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Showing posts from January, 2024

किन्नरों की कुलदेवी का मंदिर 'बहुचरा माता'

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किन्नरों की कुलदेवी का मंदिर 'बहुचरा माता' बहुचरा माता का प्रसिद्ध मंदिर गुजरात के मेहसाणा जिले के बेचराजी नामक कस्बे में स्थित है। इसको बेचराजी माता के नाम से भी जाना जाता है। मान्यता है कि यह मंदिर कई सदियों पहले बनाया गया था। कैसे पड़ा बहुचरा नाम माता को लोग 'मुर्गे वाली देवी के नाम से भी जानते हैं। मान्यताओं की मानें तो कई राक्षसों का एक साथ संहार करने के चलते माता को बहुचरा कहा जाता है। वहीं 'मुर्गे वाली देवी' के नाम के पीछे अलग कहानी बताई जाती है। स्थानीय लोग इस कहानी को अलाउद्दीन खिलजी के जमाने से जोड़कर बताते हैं। कहा जाता है कि अल्लाउद्दीन जब पाटण जीतकर यहां पहुंचा तो उसके मन में मंदिर लूटने की इच्छा होने लगी। जैसे ही वह अपने सैनिकों के साथ मंदिर पर चढ़ाई करने लगा, उसे प्रांगण में बहुत से मुर्गे दिखाई देने लगे। उसके सैनिकों को भूख लगने पर उन्होंने सारे मुर्गे पकाकर खा लिए और केवल एक ही मुर्गा बचा। जब सुबह उस मुर्गे ने बांग देनी शुरू की तो उसके साथ-साथ सैनिकों के पेट से भी बांग की आवाजें आने लगी और देखते ही देखते सैनिक मरने लगे। बताते हैं कि यह सब देख कर खिल...

स्वाद में स्वास्थ्य' का ध्यान

स्वाद में स्वास्थ्य' का ध्यान घर के स्वादिष्ट भोजन की बजाय खान-पान का रुझान फास्ट फूड की ओर बढ़ रहा है और आज छोटे-छोटे बच्चे भी मोटापा, मधुमेह के शिकार हो रहे हैं। ऐसे में गृहणियों को यह सोचने पर मजबूर होना पड़ रहा है कि ऐसा भोजन तैयार करें, जिसमें स्वाद भी हो, पौष्टिकता भी, जो स्वास्थ्य के लिए लाभप्रद भी हो और जिससे खाने वाले का हृदय भी खुश हो जाए। यदि थोड़ी-सी सूझबूझ से काम लें तो परिवार को स्वाद युक्त, सेहत युक्त भोजन दे सकती हैं। संतुलित भोजन में कार्बोहाइट्रेड, प्रोटीन, विटामिन, जल, खनिज, लवण व रेशे की विशेष उपस्थित रहती है। कुछ महत्वपूर्ण बिंदू * प्रतिदिन बच्चों को प्यार से मीठी नींद से जगाना चाहिए व उनमें बासी मुंह पानी पीने की आदत डालनी चाहिए। * चाय की जगह ताजा दूध उबालकर ठंडा करके बच्चों को देना चाहिए। इससे प्राप्त प्रोटीन व कैल्शियम शारीरिक विकास के लिए जरूरी हैं। * सुबह नाश्ते में तले हुए पदार्थ की जगह उबले चने, चोकर आटे के बिस्किट, अंकुरित मूंग मोठी, चने की चाट जिसमें हरा धनिया, टमाटर, हल्का-सा नमक, जीरा डालकर नींबू निचोड़कर देना चाहिए। यह विटामिन 'ई' से भरपूर ह...

सूर्य उपासना का पर्व 'मकर संक्रांति

सूर्य उपासना का पर्व 'मकर संक्रांति पर्व, अनुष्ठान भारत की प्राचीन उज्जवल संस्कृति के आधार स्तम्भ हैं। हमारे मनीषियों ने इन पर्वो को विशेष रूप से ऊर्जा एवं दिव्यता का संचार करने वाला बताया है। हमारे शास्त्रों में उत्तरायण और दक्षिणायन इन दो मार्गों का विशेष रूप से उल्लेख मिलता है। मकर संक्रांति के मंगल पर्व से सूर्य उत्तरायण में प्रवेश करता है। मकर संक्रांति से ही सूर्य की उत्तरायण गति प्रारंभ होती है। संक्रांति से अभिप्राय है परिवर्तन, अर्थात इस दिन सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है। हमारे आध्यात्मिक ग्रंथों में उत्तरायण को नव स्फूर्ति, प्रकाश और ज्ञान के साथ जोड़ा गया है। उत्तरायण मार्ग को मोक्ष प्रदान करने वाला कहा गया है। इस पावन बेला में जो अपने शरीर का त्याग करते हैं, वे दिव्य लोक को प्राप्त होते हैं। महाभारत युग की प्रामाणिक आस्थाओं के अनुसार सर्वविदित है कि उस युग के महान नायक भीष्म पितामह शरीर के क्षत- विक्षत होने के बावजूद भी तीरों की शैया पर लेट कर शरीर त्यागने के लिए सूर्य के उत्तरायण प्रवेश का इंतजार करते रहे। सूर्य के उत्तरायण की ओर जाने से प्रकृति में भी परिवर्तन होत...

यदि पृथ्वी घूमना बंद कर दे

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यदि पृथ्वी घूमना बंद कर दे धरती अपनी धुरी पर करीब 1000 मील प्रति घंटे की रफ्तार से घूमती है। धरती को एक चक्कर पूरा करने में 23 घंटे 56 मिनट और 4.1 सैकेंड लगते हैं। यही वजह है कि धरती के एक भाग पर दिन और दूसरे पर रात होती है। धरती अपनी धूरी पर घूमती रहती है, लेकिन हमें इसका एहसास नहीं होता है। ऐसा इसलिए क्योंकि हम भी इसके साथ घूमते हैं। क्या आपने सोचा है कि कभी धरती घूमना बंद कर दे तो क्या होगा ? धरती घूमना बंद कर दे तो ग्रह पर दिन- रात नहीं होंगे तथा प्रलय जैसे हालात उत्पन्न हो जाएंगे। इससे धरती के आधे हिस्से में अधिक गर्मी हो जाएगी और आधे भाग पर सर्दी। इससे जीव-जन्तु प्रभावित होंगे और परिणाम भयानक होंगे। अगर यह घटना घटती है, तो संभावना है कि हर किसी की मौत हो जाए। धरती की आंतरिक कोर ने घूमना बंद कर दिया है धरती के नीचे होने वाली हलचल को तब तक महसूस नहीं किया जा सकता, जब तक भूकम्प या किसी ज्वालामुखी विस्फोट से कम्पन न महसूस हो। एक अध्ययन में पता चला है कि धरती की आंतरिक कोर ने साल 2009 में घूमना बंद कर दिया था और सम्भावना है कि अब यह अपने घूमने की दिशा को बदलने ...

शिव का धाम औंधा नागनाथ

शिव का धाम औंधा नागनाथ यदि आप भगवान शिव के भक्त हैं तो आप महाराष्ट्र के हिंगोली जिले में स्थित प्राचीन शिव धाम आँधा नागनाथ जाने की योजना बना सकते हैं। आँधा नागनाथ न सिर्फ भारत के बारह प्रमुख न्योतिलिंगों में से उठवां स्थान रखता है बल्कि यह ज्योतिलिंग इसलिए भी महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि मान्यता के अनुसार यह महाभारत काल में पांडवों द्वारा स्थापित किया गया था। यह मंदिर लगभग 60,000 फुट प्रभाग में फैला हुआ है। इस मंदिर को सबसे अनोखी बात यह है कि यहां नंदी की मूर्ति मंदिर के आगे होने की बजाय पीछे है। आँधा नागनाथ मंदिर की वास्तु कला अद्‌भुतहै। इस मंदिर के चारों ओर अनेक छोटे मंदिर हैं। यहां आप भगवान दतात्रेय, नीलकंठेश्वर, दशावतार, वेदव्यासलिंग और गणपति सहित अन्य ज्योतिलिंगों के दर्शन कर सकते हैं। वर्तमान मंदिर का निर्माण 13वीं सदी के पादयों के शासनकाल में करवाया गया था। गर्मी का मौसम छोड़ कर आँधा की सैर साल भर में कभी भी की जा सकती है। अप्रैल, मई और जून में यहां गर्मी का मौसम होता है इसलिए लोग कम हो जाते हैं लेकिन मानसून एवं सर्दियों के शेष समय में खासकर सावन और महाशिवरात्रि पर यहां श्रद्...

तिरुपति बालाजी श्री वेंकटेश्वर देव स्थानम्

तिरुपति बालाजी श्री वेंकटेश्वर देव स्थानम् तिहासिक मंदिर अपनी लोकप्रियता को शताबदियों से संजोए हैं। आंध्र प्रदेश में सात पहाड़ों के ऊपर स्थापित भारत का सबसे धनी मंदिर तिरुपति बालाजी श्री वेंकटेश्वर देव स्थानम् के नाम से जाना जाता है जहां प्रतिदिन करोड़ों रुपए का चढ़ावा आता है। भगवान विष्णु के विभिन्न अवतारों से संबद्ध इस मंदिर की जानकारी निम्न अनुसार है : तिरुपति बाला जी को भगवान विष्णु की मान्यता है। इन्हें प्रसन्न करने पर देवी लक्ष्मी की कृपा हमें स्वत: ही प्राप्त हो जाती है और जीवन के सभी कष्ट समाप्त हो जाते हैं। समाप्त कर दता ह। इसलिए यहा अपना सभा अपवित्र भावनाएं छोड़ जाने और पापों के रूप में अपने सिर के बाल कटाने के लिए श्रद्धालुओं की इतनी अधिकभीड़ होती है कि उसके लिए लंबी लाइन लगाकर स्त्री, पुरुष तथा बच्चे टिकट लेकर प्रवेश करते हैं। वहां कटे बालों के विशाल अम्बार को देखकर विश्वास ही नहीं होता कि इनकी बिक्री द्वारा करोड़ों रुपए की राशि प्रतिवर्ष तिरुपति धर्मार्थ ट्रस्ट को प्राप्त होती है। सिर के बाल त्यागने पर भगवन विष्णु और देवी लक्ष्मी प्रसन्न हों और सदैव उन पर धन-धान्य की कृपा ...

महत्वपूर्ण है गोधूलि बेला

महत्वपूर्ण है गोधूलि बेला विवाह मुहूतों में क्रूर ग्रह, युति, वेध, मृत्युवाण आदि दोषों की शुद्धि होने पर भी यदि विवाह का शुद्ध लग्न न निकलता हो तो गोधूलि लग्न में विवाह संस्कार सम्पन्न करने की आज्ञा शास्त्रों ने दी है। जब सूर्यास्त न हुआ हो (अर्थात् सूर्यास्त होने वाला हो) गाय आदि पशु अपने घरों को लौट रहे हों और उनके खुरों से उड़ी धूल उड़कर आकाश में छा रही हो, तो उस समय को मुहूर्तकारों ने गोधूलि काल कहा है। इसे विवाहादि मांगलिक कार्यों में प्रशस्त माना गया है। इस लग्न में लग्न संबंधी दोषों को नष्ट करने की शक्ति है। आचार्य नारद के अनुसार, सूर्योदय से सप्तम लग्न गोधूलि लग्न कहलाती है। पीयूषधारा के अनुसार, सूर्य के आधे अस्त होने से 48 मिनट का समय गोधूलि कहलाता है। चार का चक्कर • चार वस्तुएं जाकर फिर कभी नहीं लौटती : मुंह सेनिकली बात, कमान से निकला तीर, बीती हुई आयु और दूर हुआ अज्ञान । • चार बातों को सदैव स्मरण रखो : दूसरे के द्वारा किया गया उपकार, अपने द्वारा दूसरे पर किया गया उपकार, मृत्यु और सर्वशक्तिमान प्रभु को । • चार वस्तुएं मनुष्य को भाग्य से ही प्राप्त होती हैं: भगवान को स्मरण रख...

समृद्धि की प्रतीक गाय

समृद्धि की प्रतीक गाय भारत एक कृषि प्रधान देश है और गाय पर ही हमारी कृषि निर्भर रही है। इस प्रकार गाय हमारी अर्थव्यवस्था की केंद्र रही है। गाय होगी तो कृषि भी होगी। गाय हमें दूध, दही, घी के साथ-साथ गौवंश भी देती है जो बड़े होकर बलिवर्द (बैल) बनते हैं और कृषि कार्य में प्रमुख सहयोग करते हैं। भले ही वर्तमान में आधुनिक उपकरणों से कृषि कार्य सम्पन किए जाने लगे हैं, फिर भी बहुसंख्यक कृषक बैलों के भरोसे ही अपना कृषि कार्य सम्पन्न करते हैं। समृद्धि की प्रतीक गाय हमें बहुत कुछ देती है। रासायनिक खादों से उत्तम गाय के गोबर से निर्मित खाद धरती की उर्वरा शक्ति में वृद्धि करती है। गाय-बैल के गोबर से निर्मित कंडे-उपले ईंधन के काम आते हैं। वर्तमान में गोबर संयंत्र भी संचालित किए जा रहे हैं जिससे रसोई गैस और विद्युत की भी बचत होती है। स्वास्थ्य के लिए अत्यंत लाभकारी गौ मूत्र के सेवन से उदर विकारों में राहत मिलती है। इससे अनेक रोगों से छुटकारा मिल जाता है। हमारी सनातन संस्कृति में गाय को एक विशिष्ट स्थान प्राप्त है। उसे जन्मदात्री मां से भी उच्च माना जाता है। हमें जन्म देने वाली माता तो शिशु अवस्था में...

कौन कहता है कि भारत की खोज वास्को डी गामा ने की

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कौन कहता है कि भारत की खोज वास्को डी गामा ने की ★ भारतवर्ष को अंग्रेजों ने नहीं खोजा था, यह सनातन है और इसके साक्ष्य भी हैं ★ इतिहास हमेशा विजित द्वारा लिखा जाता है और वह इतिहास नहीं विजित की गाथा होती है। भारत के साथ भी यही हुआ है पहले इस्लामिक आक्रमण और 800 वर्षों शासन और फिर अंग्रेज़ो के 200 वर्ष तक के शासन ने इस देश के इतिहास लेखन को इस तरह से प्रभावित किया कि आज भी लोगों को यही लगता है कि India को ब्रिटिश ने बनाया। लोगों के मन में यह हिन भावना बैठी हुई है कि ब्रिटिश के आने से पहले भारत या India था ही नहीं। हाल ही में एक इंटरव्यू के दौरान अभिनेता और अपने आप को ‘History_Buff’ कहने वाले सैफ अली खान ने ये कह दिया कि मुझे नहीं लगता है India जैसा कोई कान्सैप्ट ब्रिटिश के आने से पहले था के नहीं। यह कोई हैरानी की बात नहीं है। पिछले 70 वर्षों में जिस तरह से इतिहास को उसी इस्लामिक और ब्रिटिश को केंद्र में रख कर पढ़ाया गया है ये उसी का परिणाम है। ब्रिटिश काल के इतिहासकारों ने अपने हिसाब से ही इतिहास लिखा जैसा एक विजित लिखता है यानि अपने ही गुणगान में। उनके द्वारा किताबों में यह जान...