या उपाय है इसे शक्ति में बदलने का?  इस पर विचार विवेचन से पूर्व हमें जानना होगा कि शक्ति और ऊर्जा की मौलिक तत्व और उसकी परिभाषा  आधुनिक विज्ञान दृष्टि सर्वमान्य परिभाषा यह है कि जब ऊर्जा कोई कार्य करती है तब वह #शक्ति कहलाती है। जब तक वह कार्य में संलग्न नहीं है तब तक उसका नाम ऊर्जा है। विज्ञान सूत्र रूप में कह तो यह है  #शक्ति =ऊर्जा या कार्य / समय P= W/T ऊर्जा कार्य सम्पन्न होने में लगे समय पर निर्भर करती है, जबकि शक्ति समय पर निर्भर करती है। किसी कार्य को संपन्न होने में जितना कम समय लगता है, शक्ति उतनी ही अधिक होती  अगर आप गौर से पृथ्वी और प्रकृति के ऊपर नजर दौड़ाएंगे तो , आपको पता चलेगा की हर एक प्रक्रिया के होने के पीछे ऊर्जा की कोई न कोई एक रूप अवश्य ही निहित होता हैं | इसलिए आपको अपने आसपास ऊर्जा के कई सारे भेद (types of energy) देखन...
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आर्य, पञ्चद्राविड, पञ्चगौड, और सनातन

आर्य, पञ्चद्राविड, पञ्चगौड, और सनातन का शास्त्रीय परिभाषा । स्कन्दपुराण, वाचस्पत्यम्, पण्डितसर्वस्व आदि प्राचीन ग्रन्थों में कहा गया है - कर्त्तव्यमाचरन् काममकर्त्तव्यमनाचरन् । तिष्ठति प्रकृताचारे स तु आर्य इति स्मृतः॥ जो अपना कर्तव्य पालन करता है, अकर्तव्य कार्य नहीँ करता तथा प्राकृतिक नियम के अनुसार आचरण करता है, उसे आर्य कहते हैँ । आर्य जातिवाचक शब्द नहीँ है । द्राविडान्ध्राश्च कर्णाटाः महाराष्ट्राश्च गुज्जराः। पञ्चैते द्राविडाख्याता विन्ध्यः दक्षिणवासिनः॥ तमिलनाडु तथा केरल, आन्ध्र, कर्णाटक, महाराष्ट्र, और गुजराट – विन्ध्य के दक्षिण के यह पञ्च प्रदेश को पञ्चद्राविड कहते हैँ । यह जातिवाचक शब्द नहीँ है – देशवाचक शब्द है । द्राविडो देशऽभिजनोऽस्येति अण् । सारस्वत्याः कान्यकुब्ज्याः गौडोड्रा चैव मैथिलाः। पञ्चगौडाः इमे ख्याता विन्ध्यः उत्तरवासिनः॥ सरस्वती नदी के पार्श्ववर्ती प्रदेश, कान्यकुब्ज, गौड (वंगाल, उत्तरपूर्व राज्य – वङ्गदेशंसमारभ्यभुवनेशान्तगंशिवे । गौडदेशः समाख्यातः सर्व्वविद्याविशारदः - शक्तिसङ्गमतन्त्र), ओडिशा और मिथिला – विन्ध्य के उत्तर के यह पञ्च प्रदेश को पञ्चगौड कहते हैँ ...

महाऋषि वागवट

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महाऋषि वागवट  भारत में 3000 साल पहले एक बहुत बड़े ऋषि हुये थे। नाम था महाऋषि वागवट जी उन्होंने एक पुस्तक लिखी, जिसका नाम है, अष्टांग हृदयम Astang hrudayam इस पुस्तक में उन्होंने बीमारियों को ठीक करने के लिए 7000 सूत्र लिखें थे। यह उनमें से ही एक सूत्र है। वागवट जी लिखते हैं कि कभी भी हृदय को घात हो रहा है मतलब दिल की नलियों मे blockage होना शुरू हो रहा है तो इसका मतलब है कि रक्त blood में acidity अम्लता बढ़ी हुई है अम्लता आप समझते हैं, जिसको अँग्रेजी में कहते हैं acidity अम्लता दो तरह की होती है एक होती है पेट की अम्लता और एक होती है रक्त blood की अम्लता आपके पेट में अम्लता जब बढ़ती है तो आप कहेंगे पेट में जलन सी हो रही है, खट्टी खट्टी डकार आ रही हैं , मुंह से पानी निकल रहा है और अगर ये अम्लता acidity और बढ़ जाये तो hyperacidity होगी और यही पेट की अम्लता बढ़ते-बढ़ते जब रक्त में आती है तो रक्त अम्लता blood acidity होती है और जब blood में acidity बढ़ती है तो ये अम्लीय रक्त blood दिल की नलियों में से निकल नहीं पाती और नलियों में blockage कर देता है तभी heart attack होता है...

वस्तुधर्मः

वस्तुधर्मः - (VEDIC CONCEPT OF QUANTUM NUMBERS) कासीत्प्रमा प्रतिमा किं निदानमाज्यं किमासीत्परिधिः क आसीत् । छन्दः किमासीत्प्रउगं किमुक्थं यद्देवा देवमयजन्त विश्वे ॥ ऋग्वेद १०-१३०-३ ॥ क्रियागुणवत् समवायिकारणमिति द्रव्यलक्षणम् । वैशेषिक-१,१.१५ । जो क्रिया (action) तथा गुण (characteristic properties) का समवायिकारण (inherent in it) हो उसे द्रव्य (matter - particle) कहते हैँ । गुण आत्मभाव है – अन्तर्निहित स्वभाव है । कर्म अनात्मभाव है – शक्ति सम्बन्ध से गुरुत्व, द्रवत्व, प्रयत्न, संयोग से उत्पन्न होनेवाला निसर्ग है (उत्क्षेपणादीनाम्पञ्चानामपिकर्मत्वसम्बन्धः । गुरुत्वद्रवत्वप्रयत्नसम्योगज ॥) । कहा गया है कि गुणकूटो (निश्चलः, गृहम्) द्रव्यम् (द्रव्याश्रय्यगुणवान् संयोगविभागेष्वकारणमनपेक्ष इति गुणलक्षणम् । वैशेषिक-१,१.१६ ।) । कोई गुण जहाँ अकेले न रहकर – सारे गुण जहाँ एकत्र होकर – समवाय सम्बन्ध (अयुतसिद्धानामाधार्याधारभूतानाम्यःसम्बन्धैहप्रत्ययहेतुःसमवायः - जब तक वस्तु है, तब तक उसके गुणों का एक अन्यका साथ आधार-आधेय सम्बन्ध है, ऐसे सम्बन्ध) में रहते हैँ, उसी को वस्तु कहते हैँ । गुण, धर्म, भाव,...

रामशलाका प्रश्नावली से जानिए आपके प्रश्नों का उत्तर

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रामशलाका प्रश्नावली से जानिए आपके प्रश्नों का उत्तर 〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️ हमारे जीवन में उतार-चढ़ाव के दौरान अनेक बार ऐसे मौके आते हैं जब समझ नहीं आता कि हमें कौनसा रास्ता चुनना चाहिए। इस भटकाव से उबरने के लिए श्री राम शलाका प्रश्नावली या रामायण प्रश्नावली के रूप में एक कीमती कुंजी हमें परंपरा से प्राप्त हुई है। लोक मान्यता है कि श्री राम शलाका की उत्पत्ति वाल्मीकिकृत रामायण से हुई है। श्री राम चरित मानस एक धार्मिक आस्था का प्रतीक तथा पूज्यनीय ग्रन्थ होने के साथ साथ ज्योतिषीय शास्त्र के रूप में भी अपनी प्रतिष्ठा रखता है। चाहे कैसी भी परेशानी हो, रामायण प्रश्नावली में आपके सभी प्रश्नो का जवाब छुपा है। गोस्वामी तुलसी जी ने नौ चौपाई का प्रयोग इस प्रश्नावली में किया है। एक एक चौपाई अलग अलग ग्रह का प्रतिनिधित्व करती है। अंक ज्योतिष के अनुसार सूर्य आदि नवग्रहों को एक से लेकर नौ अंको के बीच माना गया है। श्री रामायण प्रश्नावली में नव चौपाइयों को लेकर ही हर प्रश्न का समाधान दिया गया है। इन नौ चौपाइयों में से तीन चौपाइयों के हिसाब से कार्य में संदेह दिखाया गया है जो कि श...

होंगे सब संकट दूर, भगवान विष्णु के 12 नाम

होंगे सब संकट दूर भगवान विष्णु के 12 नाम कौन सी परिस्थिति में कौन सा नाम स्मरण करें. 1. दवाई लेते समय जपें :  विष्णु 2. भोजन के समय जपें :  जनार्दन 3. संकट के समय जपें :-> मधुसूदन  4. जंगल में संकट हो, जपें : नृसिंह 5. अग्नि के संकट में जपें : जलाशयी 6. बुरे स्वप्न आएं तो जपें :- गोविंद 7. जल में संकट में, जपें :  वाराह 8. पहाड़ पर संकट में जपें  : रघुनंदन 9. सोते समय जपें :  पद्मनाभ 10. यात्रा के समय जपें  : त्रिविक्रम 11. विवाह के समय जपें  : प्रजापति 12. युद्ध के समय जपें :  चक्रधर 

(सब्जी) काटने की उचित पद्धति

(सब्जी) काटने की उचित पद्धति हम सभी प्रतिदिन सब्जी बनाते हैं । तरकारी (सब्जी) काटते समय हम कभी क्या इसका विचार करते हैं कि तरकारी कैसे काटनी चाहिए कि उससे बनने वाला भोजन सात्त्विक हो । आज हम तरकारी से संबंधित आचार नियमों को जानेंगे । तरकारी धोने के उपरांत काटना आरंभ करें । उसे जल से धोते समय उसमें कुछ मात्रा में सात्त्विक अगरबत्ती की विभूति मिलाएं । तरकारी अधिक समयतक पानी में भिगोए रखने से उसमें विद्यमान ‘ब’ और ‘क’ जीवसत्त्व घटते हैं । १. तरकारी काटते समय शरीर की स्थिति अ. खडे रहकर छुरी से तरकारी काटना छुरी से विपरीत पद्धति से तरकारी काटने से भी पीडादायी स्पंदनों का वायुमंडल में उत्सर्जन होता है तथा तरकारी भी रज-तमात्मक तरंगों से आवेशित होती है । छुरी आगे से अपनी दिशा में खींचकर लाने का अर्थ है उलटी दिशा में तरकारी काटना । इसी के साथ छुरी से तरकारी काटते समय उसे यथासंभव खडे रहकर काटने से देहकी कोई भी संरक्षक मुद्रा (स्थिति विशेष में जो आकृति बनती है, उसे मुद्रा कहते हैं) निर्मित नहीं होती । इसलिए जीव के मन में चल रहे रज-तमात्मक विचारों की गति के बल पर पाताल से उत्सर्जित पीडादायी स्पंदन...

सोमतिती_विद्या--#लक्ष्मण_रेखा...

!! लक्ष्मण रेखा !!  लक्ष्मण रेखा आप सभी जानते हैं पर इसका असली नाम शायद नहीं पता होगा । लक्ष्मण रेखा का नाम (सोमतिती विद्या है)  यह भारत की प्राचीन विद्याओ में से जिसका अंतिम प्रयोग महाभारत युद्ध में हुआ था  चलिए जानते हैं अपने प्राचीन भारतीय विद्या को #सोमतिती_विद्या--#लक्ष्मण_रेखा.... महर्षि श्रृंगी कहते हैं कि एक वेदमन्त्र है--सोमंब्रही वृत्तं रत: स्वाहा वेतु सम्भव ब्रहे वाचम प्रवाणम अग्नं ब्रहे रेत: अवस्ति,, यह वेदमंत्र कोड है उस सोमना कृतिक यंत्र का,, पृथ्वी और बृहस्पति के मध्य कहीं अंतरिक्ष में वह केंद्र है जहां यंत्र को स्थित किया जाता है,, वह यंत्र जल,वायु और अग्नि के परमाणुओं को अपने अंदर सोखता है,, कोड को उल्टा कर देने पर एक खास प्रकार से अग्नि और विद्युत के परमाणुओं को वापस बाहर की तरफ धकेलता है,, जब महर्षि भारद्वाज ऋषिमुनियों के साथ भृमण करते हुए वशिष्ठ आश्रम पहुंचे तो उन्होंने महर्षि वशिष्ठ से पूछा--राजकुमारों की शिक्षा दीक्षा कहाँ तक पहुंची है??महर्षि वशिष्ठ ने कहा कि यह जो ब्रह्मचारी राम है-इसने आग्नेयास्त्र वरुणास्त्र ब्रह्मास्त्र का संधान करना सीख लिया है...

ऋषियों ने इसलिए दिया था '#हिन्दुस्थान' नाम

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#ऋषियों ने इसलिए दिया था '#हिन्दुस्थान' नाम *********************************************** भारत जिसे हम हिंदुस्तान, इंडिया, #सोने_की_चिड़िया, भारतवर्ष ऐसे ही अनेकानेक नामों से जानते हैं। आदिकाल में विदेशी लोग भारत को उसके उत्तर-पश्चिम में बहने वाले महानदी सिंधु के नाम से जानते थे, जिसे ईरानियो ने हिंदू और यूनानियो ने शब्दों का लोप करके 'इण्डस' कहा। #भारतवर्ष को प्राचीन ऋषियों ने 'हिन्दुस्थान' नाम दिया था जिसका अपभ्रंश 'हिन्दुस्तान' है। ^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^^ 'बृहस्पति आगम' के अनुसार हिमालयात् समारभ्य यावत् इन्दु सरोवरम्। तं देवनिर्मितं देशं हिन्दुस्थानं प्रचक्षते॥ यानि हिमालय से प्रारम्भ होकर इन्दु सरोवर (हिन्द महासागर) तक यह देव निर्मित देश हिन्दुस्थान कहलाता है। भारत में रहने वाले जिसे आज लोग हिंदू नाम से ही जानते आए हैं। भारतीय समाज, संस्कृति, जाति और राष्ट्र की पहचान के लिये हिंदू शब्द लाखों वर्षों से संसार में प्रयोग किया जा रहा है विदेशियों नेअपनी उच्चारण सुविधा के लिये 'सिंधु' का हिंदू या ...

पुत्र प्राप्ति हेतु गर्भाधान का तरीका

*पुत्र प्राप्ति हेतु गर्भाधान का तरीका—–* *दो हजार वर्ष पूर्व के प्रसिद्ध चिकित्सक एवं सर्जन सुश्रुत ने अपनी पुस्तक सुश्रुत संहिता में स्पष्ट लिखा है कि मासिक स्राव के बाद 4, 6, 8, 10, 12, 14 एवं 16वीं रात्रि के गर्भाधान से पुत्र तथा 5, 7, 9, 11, 13 एवं 15वीं रात्रि के गर्भाधान से कन्या जन्म लेती है। * 2500 वर्ष पूर्व लिखित चरक संहिता में लिखा हुआ है कि भगवान अत्रिकुमार के कथनानुसार स्त्री में रज की सबलता से पुत्री तथा पुरुष में वीर्य की सबलता से पुत्र पैदा होता है। * प्राचीन संस्कृत पुस्तक ‘सर्वोदय’ में लिखा है कि गर्भाधान के समय स्त्री का दाहिना श्वास चले तो पुत्री तथा बायां श्वास चले तो पुत्र होगा। * यूनान के प्रसिद्ध चिकित्सक तथा महान दार्शनिक अरस्तु का कथन है कि पुरुष और स्त्री दोनों के दाहिने अंडकोष से लड़का तथा बाएं से लड़की का जन्म होता है। * चन्द्रावती ऋषि का कथन है कि लड़का-लड़की का जन्म गर्भाधान के समय स्त्री-पुरुष के दायां-बायां श्वास क्रिया, पिंगला-तूड़ा नाड़ी, सूर्यस्वर तथा चन्द्रस्वर की स्थिति पर निर्भर करता है। * कुछ विशिष्ट पंडितों तथा ज्योतिषियों का कहना है कि सूर्य क...